बिलासपुर– शहर चिल्लाए तो चिल्लाए…अरपा भाड़ में जाए..रेत माफियों की मनमानी चलती रहेगी…खनिज विभाग हाथ पर हाथ रखकर नियमों का हवाला देता रहेगा। खनिज विभाग के अधिकारी छोटी मछलियों पर कार्रवाई कर अपना पीठ थपाथपा रहा है। अधिकारियों का जवाब भी घिसा पिटा रहता है कि विभाग का काम केवल मानिटरिंग करना है। अन्य विभागों से कोई सहयोग नहीं मिलने से रेत का उत्खनन हो रहा है..ऐसे में हम क्या कर सकते हैं।
आश्चर्य की बात है कि जिला प्रशासन के नाक के नीचे अरपा में दिन रात रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। लेकिन किसी अधिकारी को कुछ नहीं दिखाई देता। जबकि कई अधिकारियों का घर अरपा के आस-पास ही है। हमेशा की तरह अधिकारियों का टका सा जवाब होता है कि बड़े रेत घाटों का क्लियरेंस रायपुर से होता है। इसमें पर्यावरण विभाग की भी मंजूरी होती है। कोनी एक दो तीन सेन्दरी दो ,तीन कछार एक दो बड़े रेत घाट हैं। इसलिए रायपुर से इन घाटों का क्लियरेंस होता है।
खनिज अधिकारियों की माने तो रेत का अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है। इंदिरा सेतु,सरकंडा से रतनपुर और सेन्दरी की ओर जाने पर दूर से ही बड़े बड़े जेसीबी मशीनें दिखाई देती हैं। हाइवा दिन रात रेत का अवैध परिवहन करते हर पांच मिनट में दिखाई देते हैं। पूरा शहर देखता है लेकिन खनिज विभाग को दिखाई नहीं देता।
ट्रैक्टर से रेत का अवैध परिवर कर रहे एक ठेकेदार ने बताया कि अतुल सिंह चार-चार जेसीबी मशीनों से कोनी रेत घाट एक,दो,तीन..सेन्दरी रेत घाट दो तीन और कछार रेत घाट एक और दो पर 16 घण्टे रेत का उत्खनन करवाता है। सबकुछ जानते हुए भी उन पर कार्रवाई नहीं होती। हम लोग दिन भर में दो चार ट्रैक्टर रेत निकालते हैं तो सामान जब्त कर बड़ी पेनाल्टी ठोंक दी जाती है। ठेकेदार ने बताया कि अतुल सिंह बड़े आदमी हैं इसलिए अधिकारी उन पर कार्रवाई नहीं करते हैं।
खनिज निरीक्षक उत्तम कुमार खूंटे ने बताया कि पांच एकड़ से बड़े रेत घाट का क्लियरेंस पर्यावरण विभाग और रायपुर से होता है। जिला प्रशासन केवल पांच एकड़ तक के रेतघाटों की अनुमति दे सकता है। जल्द ही बड़े रेतघाटों का क्लियरेंस रायपुर से हो जाएगा। उनकी नजर में अभी तक अवैध रेत उत्खनन की शिकायत नहीं मिली है। यदि मिलती है तो किसी को भी नहीं छोड़ा जाएगा।
पूरा बिलासपुर रोज देख रहा है कि कोनी सेन्दरी और कछार में मशीनो से रेत उत्खनन का काम चल रहा हैं। यह सब खनिज अधिकारियों को क्यों नहीं दिखाई दे रहा । समझ से परे हैं।
कोनी और सेन्दरी के सरपंचों ने बताया कि हमें रेत घाट चालू करने का आदेश नहीं मिला है। ना ही रायल्टी पर्ची मिली है। हम रेत घाट से रेत नहीं निकाल रहे हैं। लेकिन वह मानते हैं कि कोई रेत का उत्खनन कर रहा है। कौन कर रहा है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। प्रश्न उठता है कि आखिर किसकी जेसीबी मशीनें हैं जो दिन रात कोनी सेन्दरी और कछार में रेत का अवैध उत्खनन कर रही हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि खनिज विभाग और रेत माफियों में जबरदस्त जुगल बंदी है। क्लियरेंस नहीं मिलने के बाद भी रेत माफिया प्रतिदिन सत्तर से अस्सी ट्रक रेत का परिवहन सीना तानकर कर रहे हैं। पंचायतों को लाखों रूपए का नुकसान हो रहें है। इसकी जानकारी सरपंच ही नहीं खनिज अधिकारियों को भी।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक सरपंच ने बताया कि रेत माफियों का सामना करने की उनकी हिम्मत नहीं है। हमने कई बार खनिज विभाग में इस बात की शिकायत की है। लेकिन अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया। जब अधिकारी ही काम नहीं करेंगे तो हम इनको रेत उत्खनन से कैसे रोक सकते हैं।
शहर के एक वरिष्ठ नागरिक ने सीजी वाल को बताया कि अरपा की किसी को चिंता नहीं है। दिन रात रेत का उत्खनन हो रहा है। शिकायतें भी हो रही हैं लेकिन कार्रवाई नहीं होती । खनिज विभाग खाना पूर्ति कर छोटी मछलियों को पकड़ लेता है। बड़े बड़े शार्क अरपा के सीने पर खुले आम विचरण कर रहे हैं। विभाग की यह दो मुंही नीति नहीं तो और क्या है।