गोकने नाला पर भू-माफिया का कब्जा ..शासन को खबर तक नहीं…नायब तहसीलदार ने कहा-ग्रीन बेल्ट या नाला से छेड़छाड़ करने वालों होगी कार्रवाई.. रिपोर्ट का इंतजार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— सकरी और उस्लापुर के बीच मुंगेली मुख्य मार्ग पर स्थित गोकने नाला के अस्तित्व पर पिछले एक महीने से खतरा मंडरा रहा है। भूमाफियों ने अपनी चंद डिसमिल जमीन के बहाने गोकने नाला को जमीदोज करने मे कोई कोर कसर छोड़ने से बाज नहीं आ रहे है। ताज्जुब की बात है कि मुख्य सड़क पर होने के बाद भी अधिकारियों की नजर गोकने नाला पर कब्जा करने वाले भू-माफियों की करतूतों पर नहीं पड़ी है। पिछले एक महीने में गोकने नाला की चौड़ाई घटकर कुछ मीटर से कुछ फिट तक सिमट गयी है। बहरहाल मामले में सकरी नायब तहसीलदार का कहना है कि हमने पटवारी से वस्तुस्थिति की जानाकरी मांगी है। रिपोर्ट मिलने के बाद जरूरत पड़ने पर सख्त कदम उठाया जाएगा।  

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                मुंगेली बिलासपुर मुख्यमार्ग पर स्थित गोकने नाला पर एक पुल बना है। पुल से होकर गोकने नाला गुजरता है। गोकने नाला को बिलासपुर की जनता  अरपा के बाद सम्मान की नजर देखते हैं। बरसात के दिनों में गोकने नाला को देखना लोगों को बहुत अच्छा लगता है। आस पास से एकत्रित बाढ़ कॉा पानी गोकने नाला से होकर मनियारी नदी तक पहुंचता है। आजकल गोकने नाला अपने अस्तित्व को बनाए रखने में असहाय नजर आ रहा है। भू-माफियों ने इस पर कब्जा कर नाला को नाली बना दिया है।

                      नगर निगम विस्तार के बाद भू-माफियों की भी लालच में विस्तार हुआ है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण गोकने नाला है। पिछले तीन महीने के अन्दर भू-माफियों ने मिली भगत कर उस्लापुर और सकरी बीच स्थित मुख्यमार्ग से लगे गोकने नाला को पाटना शुरू कर दिया है। मजेदार बात है कि प्रशासन का ध्यान अभी तक इस ओर नहीं गया है। जबकि भू-माफियों ने उस पर कब्जा कर अवैध तरीके से निर्माण कार्य करना शुरू कर दिया है। 

                  जांच पड़ताल के दौरान बात सामने आयी कि गोकने नाला से लगी कुछ डिसमिल जमीन निजी है। निजी जमीन के बहाने भू-माफियों ने गोकने नाला के इन्क्रोचमेन्ट एरिया को अतिक्रमण कर लिया है। दावा करते हैं कि नाला से लगी जमीन निजी है। यद्यपि इस बात की भू-माफिया तसदीक करने से कतरा रहे हैं कि जमीन की नाप जोख की जानकारी पटवारी या सकरी तहसीलदार को है। जबकि उन्हें भी मालूम है कि गोकने नाला से लगी जमीन ग्रीन बेल्ट में आती है। 

क्या है ग्रीन बेल्ट का नियम

पर्यावरण और राजस्व विभाग समेत टीएनसी की गाइड लाइन के अनुसार नाला से लगी 50 मीटर जमीन ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में है।  है। गोकने नाला से लगी 50 मीटर जमीन पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य नियमानुसार वर्जित है। बावजूद इसके भू-माफियों ने नाला के किनारों को ना केवल समतल कर  दिया है। बल्कि ग्रीन बेल्ट की जमीन का सौदा भी शुरू हो गया है। भू-माफियों का दावा है कि नाला से लगी सारी जमीन उनकी है। उन्हें भी ग्रीन बेल्ट की जानकारी है। निर्माण कार्य हो रहा है इसकी जानकारी राजस्व महकमे को भी है। यदि नहीं होती तो निर्माण कार्य का सवाल ही नहीं उठता है। 

