गली-गली घूम कर लाउडस्पीकर से मोहल्ला क्लास लगाने शिक्षकों पर दबाव..शिक्षक संगठन कर रहे विरोध

Chief Editor
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बिलासपुर(मनीष जायसवाल)शिक्षक संघ अब शिक्षा विभाग की कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए बनाई गई नीतियों पर प्रश्न चिन्ह लगाना शुरू कर दिये है। इसके पीछे उनका तर्क है कि मामला शिक्षको और उनके स्कूली बच्चों के स्वास्थ से जुड़ा है। शिक्षक संघ शिक्षको के हितों को नज़र अंदाज़ करते है तो फिर शिक्षक संघ बनाने का अर्थ ही क्या है। जानकारी देते हुए नवीन शिक्षक संघ छ. ग. के प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत  ने बताया कि नवाचार के नाम पर हो रहे प्रयोग व्यवहारिक दृष्टि से लाभकारी नही है। बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए अन्य विकल्पों पर ध्यान दिया जाना चाहिए । जिसके कोरोना माहमारी फैलने का खतरा न हो।विकास राजपूत ने बताया कि कोरोना संक्रमण के इस संकट के घड़ी में केंद्र सरकार द्वारा 31 अगस्त तक स्कूल व कॉलेज नही खोलने का निर्देश दिया गया है,जिसका छ. ग.के शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने तोड़ निकालते हुए गली-गली घूमकर लाउडस्पीकर के माध्यम से ,मोहल्ला व बाग-बगीचे में कक्षा लगाकर विद्यार्थियों को पढ़ाई करवाने के लिए पहले शिक्षको के विवेक के ऊपर छोड़ दिया था अब जिला,ब्लॉक व संकुल स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों के माध्यम से शिक्षको के ऊपर दबाव बनाकर पढ़ाई करवाने मजबूर किया जा रहा है।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

शिक्षक नेता विकास का कहना है कि अगर गली-गली घूमकर लाउडस्पीकर के माध्यम से,मोहल्ला व बाग बगीचे में कक्षा लगाकर पढ़ाई कराने से विद्यार्थियों को कोरोना से कोई खतरा नही है तो इससे बेहतर स्कूलो को खोलकर प्रति स्कूल एक क्लास के विद्यार्थियों को सोशल डिस्टेंसिंग व शासन के दिशा-निर्देश का पूर्णतः पालन करते हुए कोरोना संक्रमण के प्रभाव कम होने पर सितम्बर में स्कूल संचालन पर विचार करना चाहिए।

आपको बताते चले कि जानकारों का कहना है कि कोरोना काल की आन लाइन शिक्षण व्यवस्था पढ़ाई तुंहर द्वार तकनीकी आंकड़ो में हिट रही है। इस तकनीक का प्रयोग कर रहे शिक्षक व छात्र धीरे धीरे इस कार्य मे दक्ष होते जा रहे है। परन्तु यह निशुल्क शिक्षा के नाम पर जमीनी स्तर में समस्याओं के साथ व्यवस्था का मज़ाक उड़ते हुए .. अमीर गरीब का भेद करने वाली साबित होती दिखाई दे रही है। विभाग के डेटा विश्लेषक  इस कमजोर कड़ी को पहचाते ही शिक्षा व्यवस्था में नवाचार को जोड़ते हुए विकल्पों को ले आये है। जिसका अब शिक्षक विरोध शुरू कर दिये है।

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