जब कलेक्टर दयानंद के नहीं रूके आँसू….छोटे भाई बहनों को भर लिया बाहों में..कहा खुदकुशी कोई रास्ता नहीं…

BHASKAR MISHRA
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 बिलासपुर— किसने कहा मुखिया को रोने का हक नही है। मुखिया जब रोता है तो माजरा बहुत गंभीर होता है। पीड़ा दिल तक पहुंचती है तब मुखिया के आंसू चाहकर भी नहीं रूकते। जब ऐसा माना जाए कि कलेक्टर बहुत कड़क अधिकारी होते हैं। उन्हें सिर्फ काम करना होता है। काम धाम के चक्कर में कुछ आदत सी हो जाती है कि अन्दर की भावनाए भी कहीं दब सी जाती है। लेकिन बिलासपुर में कुछ ऐसा हुआ कि कलेक्टर अपने आंसुओं को छिपा नहीं सके।

             
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              जी हां जब कलेक्टर पी दयानंद के आंसू छलके तो महौल पूरी तरह से गमगीन हो गया।  मृत छात्रा माधुरी सूर्यवंशी के घर शोक व्यक्त करने गए कलेक्टर पी.दयानन्द के साथ ऐसा ही कुछ हुआ। कलेक्टर को जानकारी मिली कि बिलासपुर की रहने वाली बीए फर्स्ट ईयर की छात्रा माधुरी ने सोमवार को ट्रेन से कटकर खुदकुशी कर ली है। खुदकुशी की वजह परिवार की गरीबी है।

                सुसाइड करने से पहले माधुरी ने एक पत्र भी छोड़ा है। उसने लिखा है कि वह कलेक्टर पी.दयानन्द से प्रभावित है। वह भी पी.दयानन्द की तरह कलेक्टर बनना चाहती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी फाइट करेगी।  आईएएस बनकर माता पिता के सपनों को साकार करेगी।

              मालूम हो कि माधुरी के पिता मजदूरी कर सात सदस्यों का परिवार चलाते हैं। घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही नाजुक है। माधूरी के धैर्य ने जवाब दिया चिठ्ठी लिखने के बाद आत्महत्या कर ली। जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर दयानंद माधुरी के घर गए। इस दौरान उन्हे सुसाइड नोट की जानकारी मिली। सुसाइड नोट की जानकारी मिलते ही कलेक्टर से आखों से आसूं निकलना शुरू हो गया।

              बावजूद इसके कलेक्टर ने पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया। माधुरी के पिता ने पी.दयानंद को बताया कि माधुरी आपसे बहुत प्रभावित थी। आपकी तरह आईएएस बनना चाहती थी। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण अपने सपनों को पूरा नहीं होते देख उसने अपने आप को खत्म कर लिया। इतना सुनते ही कलेक्टर अपने आँसुओं को छिपा नहीं सके। भरे गले से कलेक्टर ने कहा जिला प्रशासन परिवार को हरसंभव मदद करेगा। व्यक्तिगत रूप से परिवार के साथ हूं। इस दौरान उन्होने माधुरी की छोटे भाई बहनों को बाहों में भर लिया। यद्यपि उन्होने आसुंओ को छिपाने का भी प्रयास किया।

                         दयानंद ने कहा कि कोई भी लक्ष्य चाहे आईएएस ही बनना क्यों ना हो…जीवन की कीमत पर ठीक नहीं होता। पी.दयानन्द ने युवाओं से अपील किया कि सपनों को साकार करने के लिये कड़ी मेहनत करें….धैर्य बनाकर रखें…खुदकुशी कोई रास्ता होता ही नहीं है।

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