बिलासपुर— कलेक्टर ने जोगी का जाति प्रमाण निरस्त कर दिया है…हाईपावर कमेटी के पत्र का कलेक्टर ने जवाब भेज दिया है…दिनभर लोगों के बीच जोगी की जाति को लेकर कुछ इस तरह की चर्चाएं थीं…। पत्रकारों से कांग्रेस और भाजपा के दो बडे नेताओं ने जोगी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की। कलेक्टर ने हाईपावर कमेटी के रिपोर्ट का क्या उत्तर दिया…देर शाम तक लोग कयास ही लगाते रहे।
लेकिन सूत्रों की मानें तो कलेक्टर ने जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। बावजूद इसके पत्रकारों के प्रश्न पर कलेक्टर चुप है…एडीएम की मानें तो हाईपावर कमेटी का लिफाफा नहीं खोला है।
जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त हुआ या नहीं…मामले को लेकर शहर में दिन भर लोग कयास लगाते रहे। जितनी मुंह उतनी बातें सुनने को मिलीं। लेकिन कोई भी अधिकारी मामले में मुंह खोलने को तैयार नहीं हुआ। कलेक्टर पी.दयानन्द ने भी पत्रकारों के सवालों को टाल दिया…। खासतौर पर जाति प्रमाण पत्र निरस्त के सवाल पर कलेक्टर चुप ही रहे…। सीजी वाल को बताया कि जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने की जानकारी मुझे पत्रकारों से ही मिल रही है। सूत्रों की मानें तो कलेक्टर ने जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। पत्रवार्ता में पीसीसी चीप भूपेश बघेल ने भी दावा किया है कि जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है।
अतिरिक्त कलेक्टर के.डी.कुंजाम ने भी पत्रकारों को दिनभर टाल मटोल वाला जवाब दिया। उन्होने बताया कि रायपुर से पत्र आया है..लेकिन लिफाफा खोला नहीं गया है। बातचीत के बीच एडीएम ने बताया कि पत्र हाईपावर कमेटी का है…। लेकिन अभी तक पढ़़ा नहीं हूं…। पढ़ने के बाद कुछ कहने की स्थिति में रहूंगा। कुछ देर बाद उन्होने कहा कि मामला जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने का है…निर्णय कलेक्टर साहब को लेना है। इसके बाद एडीएम कुंजाम पत्रकारों से बचते हुए कलेक्टर कार्यालय चले गए।
कुल मिलाकर मामले में कलेक्टर चुप हैं…एडीएम ने अभी तक लिफाफा नहीं खोला है। सूत्र कहते हैं कि जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है।
6 बार हुआ निरस्त–जोगी
इधर जोगी ने बयान दिया है कि जाति प्रमाण पत्र का निरस्त होना मेरे साथ सातवीं बार है। मेै न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा। इसके पहले जाति प्रमाण को 6 बार निरस्त किया जा चुका है। यदि जोगी के बयान पर गौर करें तो कलेक्टर पी.दयानन्द ने अजीत प्रमोद जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। किसी प्रकार की ऊंच नींच से बचने के लिए उन्होने चुप रहना बेहतर समझा…और एडीएम ने लिफाफा नहीं खुलने का तर्क दिया है।