जंतर मंतर में छत्तीसगढ़ियों ने दिखाई ताकत,सासंदो ने भी किया समर्थन

Shri Mi
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IMG-20170719-WA0009नईदिल्ली।छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना और छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के सयुंक्त तत्वाधान में गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग सत्याग्रह के लिए एकजुट हुए।सत्याग्रहियों की मांग है कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी सहित गोंडी, हल्बी,भथरी, सरगुजही, कुडुख जैसी सभी मातृभाषाओं को प्राथमिक शिक्षा का माध्यम बनाया जाए और साथ ही राजभाषा छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल  किया जाए।छत्तीसगढ़िया महिला क्रांतिसेना की प्रदेश अध्यक्ष लता राठौर ने बताया, “मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा हम लोगों का संवैधानिक अधिकार के बावजूद हम लोगो को इससे वंचित रखा जा रहा है।”लता राठौर ने बताया कि वे लोग किसी के विरोध में नहीं बल्कि अपनी भाषा के समर्थन में यहां एकजुट हुई हैं।वहीं छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के सयोंजक नंद किशोर शुक्ल ने कहा कि पढ़ाई लिखाई के बगैर भाषा की उन्नति नही हो सकती। वह भाषा विलुप्त हो जाती है। इसलिए यह भाषा को जीवित रखने के लिए सत्याग्रह है।
                                                सत्याग्रह की शुरुआत महात्मा गांधी  की समाधि स्थल से हुई। सत्याग्रहियों ने गांधी को नमन कर छत्तीसगढ़ सरकार की सद्बुद्धि की कामना की। बताया गया कि बापू मतृभाषा के सबसे बड़े हिमायती थे। वे चाहते थे कि प्राथमिक शिक्षा का मातृभाषा में होना व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।
                                               मातृभाषा के लिए हो रहे इस सत्याग्रह को छत्तीसगढ़ के सांसदों ने भी समर्थन दिया है।और कहा है कि वे इस मसले को विस्तार देंगे।वहीं छत्तीसगढ़  से राज्यसभा सांसद छाया वर्मा और लोकसभा सांसद लखनलाल साहू ने सत्याग्रह स्थल में आकर अपना समर्थन दिया।
                                              छाया वर्मा ने कहा, “ये  दुर्भाग्य है कि हम लोगों की अपनी  मतृभाषा को की रक्षा के लिए यह कदम उठाना पड़ रहा है।लखन लाल साहू ने कहा कि यह वाजिब मांग है।एक जनप्रतिनिधि होने के नाते वे हर संभव प्रयास करेंगे। बता दें कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कॉंग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ  के  अध्यक्ष शरीक रइस खान और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव ने भी अपना समर्थन दिया।
                                           सत्याग्रहियों ने अपनी मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को ज्ञापन भी दियाहै।प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मेरे अनुभव के आधार पर यह वाजिब मांग है। इसे लेकर आवश्यक कदम जल्द उठाए जाएंगे।
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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