जब एसडीएम ने कहा…जेल भेज दूंगा..फिर देखता हूं..तू कैसे फोन करवाता है..हां मैने रोका था

BHASKAR MISHRA
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जिला कार्यालय मुंगेली

मुंगेली…कलेक्टर ने नामांतण के लिए एसडीएम को फोन क्या किया…फरियादी को भारी पड़ गया। एडीएम कार्यालय पहुंचते ही…अनुविभागीय अधिकारी ने फरियादी पर भड़कते हुए कहा कि अधिकारी से फोन कराता है। यदि नामांतरण नहीं किया….तो तुम क्या कर लोगे। ज्यादा कुछ बोला…. तो किसी मामले में एफआईआर दर्ज करवा कर जेल भेजवा दूंगा।…फिर करवाते रहना फोन। तेरी औकात क्या है…। सुन…मेरे  मौखिक आदेश से पटवारी ने पर्जी नहीं काटा…अब बताओ तू क्या कर लेगा।… जुबान खोला तो धक्का मारकर कार्यालय से बाहर निकालवा दूंगा। यह बातें एसडीएम पथरिया जिला मुंगेली ने फरियादी नरेन्द्र सूर्यवंशी से सबके सामने अपने कार्यालय में कही। सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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                 फरियादी नरेन्द्र सूर्यवंशी पिता तिहारी सूर्यवंशी ने बताया कि एक साल पहले पथरिया एएसडीएम कार्यालय क्षेत्र के भटगांव में 87 डिसमिल जमीन खरीदा। लिखा पढ़ी के बाद जमीन मालिक फागुराम पिता दुकलहा को कीमत का भुगतान कर दिया। नामांतरण के लिए एसडीएम कार्यालय कार्यालय गया। लेकिन किसी ना किसी कारण से नामांतरण की कार्रवाई नहीं हुई। मुंगेली कार्यालय से होते हुए हल्का पटवारी रामशरण वैष्णव के पास नामांतण पर्ची काटने का आवेदन दिया।

                      नरेद्र् सूर्यवंशी ने बताया कि पटवारी ने पहले तो खूब घुमाया। मैने विश्वास दिलाया कि नामांतण पर्ची कटने पर खर्चा देगा। फिर पटवारी ने दो दिन बाद आने को कहा। दो दिन बाद पटवारी ने कहा कि एसडीएम ने नामातरण पर्ची काटने से मना किया है। इसलिए पहले साहब से आदेश लेकर आओ। इसके बाद ही नामांतरण पर्ची काटूंगा।

                   फरियादी नरेन्द्र ने बताया कि परेशान होकर मामले की शिकायत कलेक्टर डॉ.सर्वेश नरेन्द्र भूरे से की। उन्होने पटवारी और एसडीएम पथरिया को मामले का निराकरण करने को कहा। दूसरे दिन यानि मंगलवार को एडीएम कार्यालय पहुंचने से पहले ही साहब ने फागुराम के आवेदन पर एकतरफा फैसला दे दिया। नरेन्द्र ने बताया कि यद्यपि वह थोड़ी देर से पहुंचा। देर से पहुंचने के लिए माफी मांगी। निवेदन किया कि उसकी भी उपस्थिति दर्ज की जाए। इतना सुतते ही एसडीएम साहब भड़क गए। उन्होने झल्लाते हुए कहा कि कलेक्टर से फोन करवाता है। तुम्हारा काम नहीं करूंगा…जो करना है कर लो…हां मैने पटवारी को पर्ची काटने से मना किया था।…अब बता क्या कर लेगा…। यदि ज्यादा बोला तो किसी मामले में एफआईआर दर्ज करवाकर जेल भेज दूंगा। कार्यालय से धक्का मारकर बाहर निकलवा दूंगा। जो करना है कर लो…। जेल जाने के बाद फिर देखता हूं कौन फोन करता है।

                  एसडीएम की नाराजगी देखने के बाद  नरेन्द्र ने बड़ी मिन्नतें की। इसके बाद एसडीएम ने उपस्थिति दर्ज करने का आदेश दिया। और कहा कि नेतागिरी करोगे तो भोगोगे। देखता हूं कि अब तुम्हें परेशान होने से कौन रोकता है।

                कार्यालय से निकलने के बाद नरेन्द्र ने बताया कि मामले को खींचना नहीं चाहता हूं..लेकिन उसके साथ अन्याय हो रहा है। सबके सामने अपमानित किया गया।  चूंकि काम अटका है इसलिए कुछ कहकर मुुसीबत नहीं लेना चाहता हूं। 

                     समझने वाली बात है कि राजस्व अधिकारी जब अपने अधिकारियों की बात को गंभीरता से नहीं ले रहे है तो आम जनता को सुनने वाला कौन होगा। भटगांव जमीन मामले में पटवारी और एसडीएम की जुगलबंदी को भी आसानी से समझा जा सकता है कि राजस्व महकमा किस तरह लूट खसोट का व्यवसाय कर रहा है। जब बड़े अधिकारी मामले को संज्ञान में लेते हैं तो उन्हें अपने नापाक इरादों पर चोट होता दिखाई देने लगता है। जिसका खामियाजा फरियादी को भुगतना पड़ता है। 

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