ट्रायबल मे अफसरों के आदेश भी दरकिनार

BHASKAR MISHRA
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ADIVASI DEPART..बिलासपुर।आदिवासी विकास सहायक आयुक्त वरिष्ठ अधिकारियों की भी नहीं सुनती..पत्र का भी जवाब नहीं देती हैं। यहां तक के.आर.दयाल के स्थानांतरण और राशि समायोजन मामले में सचिव और उपायुक्त का जवाब आज तक नहीं दिया है।सचिव ने तो समय पर जवाब पेश नहीं किये जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी धमकी दी।बावजूद इसके के.आर.दयाल की राशि का आज तक समायोजन नहीं किया गया। ना ही पत्र का जवाब दिया गया है। दरअसल गायत्री नेताम किसी की सुनती ही नहीं। जिसके चलते आदिवासी विभाग के एक एक कर्मचारी उनसे परेशान हैं। हां कुछ दो एक कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें गायत्री नेताम का भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है।

                             सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग के बार बार स्थानांतरण आदेश के खिलाफ के.आर.दयाल ने आयोग  स्तर पर पत्र व्यवहार किया। आयोग को पत्र लिखकर के.आर.दयाल ने बताया कि सहायक आयुक्त जानबूझकर एक साल चार महीने में 6 बार स्थानांतरण किया है।कई जगह तो 13 दिन और एक महीने के भीतर ही स्थानांतरण कर दिया। पत्र को संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग सचिव ने 16 दिसम्बर 2015 को सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग को पत्र लिखा।  23 जनवरी 2015 के हवाले दयाल के स्थानांरण प्रकरण की जानकारी जांच के बाद 31 दिसम्बर तक भेंजने को कहा। सहायक आयुक्त ने मामले में कोई जवाब नहीं दिया।

                                  पत्र  में जवाब पेश नहीं किये जाने पर नाराजगी जाहिर की गयी। तीसरा पत्र भी लिखा गया। 15 जनवरी 2016 को जवाब प्रकरण को पेश करने कहा गया। बावजूद इसके सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग बिलासपुर ने ना तो जवाब दिया और ना ही आज तक प्रकरण को पेश ही किया। जानकारी ही दी। इसलिए 15 फरवरी 2016 को व्यक्तिगत या किसी माध्यम से जवाब प्रस्तुत करें। बावजूद इसके सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग गायत्री नेताम ने पत्र का जवाब नहीं दिया। सचिव को आज तक पत्र का इंतजार है।

                                   सामान्य प्रशासन विभाग निर्देशानुसार किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति और पिछड़ा वर्ग कर्मचारियों के साथ सद्भभावना के साथ लचीला व्यवहार किया जाए। ऐसे लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही ठोस आधार और विचार विमर्श के बाद किया जाए। सामान्य प्रशासन के निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि ऐसे कर्मचारियों से यदि किसी प्रकार की गलती होती है तो उसे समझाइश दिया जाए। इसके बाद चेतावनी दी जाए। इन वर्गों के कर्मचारियों और अधिकारियों पर बार-बार स्थानांतरण का औजार ना चलाया जाए। बावजूद इसके यदि ऐसा किया जाता है तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

            मजेदार बात है कि के.आर.दयाल के साथ वह सब कुछ हुआ जो सामान्य प्रशासन ने नहीं चाहता है। के,आर दयाल का पहला स्थानांतरण 7 अगस्त 2014 पोस्टमैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास सीपत रोड से प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास जरहाभाठा किया गया। आदेश के ठीक 13 दिन बाद यानि 19 अगस्त 2014 आदिवासी प्रयास आवासीय विद्यालय भेज दिया गया। 12 सितम्बर 2014 को नये आदेश के बाद कोटा, बिल्हा, मस्तूरी, तखतपुर नोडल अधिकारी बनाया गया। 15 सितम्बर 2015 को फिर से प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति सामुहिक बालक छात्रावास जरहाभाठा बनाया गया। 30 नवम्बर 2015 अस्वच्छ धंधा बालक आश्रम सीपत रोड बनाया गया। 3 दिसम्बर 2015 को कन्या आश्रम हाईस्कूल देवरीखुर्द का प्रभार दिया गया।

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