सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट निर्देश दिया है कि पुलिस महानिदेशक की चयन प्रक्रिया में सभी अधिकारियों को पैनल में शामिल किया जाए। जिनकी 6 महीने या उस से अधिक की सेवा अवधि शेष हो। छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति में निर्देश का पालन नहीं हुआ। ऐसे कर्मठ निष्ठावान और ईमानदार अधिकारियों के नाम तक सरकार ने पैनल में नाम नहीं भेजा। जिनकी 6 महीने या उस से अधिक सेवा अवधि शेष है।
साथ ही महालेखाकार के पैनल में सम्मिलित अगर किसी अधिकारी के खिलाफ पुलिस गृह निर्माण मण्डल में आर्थिक अनियमितता और भ्रष्टाचार के प्रकरण विचाराधीन है। ऐसे तथ्यों को भी पैनल में सामने नहीं रखा गया। ऐसा करना सर्वोच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप नहीं है। पुलिस महानिदेशक का चयन मेरिट ना होकर राजनीतिक पक्षपात के आधार पर हो सके।
अमित जोगी ने कहा कि अत्यंत खेद की बात है कि सरकार ने पुलिस महानिदेशक चयन के सम्बंध में भेजे पैनल में पात्रता रखने वाले ईमानदार और वरिष्ठ अधिकारियों को एक सोची.समझी रणनीति के तहत बाहर रखा गया। चहेते अधिकारियों को लाभ पहुँचाने की नीयत से उनके खिलाफ रिकार्ड में मौजूद तथ्यों को जानबूझकर छिपाया गया है। ताकि राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को बिना किसी रोकटोक परेशान किया जा सके। चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद सुकमा जैसे अति संवेदनशील जिले के पुलिस अधीक्षक के साथ क्या हुआ। सबको मालूम हो चुका है।
अमित जोगी ने अपने पत्र में कहा कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के चयन नए सिरे से पैनल तैयार कर किया जाए। पूर्णकालिक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के पहले कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक से जारी नियु्क्त आदेश और स्थानांतरण छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 207 की धारा 14 के तहत गलत है। सभी आदेशों और नियु्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।