बिलासपुर—अजय सिंह के नाम छात्र संघ चुनाव में कई महत्वपूर्ण रिकार्ड दर्ज हैं। 1986-87 में अजय सिंह गुरू घासीदास विश्वविद्यालय के चौथे और निर्विरोध चुने गए पहले अध्यक्ष थे। शपथ लेने वाले भी गुरूघासी दास विश्वविद्यालय के पहले अध्यक्ष थे। उन्होंने शपथ तात्कालीन केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के सामने कन्या महाविद्यालय में लिया था।
पेशे से वकील अजय सिंह ने सीजी वाल को बताया कि वे चुनाव प्रणाली से ना तो पहले खुश थे और ना ही आज हैं। उनका मानना है कि विश्वविद्यालय अध्यक्ष का चुनाव महाविद्यालयों के पदाधिकारियों की तरह छात्रों को करना चाहिए। लेकिन हमारे नेता ऐसा कभी नहीं होने देंगे। जिस दिन ऐसा होगा नेताओं का कद बौना हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सही मायनों में छात्र संगठन चुनाव में अभी भी लोकतंत्र नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो कालेज जनप्रतिनिधियों के मन से अनावश्यक डर खत्म हो जाएगा।
अजय सिंह कहते हैं कि पहले विश्वविद्यालय अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव यूआर, कालेजों के अध्यक्ष और सचिव करते थे। एक यूआर 1000 छात्रों पर चुना जाता था। अब यूआर सिस्टम खत्म हो गया है। महाविद्यालयों के अध्यक्ष और सचिव मिलकर विश्विद्यालय अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। वोटिंग करने वाले प्रतिनिधि हमेशा भय में रहते हैं। इसलिए चुनाव में बदलाव की सख्त जरूरत है।
अजय सिंह बताते हैं कि मुझे अध्यक्ष बनने में ज्यादा मेहनत और विरोध का सामना नहीं करना पड़ा था। एनएसयूआई के ही एक अन्य सहपाठी प्रियनाथ तिवारी ने थोड़ा बहुत विरोध किया लेकिन बाद में उन्होंने मुझे समर्थन दिया। जिसके चलते वे गुरूघासीदास विश्वविद्यालय के निर्विरोध अध्यक्ष बन चुन लिए गये। निर्विरोध चुनाव में मेरे पूर्ववर्ती अध्यक्षों के विश्वविद्यालय के लिए किए गए कार्यों को भी जाता है।
अजय सिंह ने बताया कि हमारे समय, छात्र संगठन चुनाव में नेताओं का दखल नहीं था। लेकिन उनकी नज़र छात्र राजनीति पर जरूर रहती थी। उन्होने स्पष्ट किया कि हमारे समय में एबीव्हीपी का नाम लेने वाला भी कोई नहीं था। रायगढ़ से एक प्रत्याशी उपाध्यक्ष के लिए चुनाव जरूर लड़ा उनका नाम प्रशांत मिश्रा है। जो वर्तमान में हाईकोर्ट के जज हैं।
अजय सिंह ने सीजी वाल को बताया कि 1987 में तात्कालीन राज्यपाल एम.के.चाण्डी के साथ प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय छात्र प्रतिनिधियों की बैठक भोपाल में हुई। तात्कालीन राज्यपाल ने बताया कि चुनाव से छात्रों की पढ़ाई नुकसान होती है। जिसका उस समय सभी ने समर्थन किया। लेकिन समय के साथ पश्चाताप भी हुआ कि हमारे इस समर्थन से धीरे-धीरे भारतीय राजनीति की नर्सरी मुरझा गयी।
अजय सिंह ने बताया कि गुरूघासीदास विश्वविद्यालय नार्मल स्कूल में हुआ करता था बाद में नेहरू चौक के पास ऋषि भवन में आया। अपने साथियों के प्रयास और राज्यपाल के.एम. चांडी, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के सहयोग से छात्र कार्यकारिणी के विरोध के बीच वर्तमान स्थान में विश्विद्यालय को शिफ्ट किया गया। उस समय विश्वविद्यालय तीन बैरकों में लगा करता था। हमारे पास यूटीडी जैसी सुविधा भी नहीं थी। विश्वविद्यालय की बुनियादी सुविधा के लिए अर्जुन सिंह ने 2 करोड़ रूपए दिए थे।
एनएसयूआई नेताओं और छात्र प्रतिनिधियों के सहयोग से हमने मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा से 2 लाख रूपए शपथ के लिए मांगा । शपथ ग्रहण समारोह कन्या महाविद्यालय में आयोजित ऋषि भवन– किराए का भवन
समारोह में केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह ने छात्र संगठन को शपथ दिलाया। सीजी वाल से बातचीत के दौरान अजय सिंह ने कहा कि छात्र संघ चुनाव सांकेतिक ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव बंद होने से बेशक कुछ नुकसान हुआ है लेकिन चुनाव होने सा फायदा भी नहीं हुआ है। मुझे याद नहीं है कि कोई अध्यक्ष विधानसभा या लोकसभा तक पहुंचा है।