रायपुर।जकांछ कोर कमेटी के सदस्य, एवं वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने कांग्रेस सरकार को कांग्रेस जनघोषणा पत्र में किये गये पूर्ण शराबबंदी के वादे का स्मरण दिलाते हुये कहा है कि जिस तरह से कांग्रेस ने सत्तासीन होने के बाद 3 दिन के अन्दर किसानों के कर्जमाफी के वचन का पालन कर दिखाया है उसी प्रकार शराबबंदी बाबत् की गयी घोषणा का तत्काल पालन हो जाना चाहिए था, परन्तु शराबबंदी लागू न करने से जनता में कांग्रेस की वादाखिलाफी स्पष्ठ दिख रही है। शराबबंदी के वादे से मुकरना प्रदेश की जनता खासकर के महिलाओं के साथ विश्वासघात है। प्रदेश की महिला मतदाताओं ने कांग्रेस के जनघोषणा पत्र पर विश्वास करके उसे भारी मतो से जिताया है, परन्तु सत्तासीन होने के बाद कांगे्रेस शराबबंदी के वादे से मुकरती नजर आ रही है।सीजीवालडॉटकॉम के WhatsApp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे
रिजवी ने कहा है कि शराबबंदी बाबत् प्रदेश की सरकार द्वारा कमेटी गठित कर राय मांगना औचित्यहीन है। कांग्रेस के जनघोषणा पत्र में कांग्रेस द्वारा शराबबंदी हेतु कमेटियों का गठन करने की बात नही की गयी थी जो कांग्रेस की नीयत पर शंका उत्पन्न करती है। किसानो के कर्जमाफी बाबत् सरकार ने बिना कमेटी गठित किये अपना वादा निभाया है।
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शराबबंदी के लिए समितियां गठित करना केवल छलावा है। शराब के सरकारी धंधे से प्राप्त बेशुमार आय देखकर कांग्रेस की नीयत खराब होती स्पष्ट नजर आ रही है। शराब का व्यवसाय जारी रहे इस विषय पर स्पष्ट है कि कांग्रेस एवं भाजपा दोनो का नजरिया एक जैसा है। प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार ने शराबखोरो की इतनी ज्यादा लत बढ़ा दी है कि शराबियों के डिनर में शराब एक डिश की तरह मेनू में शामिल हो चुकी है।
जकांछ ने शपथ-पत्र के माध्यम से शराबबंदी का वादा किया था और यदि जकांछ सत्ता में आती तो सत्तासीन होने के तत्काल बाद इस सामाजिक बुराई एवं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक शराबबंदी लागू हो चुकी होती। आसन्न लोकसभा चुनाव मे शराबखोरी की बढ़ती लत से पीड़ित एवं प्रताड़ित मां-बहने कांग्रेस की वादाखिलाफी का बदला अवश्य लेगी।