तखतपुर सीट के दिलचस्प चुनावी मुकाबले…तीसरी ताकत ने बदले समीकरण…यहाँ पढ़िए कब-किस दिग्गज ने हासिल की जीत

Chief Editor
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तखतपुर(टेकचंद कारड़ा)।तखतपुर विधानसभा चुनाव पूरे जिले के परिणामों से अलग रहते है ।  हमेशा यहां पर चुनाव रोचक रहा है  । जब कभी विधानसभा चुनाव होते है तब तिसरी ताकत के रूप में कोई न कोई दल यहां अपनी उपस्थिति देकर दोनों बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ते आया है। देश के आजादी के बाद से लेकर अब तक तखतपुर विधानसभा में 8 बार भाजपा और 7 बार कांग्रेस के पक्ष में रही है। इस चुनाव में कांग्रेस बराबर करती है या भाजपा अपनी बढ़त बनाए रखती है यह आने वाला समय बताएगा।बिलासपुर जिले के विधानसभा सीट तखतपुर क्षेत्र क्रमांक 28 के नाम से पहचान है और हमेशा इस सीट पर चुनाव के आंकड़े जीत हार के बहुत करीब रहते है ।अब तक यहां आजादी के बाद 15 बार विधानसभा के चुनाव हुए है  । जिमसें 7 बार कांग्रेस और 8 बार भाजपा ने जीत हासिल की है  ।देश की  आजादी के बाद सबसे पहले 1952 में  इस विधानसभा में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी ।  उस समय कांग्रेस से बैलजोड़ी छाप से चंद्रभूषण सिंह ने जीत दर्ज की थी । इसके बाद 1957 में कांशीराम तिवारी ने कांग्रेस से जीत दर्ज की थी और इसी जीत को कांग्रेस ने आगे बढ़ाते हुए सन 1962 में मुरलीधर मिश्र ने पताका फहराया था ।
लगातार तीन बार कांग्रेस जीतने के बाद यहां पर जनसंघ ने विधानसभा चुनाव में कूदकर पहली बार मनहरण लाल पाण्डेय को 1967 में तखतपुर विधानसभा से उतारा  । तब उस समय जनसंघ की स्थिति अच्छी नही थी ।  पर स्थानीय चेहरा होने और मनहरण लाल पाण्डेय का पैतृक गांव पथरिया खम्हरिया में होने के कारण  लोगों ने मनहरण लाल पाण्डेय को पहली बार निर्वाचित कर विधानसभा में भेजा और यहीं से इस विधानसभा में भाजपा की नींव डल गई  ।  पहली बार में ही मध्यप्रदेश विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे तो क्षेत्र में जनसंघ की पहचान बनाने और जनाधार बढ़ाने के लिए इन्हें पहली बार में ही मंत्री बनाया गया था ।  जिसके चलते पूरे देश के नक्शे में  तखतपुर विधानसभा  सुर्खियों में आ गया था कि एक छोटे से गांव से आगे आए युवक ने जब विधानसभा चुनाव जीता तब उन्हें मंत्री बना दिया गया।
मनहरण लाल पाण्डेय ने मंत्री बनने के बाद स्थानीय दौरे कम होने के कारण जनता में नाराजगी दिखी और 1972 में रोहणी कुमार बाजपेयी ने कांग्रेस को गाय बछड़ा छाप से जीत दिलायी। इसके बाद सन 1977 में जनता पार्टी से मनहरण लाल पाण्डेय ने फिर से अपना परचम लहराया और कांग्रेस के प्रत्याशी को मात दी । सन 1980 में पहली बार ऐसा हुआ जब तखतपुर के ही ताहेर भाई वनक को पंजा छाप से टिकट मिली और उन्हें स्थानीयता  का लाभ मिला जिसके चलते कांग्रेस ने 1980 में अपनी जीत दर्ज की।  सन 1985 में हुए मनहरण लाल पाण्डेय ने भाजपा से फिर से जीत दर्ज की और यहीं क्रम 1990 में भी बना रहा पर उन्हें मंत्री नही बनाया गया था और इसी समय उमा भारती ने सन्यास ग्रहण किया ।1992 मे बाबरी मस्जित गिरने के बाद सरकार भंग कर दी गई।पटवा सरकार गिर गयी ।
भाजपा ने सन 1993 में फिर से विधानसभा  चुनाव में मनहरण लाल पाण्डेय मैदान पर थे ।  यह चौथी बार मनहरण लाल पाण्डेय विधायक बने । लगातार चार बार मनहरण लाल पाण्डेय ने भाजपा का परचम फैलाकर तखतपुर विधानसभा को यह संदेश दे दिया था कि अब यह भाजपा की सीट हो गई है और लगातार चार चार बार कांग्रेस प्रत्याशी हारने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी उत्साह खतम सा हो गया था  । पर कुछ समय बाद ही लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मनहरण लाल पाण्डेय को जांजगीर लोकसभा सीट से टिकट दी ।  भाजपा से लोकसभा टिकट मिलने के कारण तखतपुर विधानसभा से उन्होंने इस्तीफा दिया ।
जिससे जनता में नाराजगी दिखी और कांग्रेस ने इस बात को जमकर भुनाया कि जिस नेता को इस क्षेत्र इतना स्नेह और सम्मान दिया उस नेता ने तखतपुर की जनता को बीच मचधार में छोड़ दिया ।  यह कहकर कांग्रेस ने अपना प्रचार शुरू किया और इसमें सफल भी हुई और सन 1996 में हुए उपचुनाव में 20 साल बाद ठाकुर बलराम सिंह ने क्षेत्र में कांग्रेस को जिताया और ऐसा लगने लगा कि अब इस विधानसभा में कांग्रेस की वापसी हो गई है  । पर सन 1998 में भाजपा की गुटीय लड़ाई ने तखतपुर से जगजीत सिंह मक्कड़ को टिकट दी और कांग्रेस से बलराम सिंह मैदान पर थे  । जहां जगजीत सिंह मक्कड़ ने जीत दर्ज की थी फिर 2003 में वापस बलराम सिंह ठाकुर ने जगजीत सिंह मक्कड़ को चुनाव मैदान में हिसाब बराबर कर जीत दर्ज की ।
2008 में बीजेपी ने फिर से वापसी की और बलराम सिंह को राजू सिंह क्षत्री ने 2008 में और 2013 में आशीष सिंह ठाकुर को चुनाव में हराया ।  पिछले दो विधानसभा  चुनाव में भाजपा से राजू सिंह क्षत्री ने भाजपा की बढ़त बरकरार रखी।इस बार मुकाबले की तस्वीर अभी भले ही साफ नजर नहीं आ रही है। लेकिन तीन ताकतें जिस तरह से चुनाव की तैयारी में हैं, उससे लगता है कि मुकाबला इस बार भी दिलचस्प होगा।
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