वाड्रफनगर(आयुश गुप्ता)छत्तीसगढ़ में परिवहन विभाग के लापरवाही का इन दिनों बस परिवहन करने वाले संचालक जम कर लाभ उठा रहे है छत्तीसगढ़ से यूपी के बनारस तक जाने वाली विभिन्न यात्री बसों को धनवार छत्तीसगढ़ बॉर्डर तक का परमिट है। पर इन बसों को उत्तर प्रदेश ले जाया जा रहा है हालत यह है कि जिस धनवार के नाम से परिवहन विभाग निजी बसों को परमिट जारी करता है वहां ना तो बसों के रुकने के स्थान है और ना ही कोई बस स्टैंड और तो और देखिए धरवार से सरगुजा जिले की अंबिकापुर शहर की दूरी महज 100किलोमीटर है और इन बसों के द्वारा यात्रियों को जो टिकट दी जाती है उसमें धनवार से अंबिकापुरया अंम्बिकापुर धनबाद तक का टिकट दिया जाता है जिसकी कीमत ₹400 ली जाती है.अब परिवहन विभाग यह बताएं कि 100 किलोमीटर की दूरी का ₹400 भाड़ा कैसे बनता है साथ ही यह बस धनवार परमिट मे बनारस कैसे पहुंच जाती हैं।
इस मायाजाल को तो परिवहन विभाग ही ज्यादा जानता होगा ? इस संबंध में बस में यात्रा कर रहे यात्रियों से जब पूछा गया तो उनका कहना था कि बस बनारस से अंबिकापुर तक चलती हैं और बीच के स्टॉपेज धनवार तथा वाड्रफनगर के नाम से सीट भी नहीं दिया जाता है साथी अगर वाद विवाद की स्थिति हुई तो एजेंटों द्वारा गाली गलौज एवं मारपीट तक की नौबत आ जाती है ।
परेशान यात्री इस आशय की शिकायत कई बार वरिष्ठ अधिकारियों एवं एवं पुलिस के अधिकारियों से भी की किंतु उन्हें कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही इस संबंध में जब छत्तीसगढ़ के सरहदी थाना क्षेत्र बसन्तपुर के थाना प्रभारी ए के लकडा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यात्री बसों को रात्रि में जांच किया गया जिसमें धनवार तक का उनका परमिट है किन्तु बसे धनवार में स्टाप नही होती है। कुछ बसें टूरिस्ट परमिट परमिट के आड़ में चल रही है शिकायतों पर जांच कर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी वही इस संबंध में छत्तीसगढ़ के रायपुर परिवहन कमिश्नर ओ पी पाल ने कहा कि कि मामले की परिवहन विभाग द्वारा जांच कराई जाएगी।