तखतपुर CHC में 72 लाख का मेडिकल घोटाला आरोप…कर्मचारी संगठन ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग…आंदोलन की दी चेतावनी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तखतपुर में बहत्तर लाख रूपए से अधिक की अार्थिक अनियमितता का आरोप लगाया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ प्रांताध्यक्ष और जिला अध्यक्ष ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को लिखित शिकायत कर 2008-09 से 2015-16 जीवनदीप समिति अनटाइड फण्ड में भारी घपलेबाजी की बात कही है। संगठन का आरोप है कि तात्कालीन सामुदायिक स्वस्थ्य केन्द्र प्रभारी ने दवाइयों और मेडिकल सामानों की खरीदी बिक्री केवल कागजों पर की है। मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

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                   छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ प्रांत और जिलाध्यक्ष ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तखतपुर में आर्तिक अनियमितता का आरोप लगाया है। कर्मचारी नेता ओपी शर्मा और रविन्द्र तिवारी ने मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी से कहा कि मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। संघ के नेताओं ने बताया कि 2008-09 से 2014-15 के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तखतपुर में  जीवन दीप समिति अनटाइड फण्ड,अनुरक्षण और अनुदान में कुल साढ़े बहत्तर लाख रूपयों का दुरूपयोग  हुआ है। लेकिन आज तक किसी प्रकार की कार्रवाई दोषियों के खिलाफ नहीं हुई है।

              ओपी शर्मा और रविन्द्र तिवारी ने बताया कि सीएचसी तखतपुर के पीएचसी गनियारी,अमसेना,जरौंधा,दैजा,जूनापारा,पाली,सागर,मोढ़े और बेलपान में 2008-09 से 2014-15 के बीच कुल 72 लाख 50 हजार का घोटाला हुआ है।यह राशि जीवनदीप से 50 लाख,अनटाइड फण्ड से साढ़े नौ लाख,अनुरक्षण और अनुदान में 13 लाख मिलाकर कुल साढ़े बहत्तर लाख से अधिक होती है।

                              शिकायतकर्ता नेताओं ने सीएचएमओ को बताया कि समय समय पर तात्कालीन चिकित्सा अधिकारी ने  क्रय समिति का गठन कर मदवार खर्च करने का आदेश दिया था। बावजूद इसके तात्कालीन केन्द्र प्रभारी आदेश  का पालन नहीं करते हुए कागजों में ही खरीदी दिखाकर शासन की राशि को बैंट लिया।

              इसके पहले मामला सबके सामने आता कुछ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से दस्तावेज गायब कर दिये गए। शिकायत के बाद भी ना तो फण्ड दुरूपयोग किए जाने को लेकर जांच हुई। ना ही दस्तावेज गायब होने को गंभीरता से लियया गया। दोनों ही मामलों में आज तक कार्रवाई नहीं हुई है।

                  भ्रष्टाचार में शामिल लोगों ने एक कागज में पुलिस के  सामने आवेदन पेश कर पल्ला झाड़ लिया। जबकि लाखों रूपए के घोटाले एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिेए था। यह जानते हुए भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के तत्कालीन केन्द्र प्रभारी ने शासन के आदेश के खिलाफ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए खरीदी की। जबकि सबकों मालूम है कि खरीदी का काम केवल कागजों में ही है।

                      ओपी शर्मा और रविन्द्र तिवारी ने  साढ़े बहत्तर लाख रूपए की आर्थिक अनियमितता की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से कराए जाने को कहा है। जांच के बाद  दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिए जाने को कहा है। स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन ने बताया कि कार्रवाई नहीं होने की सूरत में उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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