चुनाव ड्यूटी में शिक्षकों का काम बेहतर ,फेडरेशन का दावा – सफलता का नाम शिक्षक ही है

Shri Mi
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बिलासपुर।जनगणना करना हो,मतदाता सूची बनाना हो,सर्वे करना हो,चुनाव ड्यूटी करना हो,या फिर मतगणना,शिक्षक लगभग हर काम में लगाये जाते है जिसके सफलता का नाम शिक्षक ही है।छग में हुई एक रिसर्च से अब शिक्षको की काबिलियत भी साबित हो गयी है।राज्य के मुख्य निर्वाचन कार्यालय की रिसर्च में सामने आया है कि शिक्षक चुनाव ड्यूटी में सबसे कम गलतियां करते है।वे चुनाव सम्बन्धी जो भी ट्रेनिंग होती है उसे सही ढंग से सीखते हैं और उसका बखूबी पालन करते है ।सीजीवाल डॉटकॉम के whatsapp ग्रुप से जुडने यहाँ क्लिक करे

             
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इसके विपरीत चुनाव ड्यूटी करने वाले अन्य विभाग के कर्मचारी सीखने और काम करने ,दोनों ही मामले में पीछे रहते है।यह नतीजा छग विधानसभा चुनावो में 23,700 मतदान केंद्रों पर काम कर चुके करीब 95,000 कर्मचारियो पर किये गए सर्वे में सामने आया हैं।इसमें 70 फीसदी यानी करीब 66,000 शिक्षक थे।

दरअसल विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी इलेक्शन मैनेजमेंट प्लान तैयार करने के लिए सभी जिलों से जानकारी मंगाई गई थी।इनमें एक बिंदु पिछले चुनाव का भी था।इसमें यह बताया गया था कि कहा कहा दिक्कतें आईं और किन स्थानों में कोई दिक्कतें नही हुई।

इसके प्रारम्भिक अध्ययन से पता चला था कि जिन मतदान केंद्रों में गलतियां नही हुई हैं वहाँ के पीठासीन अधिकारी या सहायक मतदान कर्मचारी शिक्षक थे। इसके बाद निर्वचन अधिकारियो ने निष्कर्ष निकाला कि शिक्षको का काम परफेक्ट था।

चुनाव के दौरान 70 फीसदी शिक्षको या शिक्षा विभाग से जुड़े स्टाफ की लगाई जाती है।मात्र 30 फीसदी दूसरे विभाग के कर्मचारी होते हैं।मतदाता सूची तैयार करने से लेकर चुनाव ड्यूटी और मतगणना सबकी अलग अलग स्तर पर ट्रेनिंग कराई जाती है जो कुछ सिखाया जाता है उसे भलीभाँति समझते है वही अन्य विभाग के कर्मचारियो के कामो में गलतियां देखी गयी है।

उदाहरण के लिए 65 से ज्यादा बूथों में मॉक पोल के वोट डिलीट नही किये गए थे,इसे लेकर विवाद भी हुआ था।कई जगह पीठासीन अधिकारियों ने डायरी में सही जानकारियां नही भरी थी।कई मतदान केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे ही गलत तरीके से लगाये गए थे।

इस बूथों के अध्ययन से पता चला कि वहाँ शिक्षको की ड्यूटी नही थी।अध्ययन के अनुसार शिक्षक इसलिए भी बेहतर साबित होते है क्योंकि ईमानदारी से काम करते है,वे लिखा पढ़ी में उस्ताद होते है और नियमो से भी अच्छी तरह वाकिफ होते है।

गौरतलब है कि चुनाव में बेहतर प्रबन्धन के लिए छत्तीसगढ़ को पिछले साल राष्ट्रपति ने बेस्ट स्टेट का एवार्ड दिया था ।विधानसभा चुनाव में एक भी मतदान चुनाव के दौरान एक भी मतदान केंद्र पर री-पोल की स्थिति नही बनी।शिक्षको की काबिलियत को देखते हुए छत्तीसगढ़ के सीईओ दफ्तर में भी स्कूल,कॉलेजों के शिक्षक तैनात किए गए थे ,जिनकी विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका रही।शिक्षको ने अंग्रेजी के किताबो का ट्रांसलेट कर इलेक्शन मैंनेजमेंट तैयार किया,जो इलेक्शन सफलता का पर्याय बना।

शिक्षक ड्यूटी में सबसे ज्यादा संख्या एलबी और पँचायत संवर्गो का ही रहता है जो इलेक्शन जैसे राष्ट्रीय कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम देते है।

शिक्षको के इस सफलता के लिए छग सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय पदाधिकारी मनीष मिश्रा,शिव सारथी,सुखनन्दन यादव,रंजीत बनर्जी,सीडी भट्ट,अजय गुप्ता,अश्वनी कुर्रे,छोटेलाल साहू,बसन्त कौशिक,संकीर्तन नन्द,हुलेश चन्द्राकर सम्भाग प्रभारी दिलीप पटेल,सिराज बख्श,शिव मिश्रा,रवि लोह सिंह,कौशल अवस्थी जिलाध्यक्ष शंकर साहू,डीएल पटेल,पुरषोत्तम झाड़ी,कृष्णा वर्मा,देवेंद्र हरमुख,देवराज खुटे,अशोक नाग,बलराम यादव,मुकेश सिन्हा,उत्तम बघेल,देवेंद्र देवांगन,गजेंद्र घुमसरे,टिकेश्वर भोई,विश्वास भगत,विजय साहू,विनोद पाल अशोक तिवारी,धीरेंद्र साहू,शिव साहू,ईश्वर चन्द्राकर सहित सभी प्रान्त ,जिला,ब्लाक व संकुल के पदाधिकारियो ने बधाई देते हुए कहा है कि इस सब के बावजूद आज शिक्षक ही उपेक्षित है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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