जब किसानों ने कहा..मरने से पहले करेंगे उग्र आंदोलन…मुआवजा देने से पहले SDMने मांगा था 50-50 हजार रूपए

BHASKAR MISHRA
 बिलासपुर— मस्तूरी विकासखण्ड के चिस्दा के किसानों ने बताया कि यदि एसडीएम को पचास पचार हजार रूपए दे दिए होते तो अब तक जमीन का मुआवजा भी मिल गया होता। लेकिन रूपए नहीं थे। पीडब्लडी के बड़े अधिकारी ने अब मुआवजा देने से साफ इंकार कर दिया है। जिलाधीश कार्यालय को लिखित शिकायत पेश कर ग्रामीणों ने बताया कि मुआवजा नहीं मिलने पर हम किसानों का जीना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए मरने से पहले उग्र आंदोलन जरूर करेंगे।
                               चिस्दा के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को लिखित शिकायत कर बताया कि चिस्दा गांव के चालिस किसानों की जमीन सड़क में चली गयी है। अभी तक एक रूपया मुआवजा नहीं मिला है। जबकि इसके पहले दो बार गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अब पीडब्लूडी अधिकारी ने भी मुआवजा देने से इंंकार कर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि हम किसानों को जिला कलेक्टर से न्याय की उम्मीद है।
               कलेक्टर कार्यालय पहुंचे सभी 40 किसानों ने बताया कि उनकी जमीन जयरामनगर से लवन सड़क निर्माण में चली गयी है। तीन बार लिखित शिकायत कर मुआवजा की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन आज तक किसी ने भी नहीं सुना । किसानों ने बताया जयरामनगर लवन रोड निर्माण में चिस्दा से पहले चिल्हाटी और चिस्दा के बाद जोंधरा के सभी किसानों को मुआवजा वितरित कर दिया गया है.। लेकिन चिस्टा के किसी भी किसान को मुआवजा नहीं दिया गया है।
            किसानों के अनुसार एक बार एसडीएम ने टीम का गठन किया था। टीम में रायपुर लोक निर्माण विभाग की कोई मैडम भी शामिल थीं। इसके अलावा टीम 8 अधिकारी भी शामिल थे। टीम ने सडक और जमीन की नाप जोंख भी की। लिस्ट भी जारी हुई। लेकिन मुआवजा देने से पहले एसडीएम ने पचार-पचास हजार रूपए की मांग की। रूपए नहीं होने के कारण लिस्ट को निरस्त कर दिया गया। दूसरी बार नए एसडीएम ने कलेक्टर के आदेश के बाद नई लिस्ट जारी कर पीडब्लूडी को भेजा। लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारी कौशिक ने ना केवल मअावजा देने से इंकार किया। बल्कि इंजीनियर को लिस्ट बनाने से भी मना कर दिया।
                       किसानों ने बताया कि जमीन नहीं होने से उनका परिवार सड़क पर आ गया है। यदि मुआवजा नहीं मिला तो मरने से पहले एक बार जरूर उग्र आंदोलन करेंगे। इसकी जवाबदेही शासन की होगी।

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