डेमेज कण्ट्रोल के लिये ऐन वक्त पर दिया संपादकों को न्यौता

Shri Mi
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bhau00 गृह मंत्री राजनाथ सिंह के प्रवास में पत्रकारों को बुध्दीजीवी नहीं मानने और उनके साथ अछूत सा बर्ताव करने का मामला 00

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fa76d2f2-b939-4f56-bf8a-0e3b891a0d19(शशिकांत कोन्हेर)बिलासपुर।केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह के बिलासपुर प्रवास और इस दौरान उनके स्थानीय बुध्दीजीवियों से सौजन्य भेंट के कार्यक्रम सें पत्रकारों बाहर रखने के मामले को लेकर जमकर बवाल मचा।इस मामले में निमंत्रण को लेकर हुए अपमानजनक व्यवहार से पत्रकारों में पनपा आक्रोश अभी भी शांत नहीं हुआ है। जिन सज्जनों को होटल मेरियेट में शनिवार को इस आयोजन के लिये बुध्दीजीवियों को बुलाने का जिम्मा दिया गया था, उनके द्वारा व्यापारियों और व्यापारिक संगठनों पर अपना पौव्वा जमाने के लिये फल, फ्रूट व सब्जी व्यापारियों तक को बुध्दीवीजी होने का तमगा देकर एक दिन पहले ही उन्हे बकायदा उनका फोटो लगा पास देकर ससम्मान आमंत्रित भी कर दिया गया। जबकि पत्रकारों के लिये जोर शोर से प्रवेश निषेध की न केवल घोषणा कर दी गई बल्कि पुलिस को आगे कर मीडिया कर्मियों को होटल मेरियेट में घुसने न देने का मुकम्मिल इंतजाम भी कर लिया गया। शुक्रवार की रात पत्रकारों को इस बात की जानकारी होने पर सोशल मीडिया में इसकी जमकर आलोचना होने लगी। तब ,पहले तो कहा जाने लगा कि गृह मंत्री की सुरक्षा के चलते उपर से ऐसे आदेश हैं। सभी जानते हैं कि देश के गृह मंत्री आमतौर पर आये दिन पत्रकारों से मिलते रहते हैं। तो क्या गृह मंत्री को सिर्फ बिलासपुर की मीडिया से ही सुरक्षा का खतरा था क्या ?

                      hotel kotyard mariote me kendriya mantri rajnath sinh aur cm dr raman sinh  pahuche(3)यह बात भी छुपी नहीं रह गयी कि बिलासपुर के पत्रकारों के साथ हुए बर्ताव के लिये जिम्मेदार लोगों के द्वारा पहले से तय कर लिया गया था कि बुध्दीजीवियों की गृह मंत्री से सोजन्य मुलाकात के समय मीडिया को नहीं बुलाना है। और इसी चौकडी के कहने पर पत्रकारों को बाहर रखकर शहर के हर तबके को इस आयोजन के लिये ससम्मान न्यौता दिया गया। इसके लिये हर आमंत्रित को उनका फोटो लगा प्रवेश पत्र भी एक दिन पहले ही जारी कर दिया गया। शुक्रवार की रात को सोशल मीडिया में मचे बवाल के बाद शनिवार को भाजपा के बडे नेताओं का ध्यान इस गडबडी की ओर गया। और तब शनिवार की दोपहर को कार्यक्रम के महज एक दो घण्टे पहले शहर के कुछ समाचार पत्रों के संपादकों को आननफानन फोन कर उन्हे गृह मंत्री के कार्यक्रम का न्यौता दिया गया।इसमें भी भाजपा के उसी पंाचवी फेल नेता ने फिर एक खेल खेला और मात्र चंद संपादकों को ही फोन पर आननफानन निमंत्रण दिया। इन्ही मे से एक शहर के एक प्रमुख समाचार पत्र के संपादक ने मुझे बताया कि उन्हे लगभग दो बजे के आसपास फोन से यह न्यौता मिला।

                हालांकि उन्होने निमंत्रण देने वाले की खूब ख्ंिाचाई करते हुए कहा कि आप जिस तरह ऐन वक्त पर फोन से निमंत्रण दे रहे हैँ यह निमंत्रण नहीं हमारा अपमान कर रहे हैं ़ बाद में इन संपादक ने साफ कहा कि वे इसमें नहीं जायेंगे और वे गये भी नहीं। लेकिन जो लोग ऐन वक्त पर संपादकों को फोन से निमंत्रण दे रहे थे, उन्होने सकरी के आम सभा स्थल और सिम्स आडिटोरियम, सर्किट हाउस व होटल मेरियेट के सामने इन्ही संपादकों के द्वारा ड्यूटी पर लगाये गये रिपोर्टरों से कैसा दुव्यवहार करा रहे थे, ये सारे पत्रकारों ने देखा भोगा है। संपादक को ऐन वक्त पर निमंत्रण और उनके ही रिपोर्टरों कैमरामेनो की के साथ दुश्मनों सा बर्ताव, ये कहां की कूटनीतिक-राजनीति है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह, देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल को दो साल पूरा होने पर उनकी उपलब्धियों का प्रचार प्रसार करने की जिस योजना के तहत बिलासपुर पहुंचे थे। उसी विषय के अन्तर्गत देश के कई शहरों में दूसरे अन्य केन्द्रीय मंत्रियों के कार्यक्रम भी हो रहे हैं।

                इसी तारतम्य में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा भी बीस जून को दुर्ग पहुंच रहे हैं। वहां उनके विभिन्न कार्यक्रम रखे गये हैं और शाम को साढे चार बजे विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के सभागार में उनकी प्रेस कान्फ्रेंस भी रखी गयी है। इसी तरह अन्य केन्द्रीय मंत्री भी जहां-जहां जा रहे हैँ, हर जगह वे पत्रकार वार्ता जरूर ले रहे हैं ़तब बिलासपुर में एक तो राजनाथ नाथ सिंह की प्रेस कांफ्रेन्स का आयोजन नहीं करना और दूसरे पत्रकारों को उनके , बुध्दीजीवियों से सौजन्य मुलाकात, वाले कार्यक्रम से अपमानजनक ढंग से बाहर रखने के पीछे किसका दिमागी दुश्चक्र काम कर रहा था, इसका पता भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही पत्रकारों को भी लगाना चाहिये। यह बात साफ हो गयी है कि गृह मंत्री के कार्यक्रम में पत्रकारों को बाहर रखने का निर्णय स्थानीय स्तर के ही किसी भड़भूजे नेता की दिमागी उपज थी।बातें तो कई तरह की हो रही हैँ लेकिन ऐसा क्यों हुआ ? इस पर प्रेस जगत के लोगों को भी अपने अपने स्तर पर तहकीकात कर ऐसी स्थिति पैदा करने वाले शख्स को बेनकाब करना चाहिये। और अंत में पत्रकारसाथियों की ओर से दो लाईनें उन भाजपाईयों के लिये जिन्होने पत्रकारों से अछूत की तरह का बर्ताव करने की साजिश रची।।

तुमने जो न बुलाया, तो कुछ हम न मर गये
पर बात रह गयी, भले ही दिन गुजर गये !!

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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