जशपुर में औषधीय पौधों के संरक्षण की ठोस पहल, जिले में मिलती है दुर्लभ प्रजाति की वनोषधियां

Chief Editor
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जशपुर नगर । छत्तीसगढ़ राज्य के अंतिम छोर में स्थित जशपुर जिले में औषधीय गुणों के सोगड़ा,कैलाश गुफा, और तपकरा वनों  चिन्हांकित कर वन विभाग ने यंहा सरंक्षण के साथ औषधीय पौधों के विस्तार का काम शुरू किया है.
जशपुर वन मंडल अधिकारी कृष्ण कुमार जाधव ने आज  बताया कि जशपुर के समीप सोगड़ा वन में औषधीय गुणों के लगभग 150 दुर्लभ पौधों का चिन्हांकन कर इनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. इसके अलावा बगीचा के समीप ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का कैलाश गुफा क्षेत्र में भी हर्रा, बहेरा ,प्राचीन आंवला और तेज बल के पौधों को भी संरक्षित किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि तपकरा क्षेत्र के वनों में भी औषधीय गुणों के पौधों का सरंक्षण की कार्य योजना बना कर बारिश का मौसम मे काम शुरू कर दिया है. यंहा पर वनोषधी महत्व के पौधों की पहचान करा कर स्थानीय लोगों को इसके सरंक्षण के काम से जोड़ा गया है. यंहा पर दर्जन भर गांव के किसानों ने भी वन विभाग की औषधीय गुणों की फसल से प्रभावित हो कर अपनी नीजी भूमि पर इन दुर्लभ प्रजाति के पौधों को लगाने में रुचि दिखलाई है.
जशपुर अंचल में औषधीय गुणों के दुर्लभ पौधों के जानकार , संरक्षण के काम में जुटे जिला शिक्षा एंव प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत व्यायाम शिक्षक संजीव शर्मा ने बताया कि बगीचा क्षेत्र में कैलाश गुफा, खुड़िया रानी गुफा ,पंडरापाठ और सन्ना क्षेत्र में अनुकूल जलवायु के चलते यंहा औषधीय गुणों की खेती की असीम  संभावना है. उन्होंने बताया इस अंचल में औषधीय गुण वाले शतावर, मुसली, तेजपत्ता, भूंई नीम, कियोकंद, भूंई आंवला, काली हल्दी, हड़जोड़ ,पुनर्नवा पौधों की पहचान रखने वाले अनेक लोग आज भी विभिन्न रोगों का सफलता पूर्वक इलाज कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जशपुर जिले में औषधीय गुणों की खेती को संरक्षण दिऐ जाने रोजगार के नऐ अवसरों में काफी इजाफा हो सकेगा.
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