जब लोकसभा में गूंजा शिक्षाकर्मियों का मुद्दा…सांसद ने उठाया अनुकम्पा नियुक्ति का मामला..प्रदेश के शिक्षकों में खुशी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—दिवंगत शिक्षाकर्मियों के परिजनों की अनुकंपा नियु्क्ति का मुद्दा लोकसभा में भी गूंजा। मध्यप्रदेश के होशंगाबाद से सांसद राव उदय प्रताप सिंह ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले को गंभीरता से उठाया। सांसद ने केंद सरकार से अनुकंपा नियुक्ति के लिए भटक रहे परिजनों को राहत दिलाने की मांग की है। इस दौरान सदन में कहा गया कि छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों की शिक्षाकर्मियों की बात हो या फिर मध्यप्रदेश के शिक्षा कर्मियों की परेशानियों का जिक्र हो। अनुकंपा नियुक्ति नियमो में इतनी अधिक पेचीदगियां है कि अनुकंपा नियुक्ति का लाभ परिजनों को मिल नहीं पाता।
                   संसद में शिक्षाकर्मियों की मौत के बाद अनुकम्पा नियुक्ति का मामला उठने के बाद छत्तीसगढ़ में भी शिक्षाकर्मी नेता सक्रिय हो गए हैं। नवीन शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित कुमार नामदेव ने बताया कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में हजारों ऐसे दिवंगत शिक्षाकर्मियों के परिजन हैं, जिन्हें आज तक अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नहीं मिला है। लिहाजा संवेदनशील मुद्दे पर सांसद महोदय ने संजीदगी दिखाते हुए लोकसभा में ये मुद्दा उठाया है। छत्तीसगढ़ की ही सिर्फ बात करें तो प्रदेश में  हजारो अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरण लंबित है। जिसके कारण आज तक अनुकंपा नियुक्ति का लाभ शिक्षा कर्मियों के परिवार को नहीं मिल सका है। यह पहला मौका होगा, जब शिक्षाकर्मियों का कोई और वह गंभीर मुद्दा किसी ने लोकसभा में उठाया है।
                   अमित कुमार नामदेव ने बताया कि वर्तमान अनुकम्पा नियुक्ति नियमानुसार आश्रित को टीईटी परीक्षा के साथ डीएड  उत्तीर्ण करना होता है। अगर डीएड के साथ टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाए तो आवेदन अमान्य कर दिया जाता है। डी. एड. और शिक्षक पात्रता परीक्षा पूर्ण करने के बाद ही आवेदन करने बोला जाता है। यह एक ऐसी शर्त है, जो पूरा होना असंभव है। डीएड का कोर्स 2 साल का होता है, परीक्षा और अन्य गतिविधियों को लेकर करीब दो साल से ज्यादा का वक्त लग जाता है। इसके अलावा टीईटी भी पास करना अनिवार्य है। जाहिर है कि शर्त पूरी हो ही नहीं सकती है। कोई भी  डीएड की डिग्री और टीईटी पास कर ले।समय बचाने के लिए अगर आवेदक ओपन यूनिवर्सिटी या इग्नू का रूख करता है, तो फार्म भरने की ही शर्त है कि आपको दो साल का अध्यापन अनुभव होना चाहिये। जाहिर सी बात है कि अावेदक डीएड का आवेदन ही नहीं भर सकते।
                      अमित नामदेव ने  मांग की है कि जिस तरह से  मध्यप्रदेश के सांसद राव उदय प्रताप सिंह ने जिस तरह शिक्षाकर्मियों की पीड़ा को समझते हुए अनुकम्पा नियुक्ति के मुद्दे को लोकभा में रखा है..साधुवाद के योग्य है। यदि सदन गंभीरता के साथ विचार करते हुए निर्णय ले और नियमों में शिथिलता कर दे तो छत्तीसगढ़,  मध्य प्रदेश के हजारों घरों में दीपावली और ईद के एक साथ मन जाएगी।
             नामदेव ने बताया कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए दर-दर भटक रहे हमारे साथियों के परिजनों को बड़ी राहत मिलेगी। ऐसे बहुत से परिवार है जिनका घर शिक्षाकर्मियो के वेतन पर पल रहा था। आकस्मिक मौत के बाद परिवार के सदस्य सड़क पर आ गए हैं । हम छत्तीसगढ़ के समस्त शिक्षाकर्मी राव उदय प्रताप सिंह को संवेदनशीलता के लिए दिल से धन्यवाद देते हैं। छत्तीसगढ़ के सांसदों से भी निवेदन करते हैं कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए सार्थक पहल कर समस्या से निजात दिलाने का प्रयास करें।
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