जूम एप पर शिक्षकों के सामने अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं…सवाल कायम है..कैसे होगी ONLINE पढ़ाई..? इस बारे में क्या कहते हैं..शिक्षक नेता ..?

Chief Editor
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बिलासपुर।कोरोना काल के दौर के पूर्व स्कूली बच्चों को  मोबाइल और इंटरनेट में वाट्सएप, टेलीग्राम,  विडियो चैट से दूर रहने के लिए घर पर माता पिता और स्कूल में शिक्षक कहा करते थे। वही सब अब स्कूल शिक्षा विभाग कोरोना के साये में शिक्षको के जरिये ,पालकों और छात्रो पर थोप दिया है। डिजिटलीकरण की  ओर बढ़ती प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था वतर्मान में गुण दोष भरी हुई है। जिसमे  चीनी ज़ूम एप का सबसे बड़ा योगदान है। चीनी एप ज़ूम को लेकर गृह मंत्रालय के साइबर को-अर्डिनेशन सेंटर सहित तमाम आईटी एक्सपर्ट की  एडवाजरी में इसके उपयोग में सावधानी बरतने को कहा है। बताया जाता है कि इस एप से निजी डेटा साइबर अपराधियों तक पहुँच सकता है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे व पाए देश प्रदेश की विश्वसनीय खबरे

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इसका उपयोग सुरक्षित नहीं है। इस चायनीज एप के इतने गुण दोष सामने आने के  बावजूद  स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ज़ूम एप से नजदीक बनाए हुए..। जिसकी वजह  से आम शिक्षक, आम ग्रामीण परिजन व छात्र जिन्हें मोबाईल के तकनीकी दांव पेंच नही आते है उनके लिये ज़ूम घर बैठे बिठाए मुसीबत खड़ी कर सकता है।छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमी की ओर से जारी हुए मैसेज और यूट्यूब में अपलोड हुए वीडियो से पता चलता है कि  19 अप्रैल को डी पी आई और मिशन डायरेक्टर,  समग्र शिक्षा अभियान छत्तीसगढ़  द्वारा ज़ूम एप  के प्लेटफार्म पर  राज्य के सभी संकुल शैक्षिक समन्वयकों  की ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई  | बैठक में “पढ़ाई तुहर दुवार” के अंतर्गत वर्चुअल क्लास  व ऑनलाइन क्लास के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश दिए गये है। 20 और 21 अप्रैल को छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमी की ओर से ज़ूम मीटिंग एप के माध्यम   से जुड़ने व कक्षा 10 के विज्ञान विषय की कक्षा चलने की जानकारी शेयर की गई थी। इसका अर्थ यह कि स्कूल शिक्षा विभाग ज़ूम एप का उपयोग कर रहा है।

तकनीक के जानकारों का कहना है कि आन लाइन क्लास के लिए ज़ूम एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है। विश्व के कई देश शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग करते है। इसके बिना “पढ़ाई तुहर द्वार” अधूरी जान पड़ती है। मीटिंग एप्स तो कई है पर और कोई दूसरा आन लाइन मुफ्त ज़ूम जैसा विकल्प सरल और सुलभ नही जान पड़ता है। जिसे शिक्षक और ग्रामीण छात्र आसानी से ऑपरेट कर सके। …. सीजी स्कूल इन के शिक्षण सामग्री के प्रोग्राम के वीडियो जो कि यूट्यूब में टॉय टॉय फिस्स हो चुके है। जिसे पोर्टल के पंजीकृत छात्रों की सँख्या के अनुपात में पांच प्रतिशत भी छात्र इसे देखें तक नही है।पोर्टल का  गूगल ,एलेक्सा व अन्य रेटिंग पोर्टल पर इसका ट्रैफिक क्या है यह तो विभाग ही बता सकता है…..पर स्कूल शिक्षा विभाग का पढ़ाई तुंहर द्वार कार्यक्रम शहरी व ग्रमीण अंचल के…. समृद्ध व जागरूक अभिभावकों के बीच लोक प्रिय हो चुका है। इसकी उपलब्धि इसी पोर्टल पर लगा मीटर बताता है ….! इसमें दिए आकड़ो के अनुसार  1,61,821 स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े शिक्षक और 4,665 कालेजो के शिक्षक जुड़ कर पंजीकृत हो चुके है। जिसमे 14,90,780 पहली से 10 तक के स्कूली छात्र और  68877 कालेज के छात्र जुड़ कर पंजीकरण कर चुके है। जिसे 27 करोड़ से अधिक लोग देख चुके है। इसमे 7,387 वीडियो ,168 ऑडियो,3481 फ़ोटो, 1642 कोर्स मटेरियल, 76 ऑनलाइन कक्षाएं  के विवरण अब तक अपडेट किये जा चुके है।

