रायपुर।  छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को आगामी दीपावली को ध्यान में रखते हुए निर्धारित मानकों से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाले पटाखों के उत्पादन और उनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं, ताकि दीपावली पर्व के दौरान राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेश की अवमानना की स्थिति निर्मित न होने पाए।

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पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि इस सिलसिले में मंडल की ओर से  जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को परिपत्र जारी किया गया है। परिपत्र में कहा गया है कि रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे पटाखे न फोड़े जाएं। पटाखों अथवा आतिशबाजी का समय सवेरे 6 बजे से रात 10 बजे निर्धारित किया गया है। अस्पताल, स्कूल, अदालत और धार्मिक स्थल जैसे अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में इन संस्थाओं से कम से कम 100 मीटर की दूरी तक पटाखे न फोड़े जाए। सभी शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों को ध्वनि और वायु प्रदूषण तथा पटाखों के दुष्प्रभावों की भी जानकारी दी जाए। इसके साथ ही स्कूली बच्चों को शामिल करते हुए जनजागरण का भी अभियान चलाया जाए। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखने और ध्वनि मानकों का भी ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं।

परिपत्र में यह भी बताया गया है कि यह कार्य पर्यावरण संरक्षण मंडल के अंतर्गत स्कूलों में गठित इकोक्लबों के माध्यम से भी किया जा सकता है। परिपत्र में कहा गया है कि दीपावली के पहले, दीपावली के दौरान और इस त्यौहार के बाद ध्वनि तथा वायु प्रदूषण का आंकलन करवाया जाए। परिपत्र में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की भोपाल स्थित मध्य क्षेत्रीय बेंच द्वारा 18 अप्रैल 2016 को इस आशय का निर्णय पारित किया गया है। इस सिलसिले में माननीय न्यायालय और ध्वनि प्रदूषण (विनियम और नियंत्रण) नियम 2000 के तहत जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक या ऐसा कोई अन्य अधिकारी, जो कम से कम डिप्टी कलेक्टर अथवा उप पुलिस अधीक्षक श्रेणी का हो, उसे ध्वनि के संबंध में परिवेशी वायु गुणवत्ता के मानकों की मॉनिटरिंग के लिए जिम्मेदार माना गया है।