गेवरा-पेण्ड्रारोड रेल लाइन पर NGT के फैसले का अमित जोगी ने किया स्वागत,बोले-रूट बदलवाने का षड्यंत्र नाकाम

Shri Mi
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रायपुर-आदिवासी अंचल के विकास में बाधा पहुंचाने वाले लोगों को करारी मात मिली है। एनजीटी ने दूध का दूध और पानी का पानी साफ करते हुए गेवरारोड से पेण्ड्रारोड रेल परियोजना के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। एनजीटी ने इस रेल परियोजना में वन अधिनियमों का उल्लंघन होना नहीं पाया है। इस फैसले से आदिवासी अंचल में खुशी की लहर है क्योंकि इस परियोजना के पूर्ण होने से मरवाही-तानाखार सहित मातिन इलाके को रेल सुविधा मिलने के साथ-साथ क्षेत्र का औद्योगिक विकास भी तेजी से होगा। उपरोक्त बयान जारी करते हुये मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा है कि मरवाही क्षेत्र से होकर बनने वाली गेवरारोड से पेण्ड्रारोड ईस्ट-वेस्ट रेल कारीडोर परियोजना को कोयला माफियाओं के इशारे पर रोकने की साजिश रची जा रही थी इसलिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में परिवाद दायर कराया था और इस परिवाद के माध्यम से एनजीटी में वन कटाई का हवाला देकर इस कार्य का मार्ग परिवर्तन कर सलका से सीपत होते हुए बनाने का सुझाव दिया गया था।    
अमित जोगी ने कहा कि एनजीटी में याचिका दायर करने वाले और कराने वाले को अच्छे से पता है कि एनजीटी पर्यावरण से सम्बंधित मामलों में बहुत गंभीर है तथा एनजीटी को निर्णय लेने के साथ-साथ अपने निर्णय पर कार्यवाही करने का भी अधिकार प्राप्त है इसलिये याचिका में वन भूमि के पेड़ों की कटाई से बचाने का हवाला देने के साथ टाइगर रिजर्व एवं हसदेव अरण्य के जंगली जानवरों की सुरक्षा का भी हवाला देकर इस रेल लाईन को सलकारोड से गेवरारोड तक बनाने की मांग की गई थी तथा यह दलील भी दिया गया था कि गेवरारोड से पेण्ड्रारोड रेल लाईन में आने वाली लागत राशि की अपेक्षा मात्र 25 प्रतिशत लागत में सलकारोड से गेवरारोड रेल लाईन बन जायेगा। इस मामले में एनजीटी ने वन विभाग की अनुमति से पेड़ काटे जाने एवं वनभूमि पर कार्य किये जाने का शासन का आदेश देखने के बाद याचिका को निराकृत करके रेल लाइन बनने के मार्ग को प्रशस्त कर दिया है। 
मरवाही विधायक ने कहा कि इस रेल्वे कारीडोर के निर्माण से मरवाही, कोटा, तानाखार, कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के गावों को जहां एक ओर आवागमन के लिये रेल्वे सुविधायें मिलेंगी वहीं दूसरी ओर इस रेल लाईन से क्षेत्र का औद्योगिक विकास भी तेजी से होगा। उन्होने कहा कि यह रेल लाईन सिर्फ कोयला परिवहन ही नही बल्कि क्षेत्र के विकास के अनेक सम्भावनाओं का आधार बनेगा। उन्होंने कहा कि इस रेल लाइन में आदिवासी बाहुल्य गावों में आठ रेल्वे स्टेशन भी बनेंगे जिससे लोगों को आवागमन की सुविधा मिलेगी।
अमित जोगी ने इस मामले में प्रदेश कांग्रेस और जिला कांग्रेस की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि जब रेल लाइन निर्माण की जांच करने एनजीटी कमिश्नर याचिकाकर्ता के साथ आये थे तब जिला कांग्रेस के नेता भी याचिकाकर्ता के साथ आये थे जिससे स्पष्ट होता है कि प्रदेश और जिला कांग्रेस इस परियोजना को रोककर मरवाही क्षेत्र का औद्योगिक विकास रोकना चाहती थी परंतु एनजीटी में उनके मंसूबे पूरे नहीं होने दिये। आदिवासी अंचल के विकास में बाधा पहुंचाने वाले लोगों को करारी मात मिली है। एनजीटी ने दूध का दूध और पानी का पानी साफ कर दिया है।
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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