5 साल से काट रही थी बेगुनाही की सजा…डॉ.अलंग ने भरा सपनों में रंग…अब जैन इंटरनेशनल में पढ़ेगी कैदी की बच्ची…

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— कलेक्टर डॉ.संजय अलंग ने जेल का औचक निरीक्षण किया। जेल में कलेक्टर से मुलाकात के बाद खुशी की जीवन ही बदल गयी। भावुक कलेक्टर ने ऐसा कदम उठाया जिसे हमेशा के लिए याद रखा जाएगा। भविष्य में खुशी इस लम्हे को शायद ही कभी भूलेगी। जी हां खुशी अब जैन इन्टरनेशनल में पढ़ेगी। अब जेल की उंची दीवारे उससे सपनों को रोक नहीं सकेंगी।

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                       आज कलेक्टर डॉ.संजय अलंग केन्द्रीय जेल का औचक निरीक्षण करने पहुंंचे। आज का दिन खुशी के जीवन में हमेशा के लिए मील का पत्थर साबित हो गया। बताते चलें की खुशी बदला हुआ नाम है। जन्म के पन्द्रह दिन के बाद से खुशी ना चाहते हुए भी छः साल से जेल की सजा काट रही है। खुशी ने जबसे होश संभाला…उसके जेल की ऊंची-ऊंची दीवारे..बड़े बड़ दरवाजे और दिल की धड़कनों को बंद कर देने वाली आवाजो को ही सुना।

                     दरअसल जब खुशी मात्र पंद्रह दिन की थी तभी उसकी मां की पीलिया से मौत हो गयी । पिता अपराध के लिये जेल में सजायफ्ता कैदी था। खुशी के पिता ने दस में से पांच साल की सजा को पूरा कर लिया है। चूंकि मां की मौत हो चुकी थी..पिता जेल में था। ऐसे में  पन्द्रह दिन की खुशी का पालन.पोषण के लिये घर में कोई नहीं बचा। जेल प्रशासन की अनुमति से खुशी को भी पिता के साथ पांच साल से जेल में रहना पड़ रहा है।

                 धीरे धीरे खुशी बड़ी होने लगी…परवरिश का जिम्मा महिला कैदी को दे दिया गया। खुशी की शिक्षा दीक्षा जेल के अंदर संचालित प्ले स्कूल में होने लगी। लेकिन जेल प्रशासन ने महसूस किया कि खुशी को जेल की आवोहवा पसंद नहीं है। वह ऊंची ऊंची दीवारों से बाहर आकर सांस लेना चाहती है। अपने जैसे बच्चों के साथ खेलना चाहती है। जेल के बाहर किसी बड़े स्कूल में पढ़ना चाहती है।

कलेक्टर से कहा पढ़ना चाहती हूं

                     संयोग कहें कि खुशी के जीवन में आज वो पल आ ही गया। दरअसल कलेक्टर डॉ संजय अलंग आज  अचानक केंद्रीय जेल बिलासपुर का निरीक्षण करने पहुंचे।  कलेक्टर निरीक्षण करते महिला सेल भी गए। उन्होने दे खा कि महिला कैदियों के साथ मासूम बच्ची खुशी बैठी है। उदास लेकिन चमकदार आंखे कुछ कहना चाहती हैं। कलेक्टर डॉ अलंग को परखने में देर नही लगी। उन्होने खुशी से संवाद किया। पढ़ाई के बारे में सवाल जवाब किया। पूछा कि क्या वह बाहर पढ़ना चाहती है। इतना सुनते ही खुशी ने कहा..हां वह बाहर जाना चाहती है। खूब पढ़ना चाहती है। बड़े होकर कुछ बनना चाहती है। इतना सुनते ही कलेक्टर भावुक हो गये..आंखे भर आयी।

जैन इंटरनेशनल ने बढ़ाया हाथ

                  कलेक्टर अलंग ने वादा किया कि खुशी को शहर के किसी बड़े स्कूल में एडमिशन पढ़ाएंगे। खुशी अब स्कूल के हॉस्टल में रहेगी। इस दौरान उसे सभी प्रकार की सुविधाएं  भी मिलेंगी।  डॉ अलंग ने तत्काल शहर के स्कूल संचालकों से बातचीत की। जैन इंटरनेशनल स्कूल के संचालक खुशी को एडमिशन देने तैयार हो गये। लायंस क्लब भी खुशी के एडमिशन में सहयोग करने आगे आया ।  खबर सुनने के बाद सजा काट रहे  पिता की आंखे भी नम हो गयीं। उसने कहा कि बड़े स्कूल में दाखिला मिलने के बाद खुशी का जीवन संवर जाएगा।

खुशी को केयर टेकर की सुविधा

                मामले में कलेक्टर ने जेल प्रशासन महिला बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तमाम औपचारिकताएं पूरी करने का निर्देश दिया। कलेक्टर की पहल पर जैन इंटरनेशनल स्कूल एडमिशन प्रभारी ने जेल प्रशासन से संपर्क किया। खुशी का पहली क्लास में एडमिशन के लिये प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है। स्कूल प्रबंधन ने बताया कि 17 जून से स्कूल खुलते ही खुशी स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करेगी। खुशी के लिये विशेष तौर केयर टेकर का भी इंतजाम किया जाएगा।

                        कलेक्टर ने खुशी जैसे और भी बच्चों के लिये समाज के लोगों से आगे आने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि माता या पिता की सजा के साथ बच्चों को मजबूरी में जेल में रहना पड़ता है। सामाजिक संस्थाएं यदि ऐसे बच्चों की मदद के लिये आगे आएं तो बच्चों का भविष्य संवारा जा सकता है। कलेक्टर ने बताया कि 17 बच्चों को भी इसी तरह न्याय मिलेगा। निजी संस्थाओं को इसके लिए हाथ बढ़ाना होगा।

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