बिलासपुर । छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से लिए गए आबादी के हिसाब से आरक्षण के फैसले के खिलाफ नौजवानों ने कलेक्टोरेट के सामने जबरदस्त प्रदर्शन किया । उन्होने राज्यपालके नाम एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा गया है कि आरक्षण का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई व्यवस्था के खिलाफ है। इससे अवसर की समानता संबंधी संविधान के अनुच्छेद का भी उल्लंघन हो रहा है।
बुधवार को बड़ी तादात में कलेक्टोरेट के सामने पहुंचे नौजवानों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया । उन्होने आबादी के हिसाब से दिए गए आरक्षण के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिससे काफी समय तक कलेक्टोरेट मे माहौल बना रहा। प्रदर्शनकारियों की ओर से राज्यपाल के नाम पर एक ज्ञापन सौंपा गया है। जिसमें कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने हाल ही में ओबीसी वर्ग ( नॉन क्रिमिलेयर ) का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। जबकि इंदिरा शाहनी मामले में सुरप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं किया जा सकता । लेकिन छत्तीसगढ़ में आरक्षण 72 प्रतिशत पहुंच गया है। इस निर्णय से संपूर्ण अनारक्षित वर्ग और एसटी – एससी समुदाय ठगा महसूस कर रहा है। साथ ही सरकार के इस निर्णय से अन्य सभी वर्गों के योग्यता को दरकिनार किया जा रहा है। यह संविधान में मिले समानता और समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन हैै। इस वजह से पूरे प्रदेश के संपूर्ण अनारक्षित वर्ग एवं एसटी – एससी सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं और इसके लिए इकट्टे होकर इस निर्णय का विरेध कर रहे हैं। उन्होने यह भी स्पष्ट किया कि वे आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन आरक्षण नियमों के अनुसार होना चाहिए । उन्होने ज्ञापन में राज्यपाल से न्याय की गुहार की है।
इस प्रदर्शन के दौरान कलेक्टोरेट में बारी गहमागहमी का माहौल रहा।