चिल्फी पेन्ड्रा में फंसे 15 छात्र शहर पहुंचे..कोटा राजस्थान गए थे पढ़ने.. सभी को भेजा गया क्वारंटीन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- कोटा राजस्थान में पढ़ने वाले शहर के करीब 15 बच्चों को चिल्फी और पेन्ड्रा से सेनेटाइज्ड किए गए स्कूली बस से शहर लाया गया। बस में सवार सभी छात्रों को सदर बाजार स्थित जगदीश लाज में ठहराया गया है। सभी बच्चों को यहीं पर क्वारंटीन में रखा जाएगा।जानकारी हो कि लाकडाउन के बाद शहर के सैकड़ों बच्चें कोटा में फंसने के बाद अभिभावकों में चिंता कर गयी। अभिभावकों ने इसके जिला प्रशासन पर लगातार दबाव बनाते हुए  बच्चों को शहर लाने की गुहार लगायी।इसी क्रम में शासन स्तर पर भी बच्चों को लाने को लेकर प्रयास किया गया। इस बीच स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन को बताया कि कुछ बच्चे स्व प्रयास से कोटा से बिलासपुर के निकले जरूर । लेकिन उन्हे सीमावर्ती जिलों में रोक लिया गया है। सभी छात्र इस समय कवर्धा के चिल्फी और पेन्ड्रा जिला में है। बच्चों को लेकर अभिभावक परेशान हैं।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप(NEWS) ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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                      लगातार प्रयास के बाद जिला प्रशासन ने स्थानीय प्रशासन से सम्पर्क किया। कवर्धा और पेन्ड्रा प्रशासन को बताया गया कि चिल्फी और पेन्ड्रा में कोटा में पढ़ने वाले 15 बच्चे फंसे है। उन्हें सुरक्षित बिलासपुर पहुचाने का प्रयास किया जाए। 

               इसी क्रम में आज सभी 15 बच्चों को लेकर सेनेटाज्ड बस से सदर बाजार स्थित जगदीश लाज पहुंची। सभी छात्रों को क्वारंटीन में भेज दिया गया है।

नहीं मालूम कितने दिन रहेंगे क्वारंटीन पर

                 कोरोना 19 नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर पंकज डाहिरे ने बताया कि उन्हें आदेश मिला था..सभी बच्चों को लाने का। सभी बच्चे कोटा राजस्थान में पढ़ने गए थे। शायद निजी प्रयास से राजस्थान से चिल्फी और पेन्ड्रा तक पहुंचे। यहां पर उन्हे रोक दिया गया। शायद क्वारंटीन भेजा गया। अब कितने बच्चे यहां आए हैं…फिलहाल इसकी उन्हें जानकारी नहीं है।और उन्हें कितने दिनों तक क्वारंटीन पर रखा जाएगा। इस बात की भी उन्हें जानकारी नहीं है।

आज कोटा राजस्थान में पढ़ने गए हमारे प्रदेश के कुछ बच्चे बिलासपुर पहुंचे जिन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा परीक्षण किया गया और कुछ दिवस के लिए उन्हें स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में देखभाल करने के लिए रखा गया। अब धीरे धीरे सभी बच्चे अपने घर पहुंचेंगे।
शैलेश पाण्डेय

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