जरूरत 80 दशक की व्यवस्था की..जनता में घटा विश्वास..रिजवी ने बताया..नहीं थी किसी में हिम्मत

BHASKAR MISHRA
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रायपुर—जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) मीडिया प्रमुख इकबाल अहमद रिजवी ने न्याय व्यवस्था पर टिप्पणी और जनता में कोर्ट के प्रति अविश्वास को लेकर चिंता जाहिर की है।

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               रिजवी कहा कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर जनता ही नही बल्कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों के रिटायर्ड न्यायाधीश कटाक्ष करते नजर आ रहे हैं। उनके बोल और  विचारों ने न्यायपालिका को संदेह के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया है।

       रिजवी ने बताय कि पूर्व सी.जे.आई. रंजन गोगोई ने मामले में अपनी पीड़ा जाहिर कर चुके हैं। उन्होने कहा है कि देश की न्याय प्रणाली जर्जर होती जा रही है अदालत जाकर पक्षकार पछताते हैं। न्यायपालिका पर से जनता का विश्वास समाप्त होता जा रहा है।

              मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एस.एम. सुब्रहमणियम ने न्यायपालिका पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकारी विभागों से ज्यादा भ्रष्टाचार न्यायपालिका में है। भ्रष्टाचार को रोकने निगरानी व्यवस्था को ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है।

            रिजवी ने खेद जाहिर करते हुए कहा कि आजकल वकालत के पेशे में बिचैलियों की सक्रिय भूमिका ने न्यायपालिका को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। न्यायपालिका का वर्चस्व मजबूत करने के लिए नीचे से लेकर ऊपर तक की अदालतों में पदस्थ पीठासीन अधिकारियों का बिचैलियों से न्यायिक दूरी बनाने की सख्त जरूरत है।

              अक्सर देखा गया है कि जज को पता भी नहीं चलता और दलाल सम्बन्धित जज से नजदीकी का फायदा उठाकर पक्षकार से सौदा कर लेता है। जज बिना कुछ लिए बदनाम हो जाता है।

            रिजवी ने अस्सी के दशक से पूर्व की व्यवस्था का जिकर करते हुए बताया  कि तात्कालीन समय पीठासीन अधिकारीगण न तो किसी से बात करते थे। और न ही किसी के घर या विवाह जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में ही नजर  आते थे। जज की मौजूदगी किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में एक तरह से प्रतिबंधित थी। तात्कालनीन समय न्यायिक व्यवस्था पर कोई शंका नहीं करता था। किसी जज पर कोई आरोप नहीं लगा सकता था। आज उसी तरह की व्यवस्था की जरूरत है।

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