जंगल की हिफाजत में 35 साल से लगे दामोदर कश्यप का सम्मान

Chief Editor
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रायपुर ।  नगरीय प्रशासन और विकास विभाग के मंत्री  अमर अग्रवाल शनिवार को  यहाँ नवीन विश्राम गृह के सभा कक्ष में एक समाजसेवी संस्था कन्जरवेशन कोर सोसायटी द्वारा छत्तीसगढ़ में ‘मानव – वन्य जीव संघर्ष’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में शामिल हुए। श्री अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि पर्यावरण तथा जैव विविधता की रक्षा के लिए वनों और वन्य जीवों की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मानव और वन्य जीवों के बीच संघर्ष का मुख्य कारण समन्वय की कमी है। जनता भी सरकार का ही हिस्सा है। इसलिए जंगलों और जंगल के जीव-जंतुओं के संरक्षण के कार्यो में जन सहयोग भी बहुत जरूरी है। श्री अग्रवाल ने इस अवसर पर बस्तर अंचल के वरिष्ठ समाजसेवी  दामोदर कश्यप को सम्मानित किया। श्री कश्यप बस्तर जिले के बकावंड विकास खंड के संध करमरी गाँव के रहने वाले है और विगत 35 वर्षों से भी ज्यादा समय से वनों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं।
परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि वन और वन्य जीव हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। सदियों से वृक्ष और वन्य जीव हमारी आस्था का केन्द्र रहे हैं और इन्हें हमने कई रूप में पूजा भी है। ऐसे बहुत से कारण है जिनकी वजह से प्राकृतिक असंतुलन पैदा हुआ और यह समस्या पैदा हुई। सरकार का प्रयास होगा कि इन कारणों का पता लगाकर इस दिशा में गंभीरता से कार्य हो। उन्होंने कहा कि इस तरह के परिचर्चाओं से सरकार को नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण सहयोग मिलता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आज के विमर्श में वन और वन्य जीवों के हित में जो भी निष्कर्ष सामने आएगा राज्य शासन द्वारा निश्चित रूप से उन पर विचार किया जाएगा। परिचर्चा में छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष  टी.एस. सिंह देव, मुम्बई से फिल्म अभिनेता  ओमपुरी, राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड के सदस्य  पीएस इसा वन्य जीव विशेषज्ञ  गणेश रघुनाथन, सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री संध्या देवी ने भी हिस्सा लिया।
परिचर्चा में सम्मानित किए गए बस्तर जिले के  दामोदर कश्यप के बारे में बताया गया कि उन्होंने तेजी से खत्म हो रहे जंगलों को बचाने के लिए बस्तर अंचल की थेंगापल्ली नामक अपनी प्राचीन परंपरा को फिर से जीवित किया। थेंगा पल्ली परंपरा में जंगलों की रक्षा करना प्रत्येक ग्रामवासी का कर्तव्य है। जंगलों को बचाने की अपनी दृढ इच्छा शक्ति और गाँव वालों सहभागिता से उन्होंने करीब छह सौ एकड़ की भूमि में जंगल का विकास किया है। इसमें से करीब 100 एकड़ जमीन में जडी बूटी और अनेक बहुमूल्य औषधियों का जंगल विकसित किया है जिसे पवित्र जंगल का नाम दिया गया है यहाँ उन्होंने अपनी पारंपरिक देवी का मंदिर भी स्थापित किया है। इस जंगल में वृक्षों को काटने की सख्त मनाही है। श्री कश्यप ने बताया कि इन जंगलों उन्होंने आम सागौन, हर्रा आदि के वृक्ष भी रोपित किये हैं और उन्हें गाँव के युवाओं का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। अभिनेता  ओमपुरी ने कहा कि जंगल हमारा जीवन हैं और अपने जीवन की रक्षा के लिए हम सभी को पेड़ लगाने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया हमें अपने घरों में और घरों के आसपास जहाँ भी खाली जमीन हो पेड़ जरूर लगाने चाहिए। ऐसे ही छोटे छोटे प्रयासों से ही हम अपने जंगलों को बचा पाएंगे।

 

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