छत्तीसगढ़ सरकार ने बढ़ाया कस्टम मिलिंग रेट

Shri Mi
8 Min Read

mantralay_rprरायपुर।राज्य सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग नीति के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश पिछले महीने की चार तारीख को जारी किए गए हैं। पूर्व में जारी नीति में कस्टम मिलिंग पर प्रोत्साहन राशि और मिलर के पास कस्टम मिलिंग के पश्चात बचत एकभरती बारदाने की व्यवस्था में संशोधन किया गया है। संशोधित नीति खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा मंत्रालय से प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को जारी कर दिया गया है।
संशोधित परिपत्र के अनुसार खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 में उपार्जित एवं राज्य शासन द्वारा संधारित शासकीय धान की अरवा-उसना कस्टम मिलिंग पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित कस्टम मिलिंग दर के अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदाय की जाएगी। इसके तहत मिलर के द्वारा मिल की दो माह की मिलिंग क्षमता से कम धान की अरवा मिलिंग कर सम्पूर्ण चावल जमा करने पर कोई प्रोत्साहन राशि देय नहीं होगी, केवल भारत शासन द्वारा निर्धारित कस्टम मिलिंग दर प्रदाय की जाएगी। किन्तु विशेष परिस्थितियों-धान उपार्जन एजेंसी द्वारा मिलिंग हेतु धान उपलब्ध नही कराए जाने की अवस्था आदि में प्रबंध संचालक मार्कफेड के द्वारा प्रकरण के पूर्ण परीक्षण के बाद गुण दोष के आधार पर मिलर के द्वारा मिल की गयी धान की मात्रा पर दो माह की मिलिंग क्षमता के बराबर धान मिल करने पर निर्धारित प्रोत्साहन राशि प्रदाय की जाएगी।
मिलर के द्वारा मिल की दो माह की मिलिंग क्षमता के बराबर धान की कस्टम मिलिंग कर सम्पूर्ण चावल जमा करने पर अरवा कस्टम मिलिंग के लिए 30 रूपए प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि प्रदाय की जाएगी। मिलर के द्वारा मिल की दो माह की मिलिंग क्षमता से अधिक एवं छह माह की मिलिंग क्षमता तक धान की कस्टम मिलिंग कर चावल जमा करने पर अरवा कस्टम मिलिंग के लिए 40 रूपए प्रति क्विंटल और उसना कस्टम मिलिंग के लिए 10 रूपए प्रति क्विंटल के मान से प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा। यह राशि दो माह की मिलिंग क्षमता से अतिरिक्त मिलिंग कर जमा किए गए चावल की मात्रा के धान पर प्रदाय की जाएगी। मिलर के द्वारा मिल की छह माह की मिलिंग क्षमता से अधिक धान की कस्टम मिलिंग कर चावल जमा करने पर अरवा कस्टम मिलिंग के लिए 45 रूपए प्रति क्विंटल और उसना कस्टम मिलिंग के लिए 15 रूपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा। यह राशि छह माह की मिलिंग क्षमता से अतिरिक्त मिलिंग कर जमा किए गए चावल की मात्रा के धान पर प्रदाय की जाएगी।
परिपत्र के अनुसार खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 में मिलरों के पास शेष एकभरती बारदानों को मिलरों की अभिरक्षा में रखी धान उपार्जन एजेंसी (मार्कफेड) की परिसंपत्ति मानते हुए उनका उपयोग अगले खरीफ विपणन वर्ष में धान खरीदी के लिए किया जाएगा। मिलरों के पास शेष ऐसे एकभरती बारदानों की कटौती की दर भारत सरकार के निर्देशानुसार बारदानों की लागत 64 रूपए 64 पैसे प्रति नग का 62 प्रतिशत (40.10 रूपए प्रति नग) के मान से सुरक्षा निधी के रूप में धान उपार्जन एजेंसी द्वारा रखी