चुपचाप चला गया कारगिल का महानायक….किसी ने नहीं किया याद..सेना की दुहाई देने वालों ने भी…हम शर्मिन्दा हैं कर्नल

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—(अतिथि की कलम से) -देशवासियों को 1999 का कारगिल युद्ध तो याद ही होगा। यह युद्ध पाकिस्तान और आईएसआई के कुटिल चाल का नतीजा था। यद्यपि देश के जवानों ने खुद का सिर देकर भारत माता का सिर उंचा किया। कारगिल युद्ध से जुड़ी तमामा बातें होंगी। याद होंगा वह स्थान भी जिसे शहीद बत्रा समेत कई जवानों ने अपने आपको होम कर पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया। देश के एक-एक इंच जमीन और पहाड़ियों से दुश्मनों को लौटने के लिए मजबूर कर दिया। ऐसे ही एक पहाड़ी का नाम है तोलोलिंग…शायद ही कोई इस पहाड़ी को अभी भी भूलना चाहता हो। अफसोस इस महत्वपूर्ण पहाड़ी जीतने वाला भारत माता का बदाहुर बेटा चुनाव की भीड़ में हमसे बहुत दूर चुपचाप चला गया। इसकी भनक तक भी किसी को नहीं लगी। अफसोस देश की मीडिया ने भी उन्हें याद नहीं किया।
                             देशवासियों को आज भी कारगिल का तोलोलिंग पहाड़ी नहीं भूला होगा। लेकिन हमने उसके नायक को जरूर भुला दिया। यदि ऐसा नहीं होता तो चुनाव के बीच भारत माता के महान सपूत को चुपचाप कोई रूखसत नहीं होने देता।  बताते चलें कि 1999 में करगिल के तोलोलिंग पहाड़ी पर जंग जारी थी।
तोलोलिंग की पथरीली पहाड़ी का नाम विश्व के सबसे दुर्गम पहाड़ियों में लिया जाता है। करगिल युद्ध के दौरान सर्वाधिक यानि आधी से अधिक कैजुयल्टी तोलोलिंग पहाड़ी को हासिल करने के दौरान ही हुई । क्योंकि कारगिल की सबसे पेचीदा, मुश्किल , और खूनी जंग बिना अर्टिलरी सपोर्ट के यहीं लड़ी गई थी।
18 ग्रिनेडियर और 16 ग्रिनेडियर बटालियनो ने बेहिसाब नुकसान झेला था
                  महीने भर के संघर्ष और खून खराबा के बाद भी तोलोलिंग भारत की पहुँच से दूर थी।  जनरल वेद प्रकाश मलिक के लिए एक चुनौती थी। क्योकि भारतीय आक्रमण की धार यहाँ आकर कुंद हो जाती थी। ग्रिनेडियर्स के लगातार धावे केवल उनकी कैजुल्टियों का फिगर बढ़ा रहे थे। मजबूरन एक नई और ताजा दम बटालियन को तोलोलिंग जीतने का जिम्मा दिया गया।
                            कुपवाड़ा से नई बटालियन सेकेन्ड राजपूताना राईफल्स को 24 घंटे के अंदर गुमरी में रिपोर्ट करने को कहा गया। केवल एक दिन के बाद ही बटालियन को प्लानिंग करने की जिम्मेदारी कमांडिंग आॅफिसर कर्नल एम.बी.रविंद्रनाथ को दी गयी। कर्नल रविन्द्रनाथ ने बटालियन के चुनिंदा 80 एथलीटों और आफिसर्स की चार टीमें बनाकर  युद्ध के लिए तैयार किया। वास्तव में यह एक आत्मघाती मिशन था। रात को आठ बजे धावा बोलने  से पहले पेप टाक में  कर्नल रवींद्रनाथ ने अपने 80 सूरमाओं से सीधा संवाद किया। कुछ संवाद कुछ इस तरह का था।
जब चीखकर कहा..मेरे बचोचों मुझे तोलोलिग दे दो
               कर्नल रविन्द्रनाथ ने कहा मैं तुम्हारा CO हूँ। तुम्हीं लोग मेरा परिवार हो, तुमने बटालियन के लिए  खेल के मैदानों में मैडल ही मैडल जीते हैं। तुमने जो भी माँगा मैंने दिया है। क्या मैं तुमसे अपने लिए एक चीज  माँग सकता हूँ ???
