डिजिटल तकनीकी से आयेगा भारत में स्वर्णिम युग-वेंकटेश शुक्ला

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बिलासपुर। डाॅ सी. वी. रामन विश्वविद्यालय अपने छात्र/छात्राओं के मार्ग दर्शन एवं उत्साहवर्धन के लिए देश एवं विदेश के ख्यातिलब्ध विभूतियों से रूबरू कराता है इसी कड़ी में आज छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल से नाता रखने वाले सिलिकाॅन वेली चेप्टर कैलिफोर्निया यूएसए में ज्पम के अध्यक्ष श्री वेंकटेश शुक्ला जी को विशेष व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया था।

             
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                                  DSC_2787कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति माननीया डाॅ अंजिला गुप्ता ने डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन और उर्जा संचार के लिए आयोजित व्याख्यान को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी अंचल में स्थापति डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय यहां के विद्यार्थियों को देश-दुनिया के बड़े से बड़े मुकाम तक पहुचाने के लिए प्रत्यन करता है। इसके लिए लगातार प्रख्यात लोगों के मोटिवेशनल कार्यकम आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कृषी, स्वास्थ्य, सामाजिक विकास विषय पर कार्य करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाके से शिक्षा की शुरूआत कर विदेशो में अपने सफलता के नए आयाम को तय करने वाले शख्सियत छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र और सिलिकाॅन वेली चेप्टर कैलिफोर्निया यूएसए में ज्पम के अध्यक्ष श्री वेंकटेश शुक्ला जी ने अपने प्रस्तुति करण के माध्यम् से बताया कि देश का गुप्त सम्राजय में स्वर्णिम युग था इस समय में देश ने शिक्षा, कला, संस्कृतिक एवं समाजिक क्षेत्र में बहुमुखी विकास किया था। परंतु स्वर्णिम युग आज है क्योंकि उस समय देश की औसत आयु 30 वर्श थी तथा आज 65 वर्ष है इसी के अनुरूप जनसंख्या भी आज की परिप्रेक्ष्य में काफी कम थी, जिसकी मूल-भूत जरूरते पूर्ण हो रही है, जो कि टेक्नाॅलाजी के विकास एवं उपयोग से संभव हुआ है।

                                     DSC_2802उन्होंने प्रश्न के जवाब में कहा कि विश्वविद्यालयय की शोध की दिशा स्थानीय उद्योगों के समस्या समाधान की ओर होनी चाहिए, इसके लिए स्थानीय उद्योंगों को अपनी समस्याओं को इन शिक्षा के केन्द्रो को प्रेषीत करना चहिए, तथा हमारे प्रत्येक प्राध्यापकों को स्वयं में लधुउद्यमी होना चाहिए ताकि छात्र उस विषय में उपलब्ध उद्यम की संभावनाओं को जान सके एवं उद्यम की समस्याओं का शोधपरख निवारण कर सके। आज पूरे विश्व में ग्लोबलाईजेशन के कारण डेटा का महत्व बढ़ गया है, इस कारण इंजीनियरिंग, गणित एवं सांख्यकीय विषयों में स्नातकों की आवष्यकता बढ़ी है जिसमें हाई स्किल लोगों की आवश्यकता ज्यादा है। श्री शुक्ला ने अपने जीवन के बारे में कई बातें साझा करते हुए उन्होंने अपने जीवन के संघष के बारे में भी बताया, इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी,प्राध्यापक व अधिकारी-कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

                          इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष डाॅ ए. एस. झाड़गांवकर ने डाॅ सी.वी. रामन विश्वविद्यालय को एक मंदिर बताते हुए कहा कि यहां से आप नई शुरूवात कर सकते है तथा विभागों के चहरदिवारी से बंधन मुक्त कर शोध को बढ़ावा देना चाहिए।

                     इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डाॅ.आर.पी.दुबे ने कहा कि दुनिया के इतने बड़े मुकाम में पहुंचने के बाद श्री शुक्ला अपने देश, अपने शहर, अपने गांव को नहीं भूले। वे सात समंदर पार से भी भारत के युवाओं के लिए सब कुछ कर रहे हैं। सही मायने में यह सच्चे देष भक्त हैं।

भारत का भविश्य भी ऋणी है शुक्ला जी का-कुलसचिव
cvr shail newइस अवसर पर श्री पाण्डेय ने कहा कि वेंकटेश शुक्ला ज्पम सिलिकाॅन वेली चेप्टर के अध्यक्ष होने के साथ-साथ फाउडेशन फाॅर एक्सीलेंस के ट्रस्टी भी हैं। यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र श्री वेंकटेश शुक्ला जी हमारे साथ हैं। यह पल विश्वविद्यालय का इतिहास बन रहा है। श्री पाण्डेय ने बताया कि फाउडेशन फाॅर एक्सीलेंस के ट्रस्टी माध्यम से वे भारत के प्रतिभावान व गरीब विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए बड़ी स्काॅलरशिप देते हैं। जिससे वे गरीब बच्चे डाॅक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक बन रहे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है। इसका लाभ हमारे विश्वविद्यालय के प्रतिभावान व गरीब विद्यार्थियों को भी मिला हैं। इसमें उत्तरा यादव बीई सिविल की छात्रा सहित कई विद्यार्थी शामिल है। पूरा देश और प्रदेश श्री शुक्ला जी का ऋणी है।
श्री पाण्डेय ने विश्वविद्यालय के उपलब्धियों की ओर ध्यान आकृश्ट करते हुए बताया कि डाॅ सी. वी. रामन विश्वविद्यालय प्रदेश का इकलौता विश्वविद्यालय है जिसे यू.जी.सी. द्वारा दीन दयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र संचालन की अनुमति दी गयी जिसके माध्यम् से विश्वविद्यालय बी. वोक एवं एम. वोक के पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहा है तथा भविश्य में वोकेशनल के क्षेत्र में शोध का कार्य करेगा।

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