बिलासपुर— तिफरा नगर पालिका जनप्रतिनिधियों के अलावा स्थानीय लोगों ने कलेक्टर कार्यालय को लिखित बयान देकर नगर निगम में शामिल होने से इंकार कर दिया है। जनप्रतिनिधियों ने बताया कि तिफरा नगर पालिका बनने के बाद क्षेत्र का तेजी से विकास हुआ है। कोई कारण नहीं है कि तिफरा नगर पालिका क्षेत्र को नगर निगम में लेकर आर्थिक नुकसान उठाया जाए।
कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर तिफरा नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों ने लिखित में बताया कि हमें नगर निगम का हिस्सा बनना मंजूर नहीं है। दावा आपत्ति पेश करते हुए बताया कि नगर पालिका बनने के बाद तिफरा का तेजी से विकास हुआ है। नगर निगम में शामिल होने के बाद स्थानीय लोगों को छोटी छोटी समस्याओं को लेकर निगम प्रशासन का चक्कर काटना पड़ेगा। जबकि तिफरा नगर पालिका की आबादी तीस हजार से अधिक है। जाहिर सी बात है निगम में शामिल होने के बाद विकास कार्य प्रभावित होगा।
जनप्रतिनिधियों ने जानकारी दी कि नगर पालिका तिफरा के बेजा कब्जाधारियों को आज तक आवासीय पट्टा नहीं दिया गया है। इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि निगम में शामिल होने के बाद पचास सालों से काबिज लोगों को पट्टा नहीं दिया जाकर हटा दिया जाए।
लोगों ने बताया कि तिफरा को करोड़ों रूपए का राजस्व मिलता है। इससे क्षेत्र का तेजी से विकास हो रहा है। यदि निगम का हिस्सा बनाया जाता है तो रूपयों में कटौती होगी। ऐसे में जब स्मार्ट सिटी का विकास किस तरह हो रहा है इस बात की जानकारी सभी को है। ऐसे में तिफरा का विकास होना नामुमकिन है। नगर निगम में शामिल होने के बाद स्थानीय गरीब लोगों पर अनावश्यक भारी भरकम टैक्स देना होगा। बेहतर होगा कि नगर पालिका तिफरा को नगर निगम में शामिल नहीं किया जाए।