जाएगी। इसमें से 50 प्रतिशत राशि बैंक गारण्टी के रूप में एवं 50 प्रतिशत राशि मिलर को देय भुगतान से कटौती कर रखी जाएगी। आगामी खरीफ विपणन वर्ष में ऐसे एक भरती बारदानों का उपयोग मिलर द्वारा किए जाने पर द्वितीय अवक्षयन (38 प्रतिशत की दर से) के पश्चात बारदानों की मूल कीमत की 24 प्रतिशत राशि की कटौती करते हुए शेष राशि अर्थात सुरक्षा निधि एवं दो बार अवक्षयित बारदाने के मूल्य के अंतर का भुगतान मिलर को किया जाएगा। इस तरह से मिलर को 15 रूपए 24 पैसे प्रति नग के मान से राशि वापस किया जाएगा। ऐसे दो भरती बचत बारदानों को मिलर की परिसम्पत्ति माना जाएगा।
मिलरों की अभिरक्षा में रखे गए एक भरती बारदानों का भौतिक सत्यापन शासन द्वारा निर्धारित समिति के माध्यम से किया जाएगा। इस समिति में भारतीय खाद्य निगम का प्रतिनिधि भी होगा। भौतिक सत्यापन में ऐसे एक भरती बारदानों की गुणवत्ता का परीक्षण भारत सरकार के मापदण्डों के अनुसार किया जाएगा। भारत सरकार को इस प्रकार के एक भरती बारदानों के उपयोग के संबंध में आवश्यक जानकारियां-उपलब्धता के स्रोत, मात्रा एवं उपयोग का उद्देश्य अगले खरीफ वर्ष में बुलाए जाने वाली अग्रिम योजना बैठक में अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की जाएगी। भौतिक सत्यापन के पश्चात मिलरों द्वारा उक्त बारदानों को धान उपर्जान के पूर्व ऐसी सहकारी समितियों में जमा कराया जाएगा, जिनसे मिलर को मार्कफेड द्वारा टैग किया गया हो। सहकारी समितियों में उक्त बारदानों की प्राप्ति के पश्चात पुनर्गणना कर समिति मॉड्यूल में आवश्यक प्रविष्टियां की जाएगी। धान उपार्जन के लिए दोबारा उपयोग के पश्चात ऐसे बारदानों को मिलरों की परिसम्पत्ति माना जाएगा।
परिपत्र में कहा गया है कि खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 की नीति के अनुसार खरीफ विपणन वर्ष 2015-16 के मिलर के पास बचे एक भरती बारदानों का भी इस वर्ष धान उपार्जन में उपयोग किया जाएगा। मार्कफेड के द्वारा मिलरों के पास खरीफ विपणन वर्ष 2015-16 के उपलब्ध लगभग 32 हजार गठान एक भरती जूट बोरों का भौतिक सत्यापन किया गया है। इनका उपयोग भी इस नीति के तहत किया जाएगा। अर्थात खरीफ विपणन वर्ष 2015-16 के मिलिंग पश्चात मिलर के पास बचत एक भरती जूट बारदाने की दर नए जूट बारदाने की लागत (53.15 रूपए प्रति नग) का 62 प्रतिशत अर्थात 32 रूपए 95 पैसे होता है। उक्त बारदाने का उपयोग खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 में किए जाने पर प्रति नग मिलर को अवक्षयन दर 38 प्रतिशत अर्थात 12 रूपए 52 पैसे होता है। वर्ष 2015-16 में एक भरती बारदानों की कटौती पर मिलरों को 9 रूपए 44 पैसे प्रति नग की सब्सिडी दी गई है। अतः ऐसे मिलरों को जो वर्ष 2015-16 का एक भरती बारदाना वर्ष 2016-17 में धान उपार्जन के लिए उपलब्ध कराएंगे, उन्हें सब्सिडी राशि 9 रूपए 44 पैसे का लाभ देते हुए दो बार अवक्षयित बारदाने की अधिशेष राशि 12 रूपए 52 पैसे प्रति नग का भुगतान किया जाएगा। इसके बाद ऐसा बचत बारदाना मिलर की परिसंपत्ति होगी।
परिपत्र में सभी जिला कलेक्टरों और प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) को संशोधित नीति के तहत कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

Join Our WhatsApp Group Join Now
By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close