घोघरा गांव….बरसात में मौत मतलब दोहरी मार…72 साल से अदद श्मशान घाट की मांग…इंजीनियर को पता ही नहींं

BHASKAR MISHRA
5 Min Read
तखतपुर—( टेकचंद कारड़ा)–आजादी के 72 साल बाद भी एक गांव ऐसा भी है जहां आज भी एक सर्वसुविधायुक्त अदद श्मशान घाट की जरूरत है। गर्मी और ठण्डी में तो काम किसी तरह निपट जाता है। लेकिन बरसात स्थानीय लोगों की परम्पराओं पर भारी पड़ता है। यदि बारिश के मौसम में यदि किसी का देहान्त हो जाए तो बहुत बड़ी मुसीबत है। अंतिम संस्कार के समय लोग गिरते पानी में पोलीथिन या तिरपाल लगाकर अंतिम संस्कार किया जाता है।परिजन अंत्योष्ठि के  समय बरसात में भीगकर या फिर फिर छतरी के सहारे क्रिया कर्म करते हैं।
                        तखतपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत घोघरा में मुक्तिधाम नहीं है। जिसके चलते लोगों अंतिम संस्कार के समय अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बरसात में शोकाकुल परिवार के लिए दाह संस्कार किसी मुसीबत से कम नहीं होता है। बताना जरूरी है कि गांववासी सालों साल से एक सर्वसुविधायुक्त श्मशान घाट की कमी महसूस कर रहे हैं। जहा शव का दहन किया जाता है…शेड नहींं होने से सभी मौसमों में पीड़ित परिजनों को भारी परेशानियों से जूझना पड़ता है। यद्यपि शेड निर्माण को लेकर ग्रामीण सालों साल से मांग कर रहे हैं। लेकिन रहनुमाओं के कान में जूं तक नहीं रेंग रहा है।
                              यद्यपि शेड़ निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने एक दो बार नहीं सैकड़ों बार गुहार लगाई है। कई बार लिखित आवेदन भी दिया है। उच्च अधिकारीयों से मिलकर बरसात के दिनों में होने वाली परेशानियों को भी बताया है। लेकिन आज तक किसी ने समस्या को गंभीरता के साथ नहीं लिया है। हर बार नया सरपंच आता है और श्मशान घाट बनाने का वादा भी करता है। लेकिन मजाल है कि किसी ने श्मशान घाट बनाना तो दूर बनाने का प्रयास भी किया हो। हर बार की तरह इस  इस पंचवर्षीय में वही हुई जैसा पहले के सरपंचो की पंचपर्षीय काल में हुआ। वादा होने के बाद भी शेड निर्माण का काम नहीं हुई है।
                     एक दिन पहले गांव के रामकुमार साहू का निधन हो गया। भारी बरसात के चलते शोकाकुल परिवार पर बारिश मुसीबत से कम साबित नहीं हुई। मरता क्या नहीं करता…अन्त में हमेशा की तरह दाह संस्कार की क्रिया तंबू में हुई। दाह संस्कार में शामिल परिजन छाता पन्नी, रेनकोट और तिरपाल के सहारे अपने आप को पानी से बचाते हुए शामिल हुए। ललित साहू ने बताया कि हर बार पंचायत घोघरा गांव मेंं ग्राम सुराज अभियान और जन समस्या निवारण शिविर का आयोजन किया जाता है। शिविर में ग्रामीण एकजूट होकर केवल और केवल श्मशाट घाट शेड निर्माण की मांंग करते हैं। अधिकारियों से आश्वासन भी मिलता है। लेकिन मजाल हो कि किसी ने शेड़ निर्माण की दिशा किसी ने भगीरथ प्रयास किया हो। आज भी घोघरावासियों को शेड की दरकार है। जिसके कारण चलते गांववासियों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
                            बरसात में यदि किसी ग्रामीण की मौत हो जाए तो सभी को राजकुमार साहू के पीड़ित परिवार की तरह मुसीबत का सामना करना पड़ता है। इसके चलते पीड़ित परिवार को ना केवल मुसीबत की दोहरी मार का सामना करना पड़ता है। बल्कि शवयात्रा में शामिल ग्रामीणों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इंजीनियर ने कहा हमें जानकारी नहीं
                तखतपुर जनपद पंचायत इंजीनियर टीआर तारक ने बताया कि घोघरा में श्मशान घाट स्थल पर शेड की सुविधा है या नहीं इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है। यदि नहीं है तो इसकी वजह ग्राम पंचायत है। क्योंकि ग्राम पंचायत से प्रस्ताव पारित होने के बाद ही शेड निर्माण होगा। हम शिकायत को गंभीरता से लेंगे। पता साजी क बाद पंचायत से प्रस्ताव मंगाकर शेड नहीं होने की सूरत में शेड़ का निर्माण करेंगे।
close