बिलासपुर—राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस अवसर पर कलेक्टोरेट और कमिश्नर कार्यालय में अधिकारियों और कर्मचारियों ने मानव अधिकारों की रक्षा की शपथ ली। इस अवसर पर अधिकारियों और र्मचारियों ने भारत के संविधान को पूर्ण विश्वास एवं निष्ठा से धारण करने और मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन में भेदभाव के बिना सभी के मानव अधिकारों का सम्मान करने की शपथ ली।
राजस्व मण्डल में कार्यक्रम
राजस्व मण्डल कार्यालय में भी अधिकारियों ने शपथ ली। सचिव एस.एल. रात्रे, शिक्षाविद् अग्रवाल और राठौर समेत न्यायालय के समस्त अधिकारी-कर्मचारी, शासकीय एवं निजी अधिवक्ताओं ने मानव अधिकार के 10 बिन्दुओं पर शपथ ली।
इस अवसर पर रात्रे ने सारगर्भित संबोधन में कहा कि प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब पूरे विश्व में मानव जाति युद्ध की विभिषिका से त्रस्त थी तब संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देशों ने मिलकर मानव अधिकारों का विश्वव्यापी घोषणा पत्र तैयार किया। घोषणा पत्र को 10 दिसंबर 1948 को जारी किया गया। रात्रे ने बताया कि अमेरिका में स्वतंत्रा संग्राम के पूर्व मानव को गुलाम बनाकर भयानक अत्याचार करते थे। अमेरिकी अश्वेत राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने आवाज उठाई और गुलामी प्रथा के खिलाफ वर्ष 1865 में अधिनियम पारित किया गया ।फ्रांस में भी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मानव पर हुए अत्याचारों के विरूद्ध फ्रान्सीसी नागरिकों ने मुखर होकर विरोध किया। इतिहास के इन क्रूर घटनाओं से सबक लेते हुए इन अधिकारों की घोषणा की गई। जीवन जीने का अधिकार रोटी-कपड़ा-मकान का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, समान्ता का अधिकार, मुख्य है। जिसकी जानकारी हम सब को होना आवश्यक है।
रात्रे ने बताया कि महात्मा गांधी एवं बाल गंगाधर तिलक ने भी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के दमन, उत्पीड़न एवं कू्रता के विरूद्ध नागरिकों की स्वतंत्रता की आवाज उठाते रहे। संसार के सभी नागरिकों को 10 अक्षुण मानव अधिकार इस घोषणा पत्र के माध्यम से प्रदान किये गये है। कोई भी राष्ट्र अपने देश के नागरिकों जो किसी भी जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर कोई भी भेदभाव नहीं बरत सकता।
शिक्षाविद् अग्रवाल ने बताया कि घोषण पत्र के अनुसार भारत में भी विधिवत् अधिनियम का निर्माण किया गया और प्रत्येक नागरिक के अधिकारों के रक्षा के लिए शासन, प्रशासन सचेत रहता है।