नाले से लगी जमीन झाड़ के जंगल 

        जानकारी हो कि इसके पहले भी उस्लापुर में..तात्कालीन कोटा एसडीएम देवेन्द्र पटेल ने गोकने नाला से लगे ग्रीन बेल्ट पर निर्माण कार्य को शिकायत के बाद ध्वस्त कर दिया था।

               बताते चलें कि नाला से लगकर कुछ लोगों की ही निजी जमीन है।इस बात का फायदा उठाकर भू-माफियों ने निजी जमीन से लगे गोकने नाला की ग्रीन बेल्ट को समतल कर दिया है। झाड़ के जंगल को भी साफ कर दिया है। जंगल को हटाने से पहले ना को राजस्व महकमे से और ना ही वन विभाग से अनुमति ली गयी है।

क्या कहता है रिकार्ड

              राजस्व रिकार्ड के अनुसार सड़क से लगे गोकने नाला के पास खसरा नम्बर 966 की कुल 35 डिसिमिल जमीन किसी बलजीत सिंह की है। बलजीत  सिंह किसी शर्मा बिल्डर के साथ मिलकर कामर्शियल भवन का निर्माण करने वाले है। जानकारी के अनुसार भू-माफिया निर्माण से पहले टीएनसी से अनुमति नहीं ली है। रेरा में भी पंजीयन नहीं है।

                  स्थानीय लोगों ने बताया कि जमीन पहले से ही विवादों रही है। विवादों के बीच जमीन अलग अलग हाथों से होकर गुजरना पड़ा है। अब मिलीभगत कर बिल्डर अपने मंसूबों को अमली जामा पहना रहे हैं।

क्या कहता है नियम

एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट की गाइ़ड लाइन के अनुसार यदि तालाब या नाला किसी की जमीन पर भी है तो उसे पाटा नहीं जा सकता है। नाला के दोनों तरफ 50 मीटर क्षेत्र ग्रीन बेल्ट का होता है। इस पर किसी भी सूरत में  कब्जा या निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है।

क्या कहते हैं सकरी नायब तहसीलदार

               मामले में सकरी नायब तहसीलदार अभिषेक राठौर ने बताया कि शिकायत मिल चुकी है। पटवारी को आदेश दिया है कि वस्तुस्थिति की जानकारी सोमवार को दे। इस बीच चुनाव के कारणों से कर्मचारियों में व्यस्तता थी। अब देरी की कोई संभावना नहीं है। पटवारी रिपोर्ट और तमाम नियमों को ध्यान में रखकर निजी तौर पर मौके का जायजा लुंगा। ग्रीन बेल्ट पर निर्माण किसी भी सूरत में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। जांच पड़ताल के बाद उचित कार्रवाई होगी। गोकने नाला को पाटने का सवाल ही नहीं उठता है। पता लगाएंगे की किसकी अनुमति से झाड़ के जंगलों को काटा गया है।

तेजी से किया जा रहा निर्माण

                        भू-माफियों ने सोची समझी रणनीति के तहत 6 महीने पहले मिट्टी डालकर गोकने नाला को पाटने का प्रयास किया। फिर जेसीबी लगाकर खुलेआम नाला के ग्रीन बेल्ट को समतल करना शुरू कर दिया। जानकारी हो कि निर्माणधीन स्थल के दो तरफ गोकने नाला का इन्क्रोचमेैन्ट एरिया है। दोनों तरफ मिट्टी पाटने का काम तेजी से किया जा रहा है। जमीन में प्रस्तावित निर्माण की बिक्री भी शुरू हो चुकी है।

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