जोगी कांग्रेस का सीपीआई से भी गठबंधन, पार्टी का दावा – और मजबूती मिलेगी

Shri Mi
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रायपुर।जोगी कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के साथ गठबंधन करने की घोषणा की है। बता दे कि सीपीआई बस्तर की दो सीटों- दंतेवाड़ा और कोंटा पर अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेगी।बहुजन समाज पार्टी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और कम्मुनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के गठबंधन की अपार लोकप्रियता एवं भारी जनसमर्थन के बीच, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ने आज एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, बहुजन समाज पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के गठबंधन में शामिल होने का निर्णय लिया है।

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कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के शामिल होने से, माननीय बहन मायावती जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में बने बसपा-जेसीसीजे-सीपीआई महागठबंधन की ताकत दुगुनी हो गयी है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि तीन समान विचारधारा के दलों का यह जनसमर्थित महागठबंधन, अगले माह होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में महाविजयी गठबंधन सिद्ध होगा।

सीपीआई के शामिल होने से बसपा-जेसीसीजे-सीपीआई महागठबंधन की पकड़ बस्तर सहित कई अन्य विधानसभाओं में मजबूत होगी, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ मजदूर वर्ग बहुसंख्या में है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत जोगी बसपा-जेसीसीजे-सीपीआई महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री प्रत्याशी होंगे।

बसपा-जेसीसीजे-सीपीआई महागठबंधन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के दलित, अतिपिछड़ा, आदिवासी, मेहनतकश, अल्पसंख्यक, सामान्य वर्ग के गरीब लोग, गाँव, मजदूर और किसान के मतों को संगठित कर एक ऐसी सरकार बनाना है जो छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ियों के हितों के निर्णय छत्तीसगढ़ के लोगों के द्वारा, छत्तीसगढ़ में ही लिए जाने की व्यवस्था लागू करेगी।

बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा और कोंटा विधानसभा सीटों में सीपीआई के प्रत्याशी महागठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी होंगे। दंतेवाड़ा और कोंटा सीटों पर सीपीआई की शुरू से ही बहुत मजबूत पकड़ रही है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय 1990 और 1993 के चुनावों में इन दोनों सीटों पर सीपीआई ने जीत दर्ज की थी।

इसके बाद 1998 के विधानसभा चुनावों में इन दोनों सीटों पर सीपीआई के प्रत्याक्षी द्वितीय स्थान पर रहे। पृथक छत्तीसगढ़ का निर्माण होने के बाद 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनावों में भी इन दोनों सीटों पर सीपीआई द्वितीय स्थान पर रही। 2008 के विधानसभा चुनावों में दंतेवाड़ा में सीपीआई के प्रत्याक्षी द्वितीय स्थान पर रहे जबकि कांग्रेस तृतीय स्थान पर थी। वहीं 2008 में कोंटा में बहुत ही नजदीकी मुकाबले में सीपीआई के प्रत्याशी मात्र 879 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार से हारे। 2013 के चुनावों में दोनों सीटों पर सीपीआई के प्रत्याक्षी तृतीय स्थान पर रहे।

एसईसीएल, BALCO, भिलाई स्टील प्लांट, एनएमडीसी, एनटीपीसी, रेल्वे समेत अन्य उद्योगों में सीपीआई समर्थित श्रमिक संगठनों की सदस्यता पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक है। छत्तीसगढ़ के श्रमिक आंदोलन में सीपीआई, दोनों भाजपा और कांग्रेस समर्थित श्रमिक संगठनों से बहुत आगे है। बसपा-जेसीसीजे-सीपीआई महागठबंधन को इस श्रमिक आंदोलन का साथ मिलने से मज़बूती मिलेगी।

सीपीआई एवं सीपीआई तथा सीपीआई समर्थित मज़दूर यून्यन द्वारा बस्तर की अन्य सीटें विशेषकर चित्रकोट और बीजापुर तथा औद्योगिक क्षेत्र जैसे कोरबा और भिलाई नगर में महागठबंधन के पक्ष में प्रचार किया जाएगा। इन क्षेत्रों में चुनावों में सीपीआई द्वारा उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा।

महागठबंधन के मुख्यमंत्री प्रत्याशी श्री अजीत जोगी अगले हफ्ते 20 से 24 अक्टूबर तक बसपा-जेसीसीजे-सीपीआई महागठबंध के प्रत्याशियों के पक्ष में अपने धुआँधार बस्तर दौरे के लिए कूच करेंगे एवं 23 अक्टूबर को कोंटा और दंतेवाड़ा में सीपीआई के उम्मीदवारों के पक्ष में भी विशाल आमसभाओं को संबोधित करेंगे।

राजनीतिक दलों की संगठनात्मक क्षमता को आँका जाए तो कांग्रेस एक संगठनविहीन दल है। ज़मीनीस्तर में कार्य करने वाले कार्यकर्ता नहीं है। वहीं पंद्रह साल सत्ता के नशे में चूर भाजपा का संगठन ज़मीन से कोसों दूर हवा में चल रहा है। बसपा-जेसीसीजे-सीपीआई तीनों दल संगठन आधारित दल हैं। तीनों दलों के साथ आने से ऐतिहासिक और मजबूत महागठबंधन निर्मित हुआ है।

उसी प्रकार तीनों दलों के संगठन के साथ आने से पूरे छत्तीसगढ़ में ब्लॉक और बूथ स्तर पर एक विराट तीनों दलों का एक महासंगठन तैयार हुआ है जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त संगठन होगा। बसपा-जेसीसीजे-सीपीआई के महागठबंधन और महासंगठन के सामने भाजपा और आरएसएस का संगठन निश्चित ही पराजित होगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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