झीरम घाटी मामलाः हाईकोर्ट में विवेक बाजपेयी की याचिका मंजूर – केन्द्र सरकार, एनआईए और राज्य सरकार को नोटिस जारी

Chief Editor
5 Min Read
बिलासपुर ।   छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डबल बेंच ने विवेक बाजपेई और दौलत अरोड़ा  रोहड़ा  की याचिका स्वीकार कर ली है ।  जिसमें झीरम घाटी कांड की एनआईए जांच पर संदेश जताया गया है  । साथ ही मामले की केस डायरी इसी मामले की जांच कर रही एस आई टी को सौंपने की मांग की गई है  । कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ,एनआईए और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है  ।

Join Our WhatsApp Group Join Now
याचिकाकर्ता विवेक बाजपेई चीका ने  इस बारे में बताया की उन्होंने और दौलत रोहड़ा ने व्यक्तिगत हैसियत से यह याचिका दायर की है ।  वे 25 मई 2013 को हुए झीरम घाटी कांड के चश्मदीद हैं । उनका कहना है कि एनआईए इस मामले में अपने अधिकार क्षेत्रों से बाहर जाकर काम कर रहा है  । जब एनआईए ने जांच पूरी कर ली है तो केस डायरी एसआईटी को हैंड ओवर करना चाहिए ।  मामले में एनआईए ने एफ आई आर में इस बात का जिक्र किया है कि इस मामले में एक लार्जर कांस्टेंसी प्रतीत होती है ।  लेकिन एनआईए ने षडयंत्र  पार्ट की  कहीं कोई जांच नहीं की है  । विवेक बाजपेई का कहना है  हम लोगों को भी पार्टी बनाया जाए ।  एनआईए ने केस क्लोज कर दिया है तो इसे दूसरी एजेंसी को दें ।  उन्होंने बताया कि पहले कांग्रेस  जब विपक्ष में थी  उस समय उमेश पटेल ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था कि झीरम घाटी कांड की जांच सीबीआई को की दिया जाए  । क्योंकि एनआईए ने मामले में षडयंत्र के हिस्से की जांच नहीं की थी ।  तब उस समय की  प्रदेश सरकार ने प्रकरण सीबीआई को रेफर कर दिया था  । लेकिन दिसंबर 2016 में केंद्र सरकार ने जवाब दे दिया था कि मामले की जांच सीबीआई से नहीं होगी  । इस बात को उस समय की राज्य सरकार ने दबा दिया था  । इसके बाद सरकार बदली और कांग्रेस सरकार की समझ में यह बात आई कि इसकी जांच सीबीआई ने मना कर दिया है ।  इसके बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया और एन आई एस ए केस डायरी की मांग की  । जिससे मामले के  कांस्पेरेसी पार्ट की जांच हो सके  । तब एनआईए ने केस डायरी देने से मना कर दिया तो कोर्ट में यह मामला लगाया गया कि एनआईए अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रहा है और आधी अधूरी जांच कर केस कंप्लीट कर दिया है ।
विवेक बाजपाई बताते हैं कि जैसे जांच के दौरान दो बड़े नक्सली नेता गणपति और रमन्ना का नाम एफ आई आर में आया था  । एनआईए ने प्रथम दृष्ट्या यह माना था कि यह झीरम घाटी केस में शामिल रहे हैं  । इसके बाद उनके नाम पर वारंट भी जारी किया गया ।  उन्हें फरार भी घोषित किया गया और उनकी संपत्तियों को भी जप्त करने का आदेश दिया गया  ।   यह सब होने के बाद जब एनआईए ने चार्जशीट पेश की  तब उन दोनों का नाम गायब थे । जिससे कई संदेह पैदा होते हैं  । उन्होंने आगे कहा कि जब शुरू में एनआईए को लग रहा था कि यह बहुत बड़े अपराधी हैं तो फिर उनका नाम चार्ज शीट से कैसे गायब हो गया  । इसमें कहीं ना कहीं षड्यंत्र की बू आ रही है ।  इसे देखते हुए हाईकोर्ट में रिट पिटिशन लगाई गई थी  । हाईकोर्ट  की डबल बेंच ने यह पिटीशन स्वीकार कर लिया है और मामले में केंद्र सरकार ,एनआईए और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है ।  इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 सितंबर की तारीख तय की गई है।

 

 

close