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मुंगेली-मुंगेली जिला शिक्षा अधिकारी के पूर्व आदेश से जिले भर के शिक्षको में ग्रीष्म कालीन अध्ययन को लेकर भृम की स्थिती बनी हुई है। इस विषय को लेकर cgwall.com ने जब मुंगेली के जिला शिक्षा अधिकारी भारद्वाज से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि इस विषय पर पालकों सहित वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की जा रही है। जल्द ही इस विषय पर जो भी आवश्यक निर्देश उच्च अधिकारियों से मिलेगा, उसकी सुचना जारी कर दी जायेगी।सीजीवालडॉटकॉम के Whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
मालूम हो कि ग्रीष्म कालीन अध्ययन को लेकर प्रदेश के शिक्षको में जमकर रोष है।इसका विरोध पूरे छत्तीसगढ़ स्तर पर हो रहा है। जानकारों की माने तो शिक्षा में नवाचार एक स्वैच्छिक कार्य है ।राज्य शैक्षिक अनुसन्धान परिषद केवल सुझाव या जागरूकता अभियान चला सकता है।
क्योंकि उनके अकादमिक सदस्यों को ग्रीष्मकालीन अवकाश नही मिलता ।वे अपना समय पास करने और परियोजना बनाकर संस्थान में बचे शिक्षण प्रशिक्षण मद की राशि खर्च करने के लिए करते है। बदले में अन्य शिक्षको से बेगारी लेकर अकादमिक सदस्य अपनी वाहवाही लेते है ।
यदि राज्य के शालाओं में जिस शाला का परीक्षा परिणाम कमजोर है या छात्र- छात्राओ को जो कमजोर है और उस शाला के शिक्षक चाहते है कि मुझे नवाचार करके कुछ उपलब्धि देना चाहते है तो वे विशेष कोचिंग अपनी अपनी शाला या विकास खण्ड स्तर पर समर क्लास विशेष कोचिंग चला सकता है ।
व्यख्याता शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश्वर सिंह का कहना है कि स्वायत्त संस्थाओ द्वारा राज्य शासन स्कूल शिक्षा विभाग के घोषित ग्रीष्मकालीन अवकाश में विशेष समर कोचिंग के नाम पर शिक्षको का शोषण करना गैरवाजिब है। राज्य शासन को ग्रीष्मकलींन अवकाश को समाप्त करते हुये 30 दिवस का अर्जित अवकाश का आदेश करना चाहिए ।
जो कि कार्यालयीन कर्मचारियों को मिलता है ।इस अर्जित अवकाश का उस माह के वेतन के बराबर एरियर्स राशि का भुगतान करना चाहिए। हम ग्रीष्मकालीन अवकाश में समर क्लास के नाम पर शाला लगाने के आदेश का व्यापक विरोध करते है।