मरवाही के कोटमी में हाल ही में हुए जोगी मेले से लौटकर अपन ने बरगद से पंडाल तक….…. विश्वसनीयता की नोंक पर टिकी जोगी की नई फिल्म …….. हैडिंग से इसी कॉलम में लिखा था कि अजीत जोगी ने किस तरह के माहौल में अपनी नई पार्टी की हुंकार भरी……। और किस तरह के माहौल में लोग मेले में ही खड़े विशाल बरगद की छाँव छोड़कर जोगी के तपते पंडाल में आ गए थे………। यह इत्तफाक की बात है कि जिस काँग्रेस पार्टी को अजीत जोगी छोड़ चुके हैं, उसी कांग्रेस ने इतनी जल्दी ही एक मौका फिर से मुहैया करा दिया है कि इस नए मेले में जोगी के पंडाल के जवाब में कांग्रेस के पंडाल की तैयारियों पर बात तो हो सकती है। वैसे 21 जून का यह प्रोग्राम प्रदेश काँग्रेस कमेटी की संकल्प यात्रा के आगाज पर किया जा रहा है। जो पार्टी के हिसाब से तो बिलासपुर संभाग के स्तर का है। लेकिन अजीत जोगी के गाँव-घर मरवाही से इसकी शुरूआत ने इसे काफी दिलचस्प बना दिया है। जोगी के पार्टी से बगावत के बाद कांग्रेस की ओर से प्रदेश में कोई पहला कार्यक्रम है।इस वजह से भी इस पर लोगों की निगाहें लगी हुई हैं।कांग्रेस ने इस पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।सम्मेलन में संभाग के कांग्रेसियों के साथ ही प्रदेश भर के दिग्गज कांग्रेसियों को जोड़ने की पक्की तैयारी कर ली गई है……..। इसलिए मरवाही एक बार फिर से सुर्खियों में है…….। जैसे कभी भंवर सिंह पोर्ते की राजनीति के दौर में था…………जैसा कभी विधानसभा चुनाव के दौरान डा. भंवर सिंह पोर्ते के असामयिक निधन के समय था……। जैसे कभी बीजेपी एमएलए रामदयाल उइके के इस्तीफे को लेकर था……..जैसे मुख्यमंत्री रहते अजीत जोगी की उम्मीदवारी में हुए उपचुनाव में था……… जैसा मुख्यमंत्री का गृहक्षेत्र होने की नई पहचान हासिल करने के बाद था….. और जैसा अमित जोगी के विधायक बनने और फिर उनके निष्कासन के समय था………। बस वैसे ही अभी भी छत्तीसगढ़ के आखिरी छोर पर बसा मरवाही एक बार फिर सुर्खियों में है……।
अजीत जोगी नें अपनी नई पार्टी का ऐलान करने के लिए मरवाही इलाके के बीच बसे कोटमी गाँव को चुना था….। जिसमें प्रदेश भर से उनके समर्थक जुटे थे। कोटमी में मंच और पंडाल के करीब ही बरगद का एक बड़ा पुराना पेड़ था। लेकिन कांग्रेस ने 21 जून को मरवाही के जिस कॉलेज मैदान में सम्मेलन बुलाया है, उसके पास कोई बरगद का पेड़ नहीं है…….। केवल पंडाल रहेगा……….। शायद इसलिए जोगी के जवाब में कांग्रेसियों ने पंडाल को ही “बरगद” बना देने की रणनीति पर काम किया है।बताते हैं सम्मेलन के लिए 120 + 180 फीट के नाप से बड़ा पंडाल बन रहा है……..। वह भी वाटर-प्रुफ……..। जिसके नीचे एक साथ काफी भीड़ समा सकती है…..। इस पंडाल को पूरा भरकर कांग्रेसी यह दिखाने की कोशिश में हैं कि हमारे साथ अब भी इतने लोग हैं। मँच भी इतना बड़ा बना है कि उस पर कुर्सियों में करीब डेढ. सौ लोग बैठ सकते हैं…….। जोगी के पंडाल का जवाब कांग्रेस के पंडाल से देने का मुकम्मल इंतजाम है……..। पंडाल को लेकर जोगी समर्थकों और कांग्रेसियों के बीच एक बार रस्साकशी हो चुकी है। जब शिकायत की गई कि कांग्रेस का पंडाल कॉलेज की जमीन पर बनाया गया है। आखिर पंडाल उखाड़कर करीब दस-एक फीट खिसकाया गया।रस्साकशी तो रेस्ट हाउस के रिजर्वेशन को लेकर भी हुई। बताते हैं इलाके के सभी रेस्ट हाउस जोगी परिवार के लोगों के नाम पर बुक करा लिए गए थे । बाद में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और नेता प्रतिपक्ष वगैरह के नाम से रेस्ट हाउस बुक कराए गए।
