गरीब पालकों को सीएम का तोहफा…साढ़े 9 सौ से अधिक बच्चों को मिला अधिकार..पिता ने कहा लौट आयी खुशी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— छत्तीसगढ़ सरकार के हालिया फैसले से बड़ी संख्या में बच्चों और अभिभावकों के चेहरे पर खुशी लौटी है। फैसले से बिलासपुर से 9 सौ से अधिक बच्चे आरटीई के तहत आठवीं क्लास से नवीं में पढ़ने जा रहे हैं। अभिभावकों और बच्चों को मार्च से चिंता सता रही थी कि अब आगे क्या होगा। क्योंकि 2011 में पहली बार शिक्षा के अधिकार के तहत पहली क्लास में एडमिशन पाने वाे बच्चे इस साल आठवीं क्लास पास कर लिये थे।

                                      शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सिर्फ आठवीं क्लास तक गरीब तबकों के बच्चों के लिये सीट आरक्षित रहती थीं। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आठवीं क्लास में उत्तीर्ण बच्चों और उनके अभिभावकों की सारी चिंताएं दूर कर दी हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षा का अधिकार के तहत अब विद्यार्थी 12वीं क्लास तक पढ़ सकेंगे। आरटीई के तहत  बिलासपुर जिले में नौ सौ 66 बच्चों को इस साल 9वीं में पढ़ने की तोहफा मिला है। सरकार के फैसले से बच्चों के साथ अभिभावकों भारी खुशी देखने को मिल रही है।

                     श्रेया ने बताया कि आठवीं क्लास में 82 प्रतिशत नंबर पाने के बावजूद परेशान थी। चिंता नंबरों की नहीं बल्कि स्कूल छोड़ने की थी। मार्च में उसे पता चला कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत यह उसका स्कूल में आखिरी साल है। आर्थिक हालत ठीक नहीं होने से अब आगे की पढ़ाई नहीं कर सकेगी। लेकिन सरकार के एक फैसले से उसकी परेशानी खत्म हो गयी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निशुल्क शिक्षा को 12वीं क्लास तक कर दिया है।श्रेया ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया है।

                           बंधवापारा में रहने वाली श्रेया जयसवाल बताती है कि वह बिलासपुर के प्रतिष्ठित डीएवी स्कूल में पढ़ती है। 2011 में पहली क्लास में आरटीई के तहत उसका एडमिशन हुआ। उस वक्त उसे आरटीई की जानकारी नहीं थी। जानकारी मिली कि आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिये फीस देनी होगी। मेरे पापा छोटी सी परचूरन की दुकान चलाते हैं। मुश्किल से परिवार का गुजारा होता है।  ऐसे में स्कूल का फीस पटाना संभव नहीं था। आर्थिक स्थिति को देखकर लग रहा था कि अब नहीं पढ़ पाऊंगी। लेकिन सरकार के फैसले से सपना पूरा होते दिखाई देने लगा है।

                      श्रेया के पिता श्री तिहारीराम जयसवाल कहते हैं कि बेटी को उदास देखकर किसी काम में मन नहीं लगता था। महीने में चार हजार रूपये मुश्किल से कमा पाता हूं। स्कूल की फीस आखिर कहां से भरता। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संवेदनशीलता दिखाते हुए मेरी बेटी के अलावा राज्य के सभी बच्चों के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार के फैसले का पता चला तो आंखों में आंसू आ गये।

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