गुरु तुझे सलाम अभियानःशिक्षकों का राज्य स्तरीय अहा मोमेंट कार्यक्रम,नारायणपुर से कविता हिरवानी हुई ऑन लाईन शामिल

Shri Mi
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नारायणपुर, 18 जून 2020- पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के तहत् शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं पालकों द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग के बेबसाइट के नियमित उपयोग के लिए संकुल स्तर से राज्य स्तरीय चलने वाले गुरु तुझे सलाम अभियान अंतर्गत आज गुरूवार 18 को राज्य स्तरीय ऑनलाईन मंच पर श्रीमती कविता हिरवानी कार्यक्रम में ऑनलाईन शामिल हुई। उन्होंने इस कार्यक्रम में पढ़ाई संबंधी अपने अनुभव बतायें। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ऑनलाईन पोर्टल पढ़ई तुंहर दुआर की शुरूआत 7 अप्रैल को की थी। इस पोर्टल का मुख्य रूप से कोरोना संक्रमण के चलते लगाये गये लॉकडाउन के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इस उद्देश्य से किया गया था। जो काफी उपयोगी साबित हो रहा है।राज्य स्तरीय ऑनलाईन मंच पर नारायणपुर जिले से प्राथमिक शाला गुडरीपारा की शिक्षिका कविता हिरवानी शामिल हुई। सीजीवालडॉटकॉम के WhatsApp NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उसकी पहली पदस्थापना राजधानी रायपुर के आरंग ब्लाक में हुई थी। विवाह के पश्चात् उनका स्थानांतरण नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर के प्राथामिक शाला गुडरीपारा में हुआ। यहां के बच्चे शहरी परिवेश के बच्चों से बिलकुल अलग थे। ये बच्चे ऐसे नक्सल प्रभावित परिवार के थे, जिन्हे अबुझमाड़ के अंदरूनी एवं पिछड़े क्षेत्रों से लाकर नारायणपुर में बसाया गया था। इन बच्चों को ठीक से हिन्दी भी बोलना नही आता था। डरे सहमे ये बच्चे स्कूल आना ही नही चाहते थे। इन्हें घर जाकर जबरदस्ती लाना बड़ता था। यह सब देखकर शुरू में उन्हें बहुत डर व घबराहट हुई, कि इन्हे कैसे पढ़ाऊंगी। यह उसके लिए एक चुनौती थी और उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया एवं विचार किया कि क्यों न इन्हे खेल व नवाचार तरीकों से सीखाया जाये। जिससे की बच्चों को पढ़ना व स्कूल आना रोचक लग सके, और ऐसा होने भी लगा

श्रीमती हिरवानी ने नवाचार, टी.एल.एम. के माध्यम से बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ किया, तो बच्चों को पढ़ने में मजा आने लगा। अब बच्चों में यह जिज्ञासा रहती है कि आज क्या नया खेल व क्या नवाचार होगा जिसे जानने के लिए बच्चे अब स्वयं ही प्रतिदिन स्कूल आने लगे है। अब खेल-खेल में ही बच्चों का ज्ञानवर्धन भी होने लगा है। अब यही बच्चे जो पहले ठीक से हिन्दी समझ नही पाते थे, वो आज न केवल अन्य स्कूलों के बच्चों के साथ प्रतियोगिता जीत कर भी आते हैं। जिससे शिक्षिका श्रीमती हिरवानी के स्कूल प्राथमिक शाला गुडरापारा को एक नई पहचान मिली है और साथ ही उन्हंे भी। अब जब स्कूल के बच्चे प्रतियोगिता जीतकर इनाम लेते हुए उनकी ओर देखते हैं तो उन्हें अपनी जीत नजर आती है, और यही  वो पल है जो उनके लिए ‘‘अहा पल‘‘ है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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