घर बैठे पढ़ाई योजना में हैं दिक्कतें, जूम एप के जरिए लाइव कांटेक्ट क्लास चलाना मुश्किल..पढ़िए योजना पर क्या कहते हैं जानकार

Shri Mi
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बिलासपुर।घर बैठे पढ़ाई योजना कोरी कल्पना है।इस योजना को चलाकर सरकार केवल अपने गाल बजाने का काम कर रही है। योजना शुरू करने के पहले विद्यार्थियों को मोबाइल नेटवर्क, टेबलेट की सुविधा दी जानी चाहिए थी। हाईटेक आइडिया का क्रियान्वयन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में संभव नहीं है यह केवल कुछ शहरी क्षेत्रों तक सीमित है। शिक्षक मामलों से जुड़े जानकार, अधिवक्ता व समाज सेवी रोहित शर्मा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कार्य करने के तौर तरीके व प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री के विवेक पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि जूम ऐप के माध्यम से लाइव कांटेक्ट क्लासेस दिखावा है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

             
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गूगल ने जूम एप के उपयोग पर इससे डाटा सिक्योरिटी का खतरा बताया है। गृह मंत्रालय के तहत आने वाले साइबर समन्वय केन्द्र ने भी हाल ही में एक परामर्श जारी कर कहा है कि यह लोगों द्वारा निजी इस्तेमाल के लिए सुरक्षित प्लेटफार्म नहीं है। सरकारी अधिकारियों से कहा गया है कि वे आधिकारिक कामकाज के लिए इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल न करें। अब तो बिलासपुर उच्च न्यायालय ने भी ज़ूम एप से दूरी बना ली है।

रोहित शर्मा ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग की वेबसाइट shiksha में ही 15 अक्टूबर 2019 के बाद सूचना पटल पर कोई अपडेट दिखाई नही देती है। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग का एजुकेशन पोर्टल मोबाइल में ही ठीक से खुलता नही है और यह भी अपडेट नही है। विभाग के प्रोजेक्ट टीम्स TOTAL EDUCATIONAL ASSESSMENT AND MANAGEMENT SYSTEMS ( सम्पूर्ण शिक्षण एवं प्रबंधन प्रणाली ) टीम्स टी जिसमे 48,329 स्कूल और 1,78,791 शिक्षक पंजीकृत है। तथा 39,04,681 छात्रों का पंजीयन हुआ है। यह वेबसाइट मायाजाल जैसी लगती है। शिक्षा विभाग का ट्वीटर एकाउंट अपडेट नही है। निखार कार्यक्रम का अता पता नही है। शाला कोष टेबलेट एप , टीम्स टी एप ,एमडीएम एप जैसे तमाम प्रोजेक्ट पर सरकार खर्च कर रही है। जिसका लाभ शिक्षको और छात्रो को कितना हुआ इस पर विभाग को चिंतन करने की जरूत है। नए प्रोजेक्ट के चक्कर मे पुराने प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डालने से प्रदेश के छात्रो व शिक्षको का भला नही हो सकता है। पढ़ाई तुंहर द्वार स्कूल शिक्षा विभाग की कपोल कल्पना हैं इससे केवल कुछ ही वर्ग के छात्रो का भला होगा। यह कार्यक्रम समानता के भाव को प्रदर्शित नही करता है।

राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघ के शिक्षक नेता व मीडिया प्रभारी हीरा नंद नरवरिया ने बताया कि देश का शिक्षा विभाग हमेशा शिक्षको को हुक्म मानने वाला गुलाम समझता रहा है। मध्यप्रदेश को पढ़ाई तुंहर द्वार योजना नही चाहिए। सरकारी निर्देशो पर बड़े ही सरल तरीक़े से जिन छात्रों के पास या परिजनों के पास स्मार्ट मोबाइल फोन है उन्हें वाट्सएप के माध्यम से पढ़ने का प्रयास कर रहे है। परन्तु इसमे शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के द्वारा माध्यम से पढ़ाई में कोई रुचि नहीं ली जा रही है। विभाग के अधिकारी केवल अधिकाधिक पंजीयन पर जोर दे रहे हैं जिससे अपना नंबर बढ़ा सकें।

नरवरिया ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पोर्टल में कंटेंट मैनेजमेंट यूजर फ्रेंडली नहीं है तथा अध्ययन सामग्री की गुणवत्ता बोझिल और बिखरी हुई है। मध्यप्रदेश के कई ग्रमीण इलाकों में मोबाईल नेटवर्क की समस्या है। शिक्षक छात्रो को मोबाईल का उपयोग नही करने की अक्सर सलाह देते है। कोरोना काल मे शिक्षा विभाग में तात्कालिक लाभ के भविष्य में कई नकारात्मक परिमाण आ सकते है । इस विषय पर शिक्षा मनोवैज्ञानिको से सलाह लेना चाहिए। एक ओर नया प्रयोग पढ़ाई तुंहर द्वार मध्यप्रदेश के शिक्षको व छात्रो को नही चाहिए।

झारखंड राज्य से प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघ के समन्वयक रंजीत जायसवाल ने बताया लॉक डाउन समाप्त होने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रीयो को पैरा शिक्षको के संविलियन करने के लिए पत्र अवश्य लिखे .. पढ़ाई तुंहर द्वार छत्तीसगढ़ को मुबारक हो। छत्तीसगढ़ के गांव गांव व प्रत्येक परिवार में एंड्रॉयड मोबाइल फोन और मोबाईल नेटवर्क होगा परंतु झारखण्ड में ऐसा नही है। झारखंड में पारा शिक्षक अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। आर्थिक मोर्चे में देश में सबसे कमजोर पैरा शिक्षक है। झारखंड में ऐसी कागजी योजनाओं को लागू करने के पहले लक्षित समूहों के उपयोग की दृष्टि से व्यापक विचार-विमर्श करना चाहिए । कोरोन काल में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के ऊपर में किसी भी प्रकार से मानसिक एवं आर्थिक बोझ नहीं डालना चाहिए।

रंजीत जायसवाल ने बताया कि पूरे देश में शिक्षक कही न कही कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना।योगदान दे रहे है। राष्ट्रीय पैरा शिक्षक समिति आपनी अगली बैठक में देश के शिक्षकों को मोबाइल भत्ता एवं एंड्रॉयड सेट प्रदान किये का मुद्दा उठाया जायेगा।

शिक्षको को चीनी जूम एप को अपने निजी मोबाइल फोन पर उपयोग करने के लिए बाध्य नही किया जाना चाहिए।रंजीत जायसवाल ने बताया कि व्यवहारिक रूप से संभव नही होने के बाद भी झारखंड में भी शिक्षक वाट्सएप के माध्यम से छात्रो को पढ़ाने का प्रयास कर रहे है। कुछ शिक्षक कोरोना वारियर्स के रूप में कई जगहों पर सेवाएं दे रहे है। झारखंड के अलावा पूरे देश में शिक्षक कही न कही कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दे रहे है। राष्ट्रीय पैरा शिक्षक संघर्ष समिति आपनी आगामी राष्ट्रीय बैठक में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेगी। जिसमे कोरोना काल में शिक्षको की भूमिका पर विशेष चर्चा होगी

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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