ज्ञान के रसातल के बिना शोध संभव नहीं

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बिलासपुर। डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में एमफिल विद्यार्थियों का परिचय सम्मेलन।

विषय का ज्ञान अर्जन करने की पढ़ाई ही एफफिल की पढ़ाई है, इसे सिर्फ डिग्री लेने तक ही सीमित रखने की सोच नहीं होनी चाहिए। सही मायने में विषय ज्ञान अर्जित करके उसे शोध रूप में बदलकर कर समाज के हित में देना होता है। इससे आप समाज के विकास में भी भागीदार बनते है, यही एमफिल पढ़ाई की सार्थकता है। आज देश में जमीनी स्तर के शोध की जरूरत हैं,जिससे समाज के अधिक से अधिक लोगों को आसानी से लाभ मिल सकें। ज्ञान के रसातल के बिना शोध संभव नहीं हैं।उक्त बातें डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेश पाण्डेय ने एमफिल के परिचय सम्मेलन में विद्यार्थियों से कहीं। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई सामान्य पढ़ाई होती है। इसके बाद एमफिल में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को गंभीर होना होगा, क्योंकि आप आगे की पढ़ाई स्वयं के लिए समाज को कुछ देने के लिए पढ़ेंगे। यानी कि अब आपसे समाज को उम्मीदें बढ़ गई हैं। इसलिए विद्यार्थियों को गंभीरता से पढ़ाई करना होगा। श्री पाण्डेय ने कहा कि इसके लिए पहले दिन से लक्ष्य निर्धारित करना होगा। जब तक लक्ष्य तय नहीं होगा, तब तक यह पढ़ाई आगे नहीं बढ़ सकती है। शिक्षक बनने का लक्ष्य रखने वाले एमफिल के विद्यार्थियों से शैलेश पाण्डेय ने कहा कि आज स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा दोनों में ही कोई अच्छी स्थिति नहीं हैं। आज माध्यमिक शिक्षा मंडल के स्कूली शिक्षा के परिणाम में यह बात आई है कि प्रदेश के आधे जिलों में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत 1 प्रतिशत से भी कम है। जिसके लिए सरकार प्रतिमाह 3 लाख शिक्षकों को वेतन दे रही है। यही स्थिति उच्च शिक्षा की भी है जिसमें औसत् 19 से 22 प्रतिशत ही पंजीयन होता है। ऐसे में निजी सेक्टर के स्कूल, काॅलेज और विश्वविद्यालय ही शिक्षा के प्रतिशत को बेहतर बनाए हुए हैं।

इस अवसर पर शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष और एआईयू के समन्वयक डाॅ.पी.के.नायक ने एमफिल की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वास्तव में ये प्री पीएचडी है। जिस तरह से इसकी पढ़ाई होगी वही आगे पीएचडी की दिशा तय करेगा।

डाॅ. नायक ने कोर्सवर्क और इसकी तीन भाग और रिसर्च वर्क और थिसिस के बारे में विस्तार से विद्यार्थियों को बताया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष,प्राध्यापक और अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। सभी ने एफफिल के विद्यार्थियों को षुभकामनाएं दी।

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विद्यार्थियों के सामने चुनौतियां और बेहतर विकल्प-पाण्डेय

इस अवसर पर कुलसचिव श्री पाण्डेय ने कहा हमारा नव उदित प्रदेष जिस दौर से गुजर रहा है, यहां विद्यार्थियों के सामने रिसर्च के लिए अनेक चुनौतियंा है। रिसर्च के लिए संसाधनों का अभाव, उचित मार्गदर्षन, विस्तार का अभाव, तकनीकी सृदृता की कमी सहित कई चुनौतियां आएगी। लेकिन इसका दूसरा और महत्वपूर्ण लाभ यह भी है कि आज प्रदेष में हर क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकल्प है, संभावनाएं हैं। युवा होते राज्य में आने वाले साल में नई तकनीक, मजबूत अर्थव्यवस्था,अधोसरंचना में वर्शाैं के काम और हर क्षेत्र में हजारों विकल्प खुले हुए हैं। रिसर्च के विद्यार्थियों को इस अवसर का लाभ लेना चाहिए। यह समय आपका और देष का भविश्य तय करेंगा-डाॅ. दुबे इस अवसर पर डाॅ.सी.वी.रामन् विष्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डाॅ. आर.पी.दुबे ने कहा कि यह समय तो वह समय है जो आपका और भारत का भविश्य तय करेंगा। एमफिल और पीएचडी के दौरान ही भविश्य के रास्ते दिखाई पड़ने लगते है। आप जैसे विद्यार्थियों के षोध से ही बड़े काम होते हैं। डाॅ.दुबे ने बताया कि आजकल छोटे और बेहद जरूरतमंद षोध नहीं हो रही है। इसलिए हमारे देष को विदेषों की तकनीकी पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि जमीनीस्तर के छोटे और ज्यादा से ज्यादा समाज के उपयोगी हों। समाज की समस्या को दूर कर सकें। डाॅ. दुबे ने बताया कि प्रदेष सरकार रिसर्च के अर्थिक सहायता भी प्रदान करती है। विद्यार्थियों को इस बात की जानकारी लेना चाहिए और अच्छे षोध की प्लानिंग करना चाहिए, ताकि सरकार से लाभ मिल सके।

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