जब वर्दीधारियों को महिला ने कहा भगवान…देखने वालों के भीगी आंखें…बच्चे को सीने से चिपका कर जार जार रोई

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–आखिर पुलिस भी तो इंसान ही होता है। इस बात से ना तब इंकार किया जाता रहा है और ना आज ।जब कानून और वर्दी के नीचे धड़कता दिल सामंजस्य बैठा लिया तो .तो फिर मजाल क्या है कोई पहाड़ भी रास्ता रोक सके। इसके बाद जो परिणाम सामने  है..उसे ही लोग मिसाल कहते हैं। बिलासपुर की पुलिस ने बेहतर पुलिसिंग नजीर पेश किया है। खासकर महिला पुलिस ने वह कर दिखाया जिसे लोग हमेशा याद रखेंगे।
              मां से बिछड़कर बच्चा जब कहे…मां तुम्हारी याद बहुत आती है। फिर तो पत्थर दिल का  भी पिछलना निश्चित है। और बच्चा जब कहें मुझे मेरी मां से मिलवा दो..इसके बाद फिर कायनात भी मिलवाने से उसे नहीं रोक सकता है। मामला बिलासपुर और अकलतरा पुलिस के बीच का था। बिलासपुर पुलिस ने बहुत ही शांत तरीके से मां बेटे को ना केलव मिलवाया। बल्कि वह मिशाल पेश किया जिसे लोग कभी भूलना भी नहीं चाहेंगे। क्योंकि मां बेटे की मिलन को जिसने भी देखा उसका दिल भर आया। यहां तक कि कड़कदार वर्दी के नीचे धड़कता दिल भी पसीज गया।
                मामला कुछ इस तरह से है।बिलासपुर जिले के सीपत थाना क्षेत्र में मटियारी की रहने वाली उमा बाई की शादी जांजगीर चांपा निवासी अकलतार खटोला के ताम्रध्वज से हुई। शादी के बाद ससुराल वालों ने बात बात पर उमा को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसके बाद भी उमा सब कुछ सहती रही। वह दिन भी आया जब उमा की बर्दास्त की सीमा खत्म हुई। ससुराल वालों ने उमा को मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया। कठोर दिल ससुराल वालों ने उमा से मासूम बच्चे को भी छीन लिया। जबकि बच्चा अभी मात्र पन्द्रह महीने का ही है।
              घर से भगाए जाने के बाद उमा सीधे बिलासपुर महिला थाना पहुंची। पुलिस के सामने जार जार रोते हुई अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तान सुनाई। इस बीच वह अपने बच्चे के लिए गुहार लगाती रही। बिलासपुर पुलिस ने भी देरी नहीं की…उमा बाई के साथ सीधे ससुराल अकलतरा के खटोला गांव पहुंच गयी। पुलिस ने ससुराल वालों की चंगुल से बच्चे को ना केवल छु़ड़ाया। बल्कि बच्चे को ऊमा के हवाले भी कर दिया। बच्चे को गोद में लेते ही उमा ने जिस तरह से सीने से लगाया…उस मंजर को जिसने भी देखा उसका दिल जार जार हो गया। यहां तक की पुलिस वालों के आखों में भी आसूं बह गए।
                       इस दौरान उमा पुलिस वालों को भगवान मानकर पैर पर गिरती रही। पुलिस वाले भी समझाते रहे कि यह हमारा काम है। लेकिन महिला की स्थिति ही कुछ ऐसी थी कि वह मानने को तैयार नहीं हुई। लेकिन पुलिस वाले भी यही कहते रहे…हमने केवल अपना काम किया है।
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