छत्तीसगढ़ के गर्भ से पैदा हुए राम…विश्वशांति का दिया संदेश…सदआचरण की माटी को विजय कौशल ने किया नमन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— रामकथा के तीसरे दिन खचाखच भरे पण्डाल में हजारों आखों से आसूं की धार बहते देखा गया। प्रसंग ही कुछ ऐसा था..कि पत्थर दिल पिघल जाए। फिर आंसू छलछला कर आंख से ना निकले कैसे सम्भव था। राम वनवास का चित्रण विजय कौशल महाराज ने कुछ इस अंदाज में किया पंडाल के कोने कोने से केवल और केवल हिचकियां ही सुनाई दे  रही थी। महाराज ने वनवास का प्रसंग कुछ इस तरह से पेश किया कि चारो तरफ त्याग,तपस्या, समर्पण,बलिदान और प्यार को महसूस किया जा सकता था।

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                            रामकथा के तीसरे दिन विजय कौशल महाराज ने राम वनवास का जीवन्त चित्रण किया। महाराज ने कहा कैकेयी और मन्थरा का राम से बहुत अनुराग था। कौशल्या और सुमित्रा से भी अधिक राम को कैकेयी प्यार करती थी। अपने बेटे भरत से भी अधिक…यही कारण है कि विधाता ने वन गमन के लिए कैकेयी को ही माध्यम बनाया। ताकि मां की ममता उन्हें अभियान से पीछे से ना खींचे।

                     महाराज ने बताया कि भगवान राम धर्म और अनुशासन की मूर्ति हैं। उनके अवतार का मुख्य उद्देश्य धरती पर मानव वासयों के बीच प्यार को बढ़ाना। और उनकी कथा का भी कमोबेश यही उद्देश्य है। महाराज ने बताया कि एक परिवार किस तरह का होना चाहिए। परिवार और समाज के सदस्यों का आचरण कैसा होना चाहिए। लोगों के बीच परस्पर स्नेह  कैसा हो। मानव अवतार लेने के बाद यही संदेश राम ने दिया। प्रजावत्सल राजा किस तरह का होना चाहिए इस बारे में भी राम ने प्रतिमान स्थापित किया। महाराज ने कहा राम ने रावण नहीं बल्कि धर्महीन आचरण करने वालों को दण्ड दिया था।

                         पण्डाल में हिचकियों और छलछलाती आंखों के बीच महाराज ने बताया नारी… युंगो से भारतीय परम्पराओं की केन्द्र बिन्दु में रही हैं। नारी में शक्ति,त्याग,और समर्पण की भावना ईश्वर ने कूट कूट कर भरा है। इसका जीता जागता उदाहरण मानस की चौपाइयों में देखने को मिलता है। मानस में बताया गया है कि बेटा और भाई कैसा हो। स्त्री और पुरूष के बीच सम्मान की भावना कैसी हो..वचन और आदेश का महत्व क्या है…सब कुछ मानस में लिखा है।

                          महाराज ने बताया कि सुमित्रा ने नहीं पूछा कि राम के साथ लक्ष्मण क्यों जाएं। उल्टा लक्ष्मण को कहा मैं तुम्हारी असली माता नहीं बल्कि सीता तुम्हारी मां और राम पिता हैं। मां बाप की सेवा करना भाई और बेटे का सबसे बड़ा धर्म है। कौशल्या ने तो यहां तक कहा  कि जहां राम होंगे वहीं अयोध्या होगी। विजय कौशल ने बताया कि सदआचरण से ही घर स्वर्ग बनता है। राम सदआचरण के प्रतीक थे। उन्होने धरती पर धर्म स्थापना के लिए अवतार लिया। लेकिन आज हमारा समाज राक्षसी प्रवृति का शिकार हो चला है। अब राम की कथा ही रामराज्य को स्थापित करेगा।

                        विजय कौशल ने कहा धन्य हो छत्तीसगढ की माटी जिसके गर्भ से राम पैदा हुए। कौशल्या की धरती को नमन् करता हूं। मै इस शांति और समृद्ध की धरती को नमन और वंदन करता हूं। यहां की आबोहवा ने ही विश्व में रामराज्य की परिभाषा को गढ़ा है।

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