रायपुर—तात्कालीन आईजी बिलासपुर और मुंगेली में पदस्थ आरक्षक महिला का आडियो टेप आज जांच कमेटी के सामने पेश किया गया। महिला आरक्षक भी कमेटी के सामने उपस्थित होकर अपने बयान को दर्ज कराया। पीड़ित महिला ने बताया कि वह न्याय के लिए आखिर तक लड़ाई लड़ेगी। इस दौरान हाईकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता निरूपमा वाजपेयी भी उपस्थित थीं। निरूपमा ने बताया कि जरूरत महसूस हुई तो परिवाद भी दायर किया जाएगा।
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तात्कालीन आईजी पवन देव और महिला आरक्षक आडियो टेप काण्ड की आज पहली सुनवाई हुई। मामले सामने आने के बाद गायब आरक्षक महिला जाचं समिति के सामने पेश हुई। वकील निरूपमा वायपेयी के जरिए टेप को समिति के सामने रखा। महिला ने बताया कि न्याय के लिए अंत तक लड़ेगी। मालूम हो कि महिला ने आईजी पवन देव पर प्रताड़ना और शोषण का आरोप लगाया है। उसने चकरभाटा में आईजी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने का प्रयास किया लेकिन उसे पुलिस ने भगा दिया। महिला आरक्षक ने रायपुर में गुहार लगाई। आरोप के खिळाफ आई जी ने भी रायपुर पहुंचकर अपना पक्ष डीजीपी के सामने रखा। विवाद गहराते देख गृह सचिव ने मामले की सच्चाई जानने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया। जांच समिति का चेयरमैन रोजगार नियोजन विभाग की प्रमुख सचिव रेणु पिल्लै को बनाया गया।
जांच समिति में एआईजी सोनल मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा शर्मा, पुलिस महानिरीक्षक छग सशस्त्र बल बीपी पौशार्य को सदस्य बनाया गया। आज समिति की पहली बैठक हुई। नया रायपुर स्थित महानदी भवन में सुबह 11 बजे पीड़ित आरक्षक ने समिति के सामने बयान दर्ज कराया। इस दौरान महिला आरक्षक ने पूर्व में की गई शिकायतों को दोहराया और जांच समिति के सदस्यों को ऑडियो भी सौंपा।
रिकार्डिंग में कथित रूप से पवन देव ने महिला आरक्षक को फोन से देर रात अपने निवास पर बुलाने की बात कही गयी है।इस दौरान महिला काफी निर्भिक दिखाई दी। उसने कहा कि मै डरी हुई नहीं हूं। अपनी सुरक्षा के मद्देनजर गायब थी। मुझ पर लगातार दबाव डाला जा रहा था।
जरूरत पड़ी तो कोर्ट जाएंगे..निरूपमा वाजपेयी
महिला आरक्षक की वकील हाईकोर्ट अधिवक्ता निरूपमा वाजपेयी ने बताया कि महिला आरक्षक ने निर्भीक होकर अपना बयान दर्ज कराया है। वह किसी भी दबाव में नहीं थी। वह साहसी है। अपनी लड़ाई अंत तक लड़ने की बात कह रही है। उसने समिति को आडियो टेप भी सौंप दिया है।
क्या महिला डर या किन्ही अन्य कारणों से गायब हो गयी थी के सवाल पर निरूपमा वाजपेयी ने बताया कि महिला गायब नही हुई थी। उसे कानूनी रूप से सुरक्षा का अधिकार है। कानून भी कहता है कि दबाव से बचने लोगों को सुरक्षा का पूरा अधिकार है। निरूपमा ने बताया कि यदि आरोप गलत होते तो महिला जांच समिति के सामने आती ही नहीं। ना ही उसे कोई हथियार बनाकर उपयोग कर रहा है।
जांच से आपको किसी प्रकार का अंसतोष है कि सवाल पर सीजी वाल से निरूपमा वायपेयी ने बताया कि मुझे जानकारी थी कि जांच आयोग करेगा। इस बात को लेकर मुझे नाराजगी थी। लेकिन मालूम हुआ कि जो समिति मामले की जांच कर रही है उसे सजा दिलाने का कानूनी अधिकार है। विशाखा गाइडलाइन के अनुसार होगा। विशाखा गाइडलाइन के अनुसार समिति को कानूनी अधिकार हासिल है। इसलिए नाराजगी की बात ही नहीं।
सीजी वाल को निरूपमा ने बताया कि महिला आरक्षक को न्याय मिलेगा…पूरी उम्मीद है। जरूरत महसूस हुई तो हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। हमारे संविधान में न्यायपाने के कई रास्ते हैं। एफआईआर दर्ज करवाएंगे। परिवाद दायर करेंगे। लेकिन अभी इसकी जरूरत नहीं है। यह रास्ता जरूरत पड़ने पर ही अख्तियार किया जाएगा।