जब धीरे से टाला सरई, सागौन का सवाल…जोगी ने कहा समीरा मेरी बहन…महाधिवक्ता पर बरसे…बताया FIR नहीं..सुप्रीम कोर्ट जाएं

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—  राज्य बनने के बाद तात्कालीन मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष पेन्ड्रा मरवाही को जिला बनाने चाहते थे। लेकिन एक अधिनियम के तहत दोनों नेताओं के हाथ बंधे थे। बाद में प्रदेश में कई जिले बने। पेन्ड्रा मरवाही को जिला बनाए जाने का हमारा आज भी मुद्दा है। इसे छोड़ेंगे नहीं। यह बातें प्रेसवार्ता मे जनता कांग्रेस नेता अमित जोगी ने कही। जोगी ने बताया कि समीरा पैकरा हमारी बहन है। उन्होने जनादेश के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दीं।लेकिन हाईकोर्ट ने दूध का दूध पानी का पानी कर दिया। जबकि समीरा की पैरवी वर्तमान महाधिवक्ता कर रहे थे। फिर भी समीरा हाईकोर्ट के खििलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती हैं। लेकिन निर्णय के खिलाफ आपराधिक एफआईआर दर्ज नहीं कराना चाहिए। कम से महाधिवक्ता को इस बात की तो जानकारी होगी ही।

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                                    आज विभिन्न मुद्दों को लेकर जनता कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने प्रेसवार्ता कर समीरा पैकरा और महाधिवक्ता पर जमकर निशाना साधा। उन्होने कहा मैने समीरा पैकरा को और अजीत जोगी ने नन्दकुमार साय को भारी मतों से हराया। दोनों को हाईकोर्ट में भी हार मिली। स्रमीरा को अब सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।

महानुभाव बार बार करें पैरवी

          समीरा  पैकरा कहती हैं कि अमित जोगी घूम घूम कर मुद्दे उठा रहे हैं। खुद अपने मुद्दे से भाग रहे हैं। मैं सरई जंगल की बेटी हू…अमित खुद को सागौन बंगला का बेटा कहते हैं…फिर क्यों चुनाव के समय जाति और जन्म को लेकर गलत कथन किया है। सवाल के जवाब में अमित जोगी ने कहा कि समीरा पैकरा हमारी बहन है। मैने उन्हें रिकार्ड तोड़ मतों से हराया है। इसके पहले मेरे पिता अजीत जोगी ने नन्दकुमार साय को भी भारी मतों से हराया। दोनों ने जाति और जन्म मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दोनों को करारी हार मिली।

                                  मेरी जाति और जन्म को लेकर समीरा पैकरा ने तात्कालीन वकील और वर्तमान महाधिवक्ता के माध्यम से याचिका लगाई। वर्तमान महाधिवक्ता ने समीरा पैकरा की तरफ से चार  साल तक पैरवी की।  400 से अधिक पन्नों का दस्तावेज हाईकोर्ट में रखा गया। चालिस से पचास लोगों की गवाही हुई। अधिकारियों को पेश होना पड़ा। लेकिन हाईकोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। नाम नहीं लेते हुए महाधिवक्ता को निशाने पर रख अमित जोगी ने कहा कि मेरे पिताजी के खिलाफ इन्ही महानुभाव ने नन्दकुमार की पैरवी की। लेकिन दोनों जगह उन्हें हार मिली। मैं चाहूंगा कि ये महानुभाव दोनों के मामलों के लेकर हमारे खिलाफ हारने के लिए पैरवी करते रहें।

                       समीरा पैकरा के सवाल को प्यार से टालते हुए अमित जोगी ने चालाकी से महाधिवक्ता को निशाना बनाया। उन्होने कहा कि महानुभाव इस समय महाधिवक्ता हैं। वह कुछ भी कर सकते हैं। जब हाईकोर्ट ने दस्तावेज देखने और गवाही के बाद मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। यदि हाईकोर्ट के निंर्णय से संतुष्ट नहीं है…तो उन्हें भारतीय संविधान की अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।  लेकिन इन्होने अपने मुवक्किल से हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ आपराधिक एफआईआर दर्ज कराया। उन्हें इतना तो ज्ञान होना चाहिए कि हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ ऐसा नहीं होना चाहिए।

पता है पप्पू कौन..नाथूराम कौन..चलाएं मुकदमा

                जोगी ने कहा कि जब इन्होने पता लगा लि कि  इण्डिया के पप्पू और गधा कौन है। नेहरू ने चीन से हार के बाद संसद क्या बोला था.. का पता लगा लिया है…फिर उन्हें इस बात की भी जानकारी होगी कि हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ चुनौती कहां दी जाती है। समीरा बहन को बताना चाहता हूं कि जितनी चाभी भरी नाथूराम ने उतना चले खिलौना..मैने एक बार नहीं..17 प्रमाणिक दस्तावेजों के साथ बताया कि नाथूराम कौन है। यदि गलत हूंं तो मेरे खिलाफ खिलाफ मुकदमा चलाएं। क्योंकि फेसबुक अकाउन्ट डीलिट करने से इतिहास डीलिट नहीं हो जाता है।

जिला नहीं बनने का जताया दुख

                            पेन्ड्रा मरवाही की समस्या और  जिला बनाने के सवाल पर अमित जोगी ने कहा कि राज्य बनने के बाद तात्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी और विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला ने पेन्ड्रा मरवाही को जिला बनाना चाहा। लेकिन एक अधिनियम के तहत दोनों नेताओं के हाथ बंधे थे। दस साल बाद रमन सिंह ने कई जिले बनाए। यदि जिला बन गया होता तो स्वास्थ्य और विकास को लेकर कोई समस्या पेन्ड्रा मरवाही में नहीं होती। हम आज भी पेन्ड्रा मरवाही को जिला बनाने का मुद्दा लेकर चल रहे हैं। एक बार तो अजीत जोगी और रेणु जोगी ने जिले की मांग को लेकर सीएम रमन सिंह के सामने इस्तीफे की पेशकश की थी। रमन सिंंह ने जिला बनाने का आश्वासन दिया था। लेकिन आश्वासन ही रह गया।

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