छत्तीसगढ़:सरकारी कर्मचारियों के इंक्रीमेंट पर रोक,बीमा कवर जैसी सुविधाएं न देकर सरकार ने ऊपर से कर दिया कुठाराघात

Shri Mi
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(मनीष जायसवाल )छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारियों को 27 मई बुधवार का दिन बुरी खबर लेकर आया । कोविड -19 कोरोना वायरस के कारण लगता है कि राज्य की माली हालत खराब है जिसकी वजह से राज्य को राजस्व प्राप्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा उत्तपन्न हो गया है जिस वजह से  राजस्व प्राप्ति की भरपाई कर्मचारियों के इस वर्ष के इंक्रीमेंट से की जानी मालूम पड़ती है। इसी वजह से प्रदेश के समस्त कर्मचारियों को सालाना मिलने वाली एक वेतनवृद्धि पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी है मंहगाई भत्ता रोकने के बाद  वेतन वृद्धि रोककर सरकार ने कर्मचारियों को निराश कर दिया है।जिसकी वजह से राज्य के कर्मचारी वर्ग नाराज है.सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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राज्य के शिक्षक, लिपिक, पुलिस, अधिकारी कर्मचारी व इनके कर्मचारी नेताओ में कुछ के बयानों प्रेस नोट व इनसे  हुई चर्चा में  यह बात सामने निकल कर आती है कि कोरोना से निपटने में राज्य के बहुत से सरकारी कर्मचारियों ने बहुत मेहनत की है…. !सरकार को संकट के काल में कर्मचारी केंद्रित नीति अपनानी चाहिए। पहले से ही महंगाई भत्ते लंबित है… ऐसा लगता है कि वेतन वृद्धि रोक करके सरकार ने प्रदेश के कार्मिकों के पीठ पर सीधे छुरा घोपने का काम कर रही हो। नई भर्तियां भी नहीं होंगी पदोन्नति भी नहीं होगी और तबादले स्वयं के व्यय पर सीमित किए जाएंगे। मासिक वेतन से जबरिया कटौती भी की जा रही है।  सरकार का यह निर्णय कर्मचारियों हितों के साथ कुठाराघात है। मुक्त कोरी की घोषणाओं को पूरा करने के लिए शासकीय कर्मियों के मूलभूत आवश्यकताओं और सुविधाओं की कमी की अनदेखी करना सरकार का बेरुखी भरा कदम है।

राज्य के कर्मचारियों का मानना है कि सभी शासकीय सेवकों को जिनकी ड्यूटी कोरोना से संबंधित किसी भी कार्य में लगाई गई है 50 लाख का बीमा कवर सरकार को देना चाहिए एवं उन्हें फील्ड में इस कार्य के लिए भेजते समय भोजन भत्ता, वाहन भत्ता और 10% विशेष भत्ता सहित सुरक्षा के उपकरण मुहैया कराए जाने चाहिए। सरकारी खर्चों में कटौती कर, सरकारी आयोजनों के भारी-भरकम व्ययों में कटौती कर, विधायक और मंत्रियों को मिलने वाली आलीशान सुविधाओं और सेवाओं में कमी कर, सरकारी विज्ञापनों के भारी-भरकम खर्चों पर रोक लगाकर,पूर्व मंत्री विधायको के पेंशन में कटौती कर,सरकारी खरीदी में पारदर्शिता लाकर, केवल औचित्यपूर्ण व्यय की अनुमति देकर राजकोष में अभिवृद्धि की जा सकती है।आपदा से परेशान कर्मचारियों को सरकार परेशान कर बंद कर स्व अनुशासन और मितव्ययिता से काम करे तो हजारों करोड़ रुपयों का प्रबंध किया जा सकता है।

इस विषय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए  आप पार्टी के बिलासपुर जिला सचिव विनय जायसवाल का कहना है कि राज्य के कर्मचारी राज्य की एक महत्वपूर्ण बुनियाद होते है।छत्तीसगढ़ सरकार इनका हक मार कर बड़ी गलती कर रही है।  आय के लिए मितव्यव पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।मुख्यमंत्री को सबसे पहले राजनीतिक आधार पर नियुक्त किये गए सलाहकारो की छुट्टी कर देनी चाहिए जिन्हें बिना सेटअप के रखा गया है।प्रतिव्यक्ति वेतन और सुविधाओं सहित लाखो रुपये इन पर प्रतिमाह खर्च किये जा रहे है। कर्मचारियों के वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को वापस लेना चाहिए।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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