                      दूसरी तरफ से आग्रह भरी आवाज जवानों की होती है। इसके बाद चीखते हुए रवींद्रनाथ ने कहा मेरे बच्चों ! आज मुझे तोलोलिंग दे दो….इससे कम या ज्यादा मुझे कुछ नहीं चाहिए।
                                 रविन्द्रनाथ ने धावा बोलने वाली टीम को भावनात्मक रूप से इतना ज्यादा चार्ज कर दिया कि….सूबेदार भंवर लाल भाखर
पेप- टॉक के बीच में ही बोल पड़ा….सर ! आप सुबह तोलोलिंग टाॅप पर आना, वही मिलेंगें। मजेदार बात है कि इसके आठ घंटे बाद जो सुबह जो कुछ हुआ उसे पुूरी दुनिया देखते ही रह गयी। रविन्द्रनाथ की हुंकार और जवानों के जोश ने भारत माता के माथे पर विजय की एक और गाथा लिख दी। ऐसी गाथा जिसे हमेशा युद्ध के इतिहास में सुनहरे पन्नों में सहेजकर रखा जाएगा।
घमासान खूनी संघर्ष के बाद जीत
घमासान और खूनी संघर्ष के बाद…सेकेंड बटालियन द राजपूताना राईफल्स  ने ऊँची चोटी पर बैठे 70 से ज्यादा  पाकिस्तानियों के हलक में हाथ डालकर “विजयश्री” हासिल तो की। लेकिन बहुत बडी कीमत चुका कर। हमारे आॅफिसर्स, 5 जीसीओएस और 47 जवानों को तोलोलिंग की पथरीली ढलानो ने लील लिया। लगभग इतने ही जवान गंभीर रूप से जख्मी हुए।
रविन्द्रनाथ बने महानायक
  बलिदान की इस निर्णायक घड़ी में  महानायक बनकर उभरे थे। कर्नल रवींद्रनाथ ने अपनी बटालियन को ऐसे मोड़ पर कमांड और लीड किया। जिसकी बड़ी कीमत चुकाकर देश को तोलोलिंग हासिल हुआ। दुनिया को तोलोलिंग जीत को टर्निंग ऑफ कारगिल वार कहना पड़ा। माना जाता है. केवल इसी लड़ाई ने
कारगिल युद्ध का पांसा भारत के पक्ष में पलट दिया। मगर कीमत भी  भारत ने बहुत बड़ी चुकाई थी।
                               तोलोलिंग को जीतने में मेजर आचार्य , मेजर विवेक गुप्ता ,  कैप्टन नेमो , कैप्टन विजयंत थापर ,  सूबेदार भँवरलाल भाखर , सूबेदार सुमेर सिंह , सूबेदार जसवंत , हवलदार यशवीर तोमर , लांस नायक बचन सिंह ने तोलोलिंग तो जीत लिया। लेकिन सुबह का सूरज नहीं देखा।
पाकिस्तनी मेजर के सिर को बनाया वार ट्रॉफी
                         नायक दिगेन्द्र कुमार ने वार ट्राॅफी के तौर पर  पाकिस्तानी सेना के मेजर अनवर खान का  सिर काटकर रख लिया।  मेजर विवेक गुप्ता और नायक दिगेन्द्र कुमार महावीर चक्र से नवाजे गये। जबकि कर्नल रवींद्रनाथ , हवलदार यशवीर , सूबेदार सुमेर सिंह को वीर चक्र से नवाजा गया । युद्ध की सफलता का सेहरा , कर्नल रवींद्रनाथ के सिर बंधा जिसके लिए हकदार भी थे।
                                     कारगिल युद्ध के बाद  कर्नल रविन्द्रनाथ रिटायर हो गये।  मगर तोलोलिंग की चोटियो पर शहीद हुए जवानों के परिवारजनो के लिए उन्होने अपना जीवन समर्पित कर दिया। रिटायर होने के बाद कर्नल रविन्द्रनाथ प्रत्येक शहीद के बच्चों और विधवाओ से  वो नियमित संपर्क में  रहे। शहीदों के बच्चो की स्कूलिंग , विधवाओ की पेंशन , बूढ़े बुजुर्गो की चिकित्सा के सारे मामले कर्नल रविन्द्रनाथ ने संभाला। मिलिट्री स्कूल छैल धौलपुर और अजमेर में उन्होंने शहीदो के बच्चों की बेहतर पढाई और व्यक्तित्व निर्माण का जिम्मा उठाया।
                तोलोलिंग पर शहीद हुए LMG गनर लांस नायक बचन सिंह के पुत्र हितेश कुमार ने हाल ही में इंडियन मिलिट्री ऐकेडेमी देहरादून से अपने पिता की बटालियन में अफसर के तौर पर कमीशन लिया है। उनकी माता श्रीमती कामेश बाला  ने बेटे के कमीशन का श्रेय कर्नल रविन्द्रनथ को दीं। कामेश बाला ने कहा कर्नल साहब ने शहीद हुए सैनिको के बच्चों को कभी अकेला नही छोड़ा।नियमित रूप से सबकी समस्याओं को सुना। समाधान भी निकाला।
चुपचाप हो गए रूखसत..हमें माफ करना कर्नल
                                    सैनिक स्कूल बीजापुर के पूर्व छात्र  और Stalwart officer के तौर पर फेमस, कमांडर ने चुनावी चीख के बीच असमय दुनिया को
अलविदा कह दिया। उनकी आवाज को फौजी की दुहाई देने वाले नेताओं ने भी नहीं सुना। विश्व सेना की दुनिया में बेहद योग्य कमांडरो में से एक भारत माता का बेटा कर्न एमबी रविन्द्रनाथ दुनिया से रुखसत हो गया…वह भी चुपचाप। Unsung and unknown… नेशनल मीडिया तो छोड़िये , सोशल मीडिया तक में कोई खबर , शोक संदेश ,या कानाफूसी तक नहीं की। गजब है यह देश और गजब हैं नागरिक और हमारे नेता। लेकिन सीजी वाल परिवाह जरूर कहेगा..हमें माफ कर दो कर्नल साहब।
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