पोर्टल में दिए गए आंकड़ों को आधार बना कर माना जाए तो  166486  शिक्षक और 15,59,657 छात्रो के मोबाईल पर जूम एप की अनिवार्यता की तलवारें लटक रही है।  वही साइबर अपराधियों के लिए भी छत्तीसगढ़ के 17,26,144 ज़ूम मिटिंग एप के खाते धारकों के डेटा चोरी होने का अंदेशा बरकार है।पढ़ाई तुंहर द्वार कार्यक्रम को लेकर तमाम सोशल मीडिया में शिक्षको और छात्रों के परिजनों के उठते हुए सवालों और उनके दावों का खंगालने पर यह  सामने आता है कि … सबसे बड़ी चीज है मंशा …जब तक अधीनस्थ तकनीकी के उपयोग से सामग्रियों को लक्षित समूह तक पहुचाएं नही और लक्षित समूह इसे ग्राह्य कर ले तभी तकनीकी कार्यकर्मो की सार्थकता है। 

 शिक्षक नेताओं की ज़ूम एप पर खामोशी को तोड़ते हुए इस विषय पर  छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा से चर्चा की तो उन्होने बताया कि ज़ूम एप पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की एडवाजरी को ध्यान में रखते हुए स्वयं शिक्षक निर्णय लें। सँयुक्त शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष केदार जैन ने बताया कि प्रदेश के कई शिक्षक अभी भी मोबाइल में कई तकनीकी कार्य करने में पारंगत नही है। वही कुछ शिक्षक साफ्टवेयर इंजीनियरों के समक्ष है। ज़ूम एप से शिक्षको के बड़े वर्ग के निजी डेटा के दुरुपयोग होने की संभावना हैं । शासन स्तर पर इस विषय मे स्पष्ट आदेश जारी होना चाहिए।शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे का इस विषय पर कहना है कि शिक्षकों के मोबाइल पर उनकी स्कूल व आर्थिक लेनदेन की जानकारी होती है। ज़ूम एप से इन पर खतरा हो सकता है। गृह मंत्रालय की एडवाजरी का पालन किया जाना चाहिए।

नवीन शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास राजपूत का कहना है कि शिक्षक आन लाईन तकनीक का विरोधी नही है। पर  खुद को साइबर ख़तरे में झोंक कर कार्य नही किया जा सकता है। चायनीज़ ज़ूम एप पर स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट गाइड लाइन जारी करने की जरूरत है।

सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा का कहना है कि जूम एप को प्रदेश के शिक्षको ने मजबूरी में डाउनलोड किया है। देश का गृह मंत्रालय अगर सावधान कर रहा है तो इस बात को हल्के में नही लेना चाहिये । शिक्षा विभाग में तत्काल दिशा निर्देश जारी करना चाहिए।  महिला शिक्षा नेता गंगा पासी ने बताया कि प्रदेश की अधिकांश महिला शिक्षक नए एंड्रॉयड मोबाईल फोन के कई फीचर्स नही जानती हैं। और सबसे बडी समस्या मोबाइल की सेटिंग्स और उसके नए नए फीचर्स को लेकर आती है। वाट्सएप के बाद इंस्टाग्राम फिर ज़ूम एप ने आम महिला शिक्षको को उलझा कर रख दिया है। वही ज़ूम एप की वजह से निजी जानकारी अन्य हाथों में जाने का खतरा है।इस पर ठोस निर्णय लिया जाना चाहिए।

सर्व स्कूल अभिभावक एवं  विद्यार्थी कल्याण संघ के अध्यक्ष मनीष कुमार अग्रवाल का कहना है कि चायनीज़ एप ज़ूम में छात्रो का भला नही होना है। उल्टे पालकों की आर्थिक व निजी जानकारियों के चोरी होने का खतरा अधिक है। सरकार और शिक्षण संस्थानों ने इस कोरोना के काल मे अभिभावकों पर बेवजह परेशान नही करना चाहिए। बिलासपुर व रायपुर जैसे शहर  मे कई जगहों पर नेटवर्क की समस्या है। आन लाइन पढ़ाई के चक्कर पालकों का एक से डेढ़  जीबी डेटा दो  से तीन घंटे में उड़ जा रहा है। प्राथमिक और मिडिल स्कूल के छात्रो को नया मोबाइल लेकर देना भविष्य में समस्या खड़ी कर सकता है। ग्रामीण और गरीब पालकों के लिये आन लाइन की पढ़ाई औऱ भी कठिन है

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