छत्तीसगढ़ व्यापम मामले की सीबीआई जाँच होःकांग्रेस

Chief Editor

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रायपुर । प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ व्यापंम के पी एम टी पर्चा कांड में न्यायलय का फैसला आने के बाद फैसले में माननीय न्यायलय द्वारा की गयी तल्ख टिप्पणीयां भाजपा सरकार के लिय शर्मनाक है। पी एम टी पर्चा कांड में सरकार पर जांच को प्रभावित करने और दोषियों को बचाने का आरोप कांग्रेस शुरू से लगाती रही है।

उन्होने अपने बयान में आगे कहा है कि तत्कालीन प्रदेश  कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और विधायक दल के नेता रविन्द्र चैबे ने छत्तीसगढ़ के व्यापम मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक और मंडल के अध्यक्ष की नियुक्तियों और उनकी भूमिका पर लगातार सवाल खड़े किये थे। माननीय न्यायलय ने भी परीक्षा नियंत्रक और व्यापम के दोषी कर्मचारियों को आरोपी नही बनाने पर सवाल खड़ा करते हुए डी.जी.पी को पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच करने उनपर आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिये है। इसी से यह साबित हो जाता है कि पुलिस ने उच्चस्तरीय दबाव के कारण मामले को दबाने और प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिय जांच के नाम पर खाना पूर्ति मात्र की थी। माननीय कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट कहा है कि प्रश्न- पत्र की छपाई करने वाली महिमा पत्रन प्रा.लि. आगरा और व्यापम के अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण के कारण ही पर्चा लीक हुआ और पुलिस की जांच इस बिन्दुपर मौन है। पुलिस का यही मौन पूरी भाजपा सरकार को कटघरे में खडा करता है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी ने मांग की है कि तत्कालीन मुख्य सचिव की नकारात्मक टिप्पणी के बावजूद बी.पी त्रिपाठी को परीक्षा नियंत्रक क्यों बनाया गया ? बी.पी त्रिपाठी को परीक्षा नियंत्रक बनाने के लिय किसने तत्कालीन मुख्य सचिव की नोटशीट में दी गयी आपतियों को दरकिनार  दिया था ? विजयेन्द्र सिंह को व्यापम का अध्यक्ष बनाने की किसने विशेष अभिरूचि दिखाई थी ? विजयेन्द्र सिंह किसका रिश्तेदार  था, इसकी भी जांच होनी ही चाहिये ? तभी छत्तीसगढ़ व्यापम के पीएमटी पर्चा कांड को राजनैतिक संरक्षण देने वालो का बदनुमा चेहरा जनता के सामने आयेगा और असली दोषियों को सजा मिलेगी। माननीय न्यायलय ने डी.जी.पी को जांच करने को कहा है। लेकिन जिसे भाजपा सरकार ने पुलिस अधीक्षक पर जांच प्रभावित करने दबाव बनाया करती है, वह डी.जी.पी पर भी दबाव बना सकती है। न्यायलय के फैसले से छत्तीसगढ़ व्यापम मामले में की सी.बीआई जांच से सच्चाई सामने आ सकती है।

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