छत्तीसगढ़ में स्कूल खोलने की जल्दबाजी पर पालकों ने उठाए सवाल..! अगर बच्चे संक्रमित हुए तो जवाबदेही किसकी..?

Shri Mi
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सूरजपुर(मनीष जायसवाल)छत्तीसगढ़ मे कोरोना का संक्रमण दिन बढ़ता जा रहा है।बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया में कोरोना काल में  शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठाए गए।जिसमे एक मैसेज  पत्र बन कर  खूब वायरल हुआ इसमे कोरोना काल मे एक जुलाई से स्कूल खोलने जाने को लेकर अभिभावकों के शासन से कुछ सवाल थे..! मैसेज जैसे जैसे वायरल होते गए इसमे नए नए शब्द जुड़ते जुड़ते  गए और यही शब्द शासन से अभिभावकों के खुले  सवालों भरे पत्र के रूप में परिवर्तित हो गए । इस पत्र की आवाज सोशल मीडिया में कही दब कर शांत हो गई। …प्रदेश के शिक्षा विभाग के कर्णधार माने जाने वाले अधिकारीयो व सत्ता पक्ष तक सम्भवतः यह वायरल पत्र पहुँचा नही होगा…!पालकों का वायरल  पत्र  फिर से सुर्खियों में आ गया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

             
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जिसकी बड़ी वजह इजराईल के स्कुलो से जुड़ी हुई है।इजरायली सरकार ने मई के आखिरी सप्ताह में स्कूल खोल दिए थे स्कूल खोलने के बाद बच्चे और स्कूली स्टाफ कोरोना से संक्रमित हो गए हैं. NPR की खबर  के अनुसार   इजरायली स्कूल (Israel schools) से जुड़े 261 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक 261 संक्रमितों में 250 बच्चे हैं…! यह खबर आग ही तरह पालकों के बीच वायरल हो रही है। एक जुलाई से स्कूल खोलने की तैयारी  पर  विरोध के रूप में यही आवाजे आ रही है कि ” हमारे बच्चे सरकार और उनके अफसरों के लिए टेस्टिंग किट नही है”….! 

अब पालक सवाल उठ रहे है कि  .. शिक्षा विभाग में होने वाले इस प्रयोगों में अगर बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए तो ..इसकी जवाबदेही किसकी होगी …?   .. स्कूल प्रबंधन …..! शिक्षक …..!  शिक्षा विभाग के अधिकारी ……! स्थानीय जिला प्रशासन …..! जिले के जन प्रतिनिधि …! शिक्षा प्रमुख सचिव …! शिक्षा मंत्री …! प्रमुख सचिव ….! मुख्यमंत्री……! आखिर कौन बच्चों की जवाबदेही लेगा कि बच्चों को कोरोना काल में स्कूल में कोरोना संक्रमण नही होगा।वायरल हुए मैसेज के अनुसार है कोविड 19 कोरोना काल मे अगर आप जुलाई से अपने बच्चे को स्कूल भेजने की सोच रहे है तो विचार करिए…! प्रदेश में एक जुलाई से स्कूल खोलने की बात की जा रही है, जहां हम पर रोज नये नये नियम कानून थोपे जा रहे हैं, जैसे धारा 144, सप्ताह में तीन दिन दुकान, सोशल फिजिकल डिस्टेंसिंग, रात का कर्फ्यू के 7 से 9 बजे के बाद सब बंद, घूमने फिरने पर रोक। इस काल मे जिला जिला स्तर पर ही  प्रशासन के निर्णयों में भिन्नता  क्यो है ..?

स्कूली बच्चो को समय समय पर मास्क कैसे उतारना, पुन: कैसे पहनना, पानी पीने व टिफिन खाते समय मास्क कैसे हटाना, हाथ किस व कैसे सैनिटाइजर से कितनी देर तक कैसे धोना इन सब नियमो का पालन बच्चे कैसे कर पायंगे।  छोटे बड़े बच्चों को मास्क पहने रहना क्या संभव रहेगा। रोजाना स्कूल के दौरान साबुन सैनिटाइजर के अधिक उपयोग से बच्चों की सेहत पर विपरीत असर तो नही होगा स्कूल में फिजिकल डिस्टेंसिंग का  ध्यान  कौन और कैसे रखेगा …?  स्कूल शिक्षा विभाग निजी औऱ सरकारी स्कुलो में नया कोरोना सुपरवाइजर नियुक्त करेगा..? या इस भूमिका को भी शिक्षक ही निभाएंगे ..? 

बच्चों के स्कूल आने जाने के साधनों ऑटो, टेंपो स्कूल बसों के सेनेटाइजेशन करने के नियम बनते है तो इसकी  निगरानी कौन करेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली बच्चे संसाधनों के अभाव में  सार्वजनिक बसों औऱ लिफ्ट लेकर आना जाना करते  है  वे दो गज की  दूरी फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन कर पायंगे ..?

क्या सरकार यह दावा कर सकती कि कोरोना वायरस का संक्रमण कम हो रहा है..? यह  कोरोना बच्चों को ज्यादा हानि नहीं पहुंचाता है…? स्कूल के टीचर, आया बाई, चपरासी, बस ड्राइवर, कंडक्टर, गार्ड सभी कोरोना टेस्ट में नेगेटिव साबित होने के बाद ही बच्चों के सामने लाए जायेंगे?एक एक कक्षा में जहां  40 से 60 तक बच्चे होते हैं वहां 5 से 6 फुट की फीट की दूरी ।बनाए रखी जाएगी…? प्रार्थना स्थल पर तथा छुट्टी के समय जब बच्चे आपस में टकराते हुए निकलते हैं तब यह दूरी बनाए रखी जा सकेगी?क्या दो गज के नियमो का पालन होगा ..? 

प्रायोगिक तौर पर स्कूल खोलने का निर्णय निजी स्कुलो के लाभ से तो नही है..? ताकि स्कूल खुले और अभिभावकों फीस भरे बाद में  कोरोना संक्रमण का हवाला देकर स्कूलो को बंद का दिया जाए। गणित के सूत्र , भौतिकी ने नियम और न ही इतिहास इन चार छह महीनों में  बदलने वाला है । फिर इतनी हड़बडाहट क्यो है…?   स्कूल के सिस्टम का पाठ्यक्रम  विकट परिस्थिति में बचना या जिंदा बचे रहना सिखाया है..?

मैसेज के अंत मे कहा गया है कि एक जागरूक जनता और जिम्मेदार माता पिता बने और अपने बच्चों को सरकार की शिक्षा नीतियों के वजह सेकोरोना का ग्रास बनने से बचाए ..आप किसी भी धर्म को मानने वाले हों या किसी भी राजनीतिक पार्टी की विचारधारा के समर्थक हो उससे फर्क नही पड़ता है… सबसे महत्वपूर्ण यह है…कि आप एक पालक हो बच्चों के माता पिता हो और कोरोना काल में खतरों के बीच  इतनी जल्दी स्कूल खोलने का विरोध जरूरी है। इस पर विचार करना आवश्यक है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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