मरवाही में “मँच से लँच” तक सारा इंतजाम देखने खुद पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. चरण दास महंत वहां का दौरा कर चुके हैं और जिला इंका अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला आशिष सिंह , जय सिंह अग्रवाल , अटल श्रीवास्तव जैसे कई कांग्रेसियों के अलावा मरवाही इलाके से लोकल लोग काम पर जुटे हैं। तैयारी के इस दौर में कांग्रेसी मानकर चल रहे हैं कि मरवाही के कांग्रेस में कोई बिखराव नहीं हुआ है। और पक्के कांग्रेसी तैयारी में साथ रहे हैं। उनके दावे का एक पैमाना यह भी है कि जो लोग डा. महंत के दौरों में पहले भी आते थे , वे अभी भी आ रहे हैं। हां …. जो कांग्रेसी जोगी के साथ हैं, वे तो पहले से ही “चिनहाऊ” हैं। ऐसे लोग पहले भी नहीं आते थे और अभी भी तो उनके आने का सवाल ही नहीं उठता…….। जो साथ हैं उन्ही लोकल लोगों को सम्मेलन की कमान सौंप दी गई है। हालांकि गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही इलाके से काग्रेसी जनप्रतिनिधियों के जोगी के समर्थन में इस्तीफे की खबर भी सुर्खियों मे है। लेकिन खबर है कि कांग्रेस ने भी किसी नेता को अपने पाले में लाकर इसका जवाब देने की तैयारी कर ली है। जिसका खुलासा मरवाही के मँच पर होगा।
अब तक के माहौल को देखकर लगता है कि कांग्रेसी मरवाही सम्मेलन को जोगी के खिलाफ हो रहे आयोजन के रूप में पेश नहीं करना चाह रहे हैं। अलबत्ता इसे पार्टी के प्रति कांग्रेसियों की आस्था और प्रदेश में बीजेपी को “दुश्मन नम्बर एक” साबित करने की तैयारी दिखती है। ऐसे में अगर कांग्रेसी मरवाही मेले में जोगी पर हमला करने से बचते दिखाई दें तो हैरत की बात नहीं होगी। वैसे भी कोटमी के जलसे में अजीत- अमित जोगी ने कांग्रेस के बारे में एक लाइन भी नहीं कहा था। यह कांग्रेस को “निग्लेक्ट” करने और बीजेपी को अपना दुश्मन नम्बर एक बताने की उनकी रणनीति थी। कांग्रेस भी कुछ इसी अँदाज में उनका जवाब देने की तैयारी में दिखाई दे रही है। जोगी पर हमले के मामले में एक दिलचस्प वाक्या यह भी है कि हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी चर्चा में रही । जिसमें जोगी समर्थकों की ओर से चेतावनी दी गई थी कि कोटमी में जोगी ने कांग्रेस पर हमला नहीं किया तो मरवाही में भी जोगी के खिलाफ कोई बात नहीं होनी चाहिए …….। अब जो लोग मरवाही जाएंगे वही सुनेंगे कि कांग्रेस के “फोकस” में अजीत जोगी हैं या रमन सिंह……। .मगर इस ओर भी सवालिया नजरें टिकी रहेंगी कि – मरवाही में कांग्रेस के कितने एमएलए पहुंच रहे हैं…..?. अब तक जोगी के साथ दिखने वाले विधायकों का क्या रुख रहेगा……?. रामदयाल उइके क्या बोलने वाले हैं….?.और सबसे अहम् यह कि कोटमी के “जोगी पंडाल” का जवाब देने में “कांग्रेसी पंडाल” कितना कामयाब रहा…….?