सिम्सः गुपचुप तरीके से हो गये 12 लोग नियुक्त

BHASKAR MISHRA
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cimsबिलासपुर—शासन से बिना अनुमित एमआरडी और लायब्रेरी में नियुक्त करने का मामला सामने आया है। सिम्स प्रबंधन ने 12 लोगों की नियुक्ति करते समय शासन के नियमों की अनदेखी की है। मिली जानकारी के अनुसार ना तो विज्ञापन निकाला गया और ना ही जिला और राज्य शासन से अनुमति ही ली गयी। नियुक्ति किए गए पदों पर ज्यादातर सिम्स डाक्टरों के रिश्तेदार या फिर परिचित हैं ।

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                         सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तीन महीने पहले गुपचुप तरीके से सिम्स में 12 लोगों की कलेक्टर दर पर भर्तियां की गयी हैं। इनमें से 10 को एमआरडी और दो लोगों को लायब्रेरी में रखा गया है। नियुक्ति के समय राज्य शासन और जिला प्रशासन  गाइड लाइन की अनदेखी की गयी है। नियुक्ति किए गए लोगों में ज्यादातर  या तो सिम्स डॉक्टरों के परिचित है या फिर रिश्तेदार।

                                  नियमानुसार किसी भी पद के लिए भर्ती से पहले इश्तहार का निकाला जाना जरूरी है। इसके पहले जिला प्रशासन और राज्य शासन को इसकी जानकारी दी जाती है। लेकिन सिम्स प्रबंधन ने ऐसा कुछ नहीं किया। बिना इश्तहार निकाले गुपचुप तरीके से 12 लोगों को भर्ती कर दिया। नियुक्त किये गए सभी लोगों को कलेक्टर दर तीन महीने से भुगतान किया जा रहा है।

मुझे जानकारी नहीं है…डॉ.दत्त 

                              सिम्स डीन दत्त ने बताया कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि पदों पर परिचितों और रिश्तेदारों को रखा गया है। मेरे सामने अनुशंसा के साथ सलेक्टेड आवेदन पत्र लाया गया। मैने हस्ताक्षर कर दिया । मुझे जानकारी नहीं है कि इश्तहार निकाला गया या नहीं। लेकिन नियुक्ति के पहले कमेटी को संबधित पद की जानकारी के लिए इश्तहार निकाला जाना जरूरी होता है। डीन ने बताया कि मेरी जानकारी के अनुसार केवल 7 या 8 लोगों की ही नियुक्ति हुई है। यदि नियुक्ति किए गए लोगों की संख्या 12 हैं..तो पता लगाया जाएगा। उन्होने बताया कि नियुक्ति किए जाने से पहले आवेदक को एक निश्चित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं इसकी जानकारी लेंगे।

कहां से होगा भुगतान

                      सिम्स डीन ने बताया कि नियुक्त किए गए लोगों को कलेक्टर दर पर भुगतान किया जाएगा। 12 लोगों का भुगतान अाटोनामस और आरएसव्हीके मद से किया जाएगा। नियुक्ति किये गए लोगों का नाम शासन को भेजा गया है। यदि नियुक्ति के समय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

आटोनॉमस अध्यक्ष संभागायुक्त

                     मालूम हो कि आटोनामस कोष का अध्यक्ष संभागायुक्त होता है। कोष से रकम आहरण के पहले आटोनामस समिति के सामने विषय वस्तू को रखा जाता है। विचार विमर्श के बाद ही संभागायुक्त राशि निकालने का अनुमति देता है। साथ ही इस बात की जानकारी मांंगता है कि नियुक्ति के समय आदेशों का पालन किया गया है या नहीं।

                     चूंकि सिम्स प्रबंधन ने नियुक्ति के समय ना तो इश्तहार निकाला और ना ही जिला या राज्य प्रशासन के गाइड लाइन का पालन किया। ऐसे में आटोनामस कोष से नियुक्ति किए लोगों को भुगतान दिया जाना संदेह को पैदा करता है। डीन का कहना है कि भुगतान आटोनामस कोष से किया जाएगा। समझने वाली बात है कि जब नियुक्ति में प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है तो भुगतान कैसे संभव है। जाहिर सी बात है कि संभागायुक्त को भी मामले में सिम्स ने अंधेरे में रखा है।

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