तलाशी अभियान…महिला बाल विकास वहन करे पुलिस का खर्च…

BHASKAR MISHRA
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gumshuda bachho ke sambhand me baithakबिलासपुर—-राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यकारी अध्यक्ष, जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा गुमशुदा बच्चों की तलाश को पर्याप्त नहीं बताया। नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होने विशेष तलाशी अभियान चलाने को कहा। जस्टिस दिवाकर ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों, ग्रामीण स्तर पर काम कर रहे सरकारी सेवकों और स्वयंसेवी संगठनों की गायब बच्चों की खोज में भागीदारी हो।

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                                 जस्टिस दिवाकर ने यह बातें राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की समीक्षा बैठक में कही। मालूम हो कि एक जनहित याचिका के बाद प्रशासन और पुलिस को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि प्रदेशभर से लापता बच्चों की खोज की जाए। कोर्ट ने जनवरी 2001 से मार्च 2017 तक लापता बच्चों को खोजने को कहा था। गायब बच्चों को तलाशने के लिए 15 जून 2017 तक का समय दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 21 जून को हाईकोर्ट में होनी है। इसी संदर्भ में पुलिस मुख्यालय और जिले के मुख्यालयों के अधिकारी अपनी रिपोर्ट लेकर कोर्ट में पेश हुए।

                                           बैठक में छग विधिक सहायता समिति के सचिव रजनीश श्रीवास्तव, विभिन्न जिलों के विधिक सहायता समितियों के जज, हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त न्याय मित्र रणबीर सिंह मरहास और प्रशासन की सहायता के लिए नियुक्त सेवानिवृत डीजी स्पेशल, राजीव श्रीवास्तव, बिलासपुर के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी मनोज राय, सेवानिवृत्त श्रम अधिकारी दीपक पांडेय, रायपुर की एडिशनल एसपी वर्षा मिश्रा, सरगुजा की एसडीओपी गरिमा द्विवेदी, बलरामपुर के एसडीओपी अविनाश ठाकुर, कोरबा, धमतरी, कांकेर आदि से पहुंचे प्रतिनिधियों ने अपनी रिपोर्ट रखी।

        जस्टिस दिवाकर ने सभी से उनके जिलों की रिपोर्ट ली और सुझाव मांगे। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सभी स्कूलों में लघु चलचित्रों के माध्यम से बच्चों और उनके अभिभावकों को जागरूक किया जाए। पुलिस को चलित थाने संचालित करने को कहा गया। सोशल मीडिया का अधिकाधिक इस्तेमाल करने की बात हुई।  चाहिए। अभियान में कोटवार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों की भी जो़ड़ने को कहा गया।

                      जस्टिस दिवाकर ने कहा कि एक सप्ताह से अधिक समय तक बच्चे स्कूल नहीं आते हैं तो उनके परिवार से सम्पर्क किया जाए।लापता बच्चों, युवाओं की बरामदगी के बाद पुनर्वास की समुचित व्यवस्था महिला बाल विकास विभाग और श्रम विभाग के माध्यम से की जाए। तलाशी अभियान में विभिन्न राज्यों की यात्रा के दौरान पुलिस खर्च में महिला बाल विकास विभाग के पास उपलब्ध फंड का इस्तेमाल किया जाए।

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